पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१२०

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११० . पहम्मद शाह तुगलक १५ : .: सुलतानको खेतीके कामोंमें फंसा देख. भूटानका गया कि उसका मा राजकार्य में चित्त हो नहीं , शाह अफगान दागी हो गया और नायव. विहजादको लगता था। .. . . मार कर मलतान पर अधिकार कर लिया। सुलतान अन्तमें दिल्लीवासियोंको नगरको 'चहारदीवारीसे . शाहुको दण्ड देनेके लिये चलनेको तय्यार था, ऐसे बाहर जा कर आत्मरक्षा करनेका हुक्म दिया था। इस समय उसकी मां मखुदमा-ए-जहां मर गई। माताके। पर प्रजा दलके दल यहांसे निकल दुसरी जगहमें चलो . मरनेके शोकसे सन्तप्त हो कर भी शत्रुके प्रतिहिंसाको गई। स्वय' सुलतान समोर उमरामोंके साथ पटपाली .' भूल न सका। फिर तुरत ही सदलवल यह मूलतानः | और फम्पिल्य पार कर खोर नगर (प्राचीन नाम वर्ग के लिपे अग्रसर हुआ। शाहुने आत्मसमर्पण किया | द्वार) में आ कर रहने लगे। यहां आ कर उसने काला । और अफगान भाग कर अपना प्राण बचाया। और अयोध्याका गल्ला कम कीमत में खरीदा। पोछे ___ यहांसे सुलतान मनोहा और सन्नाम होता. हुमा | उसके हो अनुगृहीत नोकर अयोध्या और जफराबादके .. दिल्ली लौटने लगा। उस समय भी दुर्मिक्षका प्रबल शासक माइन-उल-मुल्कने सुलतानको राजी करनेके प्रकोप था। सुलतान राजध्ययसे कुएं आदि खोदवा लिपे स्वर्गद्वारीमें और दिल्ली में बहुत अन्न गौर रपया . कर भो खेतीवारी में कुछ उन्नति कर न सका। इधर | नजरमें मेजे । सुलतान इस कामसे उस पर पदा हो खुश . 'प्रजा राजाके अत्याचारसे किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई थी। हुआ और उसको कत्लुग खांके पद पर पैठाना चाहा। विलकुल निश्चेष्ट हो रही थी । सुलतान पारम्यार आशा पयोंकि कत्लुग खां देवगिरि दौलताबादको मालगुजारी. देकर भी उन सबोंको कार्य में प्रवृत्त न करा सका की यह तेरी रकमों को वश कर जाता था। इसके बाद सभीको राजदण्ड भोग करना पड़ा। सुलतानने अपने एतसंकल्पको पात माइन-उल- . इसके बाद सुलतान सन्नाम और सामनाके विद्रोह मुल्कको लिख भेजा। माइन उल-मुकंने अपने भाइयों - का दमन करनेके लिये गया। उसने विद्रोहियों के किलों ! फ साथ सलाह कर स्थिर किया, "मालूम होता है, कि को नए कर उन्हें कैद कर लिया। फेदी दिल्ली लाये | इस प्रदेशमें गल्लेका अधिकता देण सुलतानको इ िदो गये। इस समय सामनाके अधिवासियोंने इसलाम. गई है। इससे उसका उद्देश्य है, कि किसी सद धर्म कबूल कर लिया था और उमराओंके यहां आ कर | अयोध्या दाल कर ले। इसलिये मुझको यह देवगिरि काम करने लगे। भेज रहा है। फिर यदि में यह प्रदेश छोय कर दंप. जिस समय सामनामें यह काण्ड हो रहा था उस गिरि गया तो मेरे परियारके लोगोंको यह यहां समय दाक्षिणात्यमें अरङ्गल-राज्यमें कन्हाई नामका पक निकाल देगा योर इससे मुझे घोर कष्ट दोगा। इसकी • हिन्दू वागी हो उठा। उसने यहाँक नायव वजीर मालिक ! नित्तिके लिये फिसा' उत्तम मार्गका माधय सेना मकबूलको मार भगाया और अपने राजा पन येठा। होगा।" इसो सोय विचारमे दर हो गई। इस समय कन्हाई नायकके भ्राताने सुलतानके कम्याला · देर होते देण सुलतानको झोध दो भाया । उसने प्रदेश पर भी अधिकार कर लिया। इस तरह येषगिरि हुपम दिया कि "अयोध्याक' भधियासो दिल्ली माये तथा गुजरातको छोड़ कर प्रायः सब प्रदेशों पर कम्दाई और दिल्ली मधिवासी यहाँ आय । ऐसा न करने. का कब्जा हो गया। सुलतान यह देख कर बड़ा दुःखी। वाले व्यक्ति विशेर दएटसे दण्डित होगा।' माइम. हुमा । इस समय और मो यह प्रजोके साथ कठोरताका उल-मुल्कको पहलेसे हो उसके अत्याचारको बात मालूम प्यवहार करने लगा। इधर दुर्मिशके कारण प्रजा.। यो इससे यह समझ गया, कि कयल मुझे दो कष्ट देना नजर हो रही पो। सुलतान प्राणपणसे नेटा करके भो लिये सुलतानने ऐसी आशा निकाली है। इससे उसको सेतोवारीमें सफलता मही प्राप्त कर सका। यह सब सुलतानके प्रति जो मानमर्यादा थी यह नाती नहीं। पादपदी देख कर ही उसका मस्तिक ऐसा. सराव दो। म यह भी अपनी रक्षाशे लिये बागी हो गया।