पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१२४

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महम्मद शाह पूरची-महम्मद मुलतान (श्य) इसी समय समीर तैमूरने भी हिन्दुस्तान पर माक्रमण । नवाब मुर्शिदपुली सांके समय यह चाफला भूपणा कर- किया था। लाता था। सोताराम रायके उच्छेदके बाद मलदी मादि ___ कुछ इतिहासकारोंने इसको सुलतान महमूद शाहके उत्कृष्ट परगने राजशाही जमादारीमें मिला लिये . नामसे भी लिखा है। इसके बारेमें जीवनीफे लेखकोंने / गये थे। चचा और भतीजेको जीवनी एक साथ लिख कर भ्रम- महम्मद शेष-जामि जहान नामा और नफस रदमागी .. में डाल दिया है। | तथा चिहालरिसाला नामक धर्मप्रन्यके प्रणेता। फिरिस्ताको रायसे सन् १३६६ ई में और सरा. महम्मद सदर उद्दीन-तुर्फ जातिये. सर्वप्रथम कयि । यद । फुद्दीन पेजदीको रायसे सन् १३६८ ६०में सुलतान मह- | अरवी और पारसी भाषामें कुछ न लिन गपे हैं। म्मदको अमलदारीमें तैमूर भारतमें आया। महम्मद | १२७० ई० रनको मृत्यु हुई। शाह हार कर गुजरात चला गया। तैमूर दिल्लीके | महम्मद मुफि (मुल्ला)-पक प्राचीन कपि । सुफो सात पर धैठा। कुछ ही दिनके याद तैमूर दिल्लीले साम्प्रदायिक मत पर इनका विशेष विश्वास था। मार. बहुत धन-दौलत ले कर फारस लौटा । इसके। नगरवासी सैयद जलाल इयुबारी इनका मिश्य था। फारस चले जानेके बाद फिरोज शाहफे पौत्र मसरत | इनकी बनाई हुई शाकिनामाकी श्लोकायली पहुत मनो- खां दिल्ली नगरी पर अधिकार कर 'नसरत शाए'-के। नामसे तख्त पर यता। इसके याद १४०० ६०में इक- महन्मद मुलतान (१म)-कोन्सटेण्टिनोप्लका एक बाद पाल पां पादशाह हुमा। इसके उपरान्त सन् १४०५ । शाह । इसके पिताका माम मुस्ताफा (२५) मोर ई०में कन्नौजसे आ फर महम्मद शाह फिर दिल्लीका ! चचाफा नाम महमद (३५) था। १७३००में यह तप्त पर बैठा । नासिरुद्दीन दूसरी बार दिल्लीका चचाफे राज्यका अधिकारी बना । इसका चलपिम्प यादशाह हुमा सही, किन्तु पहले जो भाजाद हो चुफै। देख कर सबोंने समझ रखा था, कि ये मोये हुए राज्यो. थे, उन लोगोंने मंजूर नहीं किया । सन् १४१३६०में } का पुनरुद्धार करेगा। किन्तु नादिर शाहफे साथ इसको महम्मद शाह तुगलफ मर गया। गय दौलत खां लोदीने | जो लड़ाई हुई उसमें यह जर्जिया गौर भरमेनिया छोड़ने दिल्लीके शादी तप्त पर अधिकार कर लिया। यहां को याध्य हुआ । १७५४ ६०में यह परलोकको सिधारा। होसे दिल्लीसे तुर्कों का राज्य उठ गया। पोछे इसका भाई श्य मोसमान राजतप्त पर ये टा। । । महम्मद शाह पूरयी-फिरोज शाएका पुन । पिताके मरने महम्मद मुलतान (२य-कोन्सटेष्टिनाप्लका पादशाह । पर यह १४६४ मे राजतगत पर बैठा । एक वर्ष कुछ इसके पिताका नाम अबदुल हमीद (अमद ४५ ) था। महीने राज्य करनेके वाद सिद्रियदर नामक एक व्यक्तिने १७८५ ई०में इसका जन्म हुमा। १८०८० ३य सलीम इसकी हत्या कर सिंहासनको दपल किया। १४६५। और धर्थ मुस्ताफा गामक सफे दो चचा गय राजवान १०में यवरने 'मुजफ्फर शाद' की उपाधि पाई। परसे उतार दिये गये, तब यही राजतपत पर बैठा। महम्मद शाह शर्कि सुल्तान-जीनपुरका एक राजा, इया. भोसमान (म) म यंगका भादिपुर था। यह दिम शाह शक्षिका पेटा। पिता सुलतान याहिम नाद | ओसमानसे १८ पीढ़ी नीचे सथा उन्तधित का 'शकिके मरने पर यह १४४० ०में जौनपुरके सिंहासन सोसयां राजा था। पर बैठा। १७ प राज्य करनेके बाद १४५० १० १८३६ में इसका देशात दुमा पो उसमा इसकी मृत्यु हुई। पीछे उसका बड़ा भाई विसानघां लड़का मपदुन मसौद तुपकर सिंहासन पर टा। 'महम्मद शाह मार्कि' की उपाधि धारण कर पितृयज्य महम्मदके गासगशाली बहुत-सी गरमा उल्लेख फा मधिकारी । करने लापर। १८२१०ग प्रोमयानि जप तुम महम्मद शाही-बालके, अन्तर्गत एक भूमति के बादशादको भानगा गम्पोकार कर दो, र दोनोंमें।