पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१३६

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पहागति-मात्र मक्षागति ( रो०११ उत्ट गति, जाने योग्य पय! महागतं (म०) विष्णु। २ महापण, बड़ा रास्ता। (खो०) ३ दौलगतसे महागन (सं० पु.)निय । २ महोदर दानयो। अत्यन्त छोरी संख्या । महागल सं०नि०) दोप्रीययुन, जिराको गलन र मरागड ( पु.) महांश्चासौ गदश्चेति । १ सर या वगुन्टेकी मी लयो हो। . २ महारोग। यातयाधि, प्रमेह, कुष्ठ, अर्श, भगन्द, मदागय (' पु०) मदाश्चासौ गौरति (गोरा.. अश्मरी, मूढगर्म और उदरी ये पाठ महागद माने गपे लुछि। पा ५६२) इति समासामाटय, गोसायरा हैं। ये सभी दुःस्साध्य रोग हैं। ३ मौयिशेर, निसोध दस्य वधात्यं । गयय, गायके रेसा यह पशु जिरो' गुलश, मुलेठो, रक्ता, लयणयगं, सौंठ, पिप्पली गौर गलेमें मालर न हो। गबर देयो। ' मरिच इन्हें अच्छी.मरद पौस कर मधुके साथ गोटद्ग महागिरि ( स०३०)पा पहा। कुलेरफे भाउ रखे। इस अगदका पान, अञ्जन, अन्यन और नम्यो पुमसे एक। यह पिताके शिपपूमनके लिपेपकार ध्ययहार करनेसे विपदोष जाता रहता है। (नि.) कमलपुष्प लाया था। इसो दोर पर पुषेने मे भार महती गदा अस्य । ४ महागदायिशिए, जिसके पास दिया जिससे याद कंसका माई हुमा। पोरों पर बहुत भारी गदा हो। फे हायसे मारा गया था। महागदमहोद (सं० पु. ) गृक्षमेद, एक प्रकारका पेड़। ,

महागीत (म0पु.) निय।

महागाध ( स० पु. ) प्रदा, गन्धोऽस्य । १ फरमश । २ जलयेतस, मलवेंन । ३ दरिनन्दन । ४ पोल, पा. म - महागुण ( स० वि०) १ उसमगुणधिनिष्ट, जिसमें d. . प्रकारका मुगधित गोंद । (वि०) ५ गन्धयुत, ग्युशस् । मन्छे गुण हो। (३०) २ श्रेष्ठगुण। ३ मामा दार। 'महागुर (म. पु०) एक प्रकार के कीडे. जो फरसे उप महागन्धक (सं० सी० ) भोपविशेष प्रस्तुत प्रणाली- होगे है। पारा २ तोला और गन्धा तोलार एक साथ पीस महागुनो ( दि० पु. ) महोगनी देग्यो। . कर कामल बनाये। पीछे उसे जलमें घोल कर गाहा महागुम (म. पु०) मनमानी गुमश्गमि। मतिमी फरे भीर तव लोहे के बरतन रस कर धीमो जांच पर पुरुषफे पिता. माता तथा मापा । महिनामा महाये। अब थोड़ा गरम हो जाय, तब उसमें जायफल, पिता, माता पी विधादिता कन्या गामी हो NEAK जापिता, लयन भीर मोमको पत्ती प्रत्येक दो तोला साल | महागुम है। कर अप्ठी तरह गोटे। इसके बाद उसे एक पौधे रस महागुरु नियास भान् महागुरफ मरने प र कर दूसरे पौधेस १ दे मौर ऊपरसे मिट्ठीका स्टेप लाणभोजन और महापश, इन दोनो vिalit माग महा। मगनर उसे गोठकी मांच में पकाये। अव का गुरुत्व होता है। भषांन किमीको रोगको कुछ लाल हो जाय, तर मायो तर परिकार कर लेये।। म ममकोन या हो पाये। भागाका of इसफी मात्रा परती है। रोगी अयम्या अनुसार दान हो, तो तीन दिन मशीश माममा माग अनुमान बतलाया गया है। इसका सपन करनेसे प्रदणी कारण पूर्योन विधान मागसम्में महता , भतीसार, मूनिकारोगरा पर आदि यियिष पोदामोः गाता मोर दसा कम्पार्थ, मामि पोश' को शान्ति होती है। (मैगपरत्नापनों पारागापिका) मिपम साग। महागामा (स.वी.) मदान गम्धी मस्पा रिपो जाए। "लदा पुरागिरको पति, मामा १ मागयला। शोपिका पुष्प, मया । १ धामाका भाशगति प्रति jिpt" margrपमा- एक माम। ' नाम महागप ( म०नि० ) मदरगना का पहर wnlystromitri x" .. गुना । .