पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१४३

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पहाज्योतिष्मती-पहाड़ पेन्द्र नक्षत्र भया अनुराधा नक्षम गुर और चन्द्र, अदा दिनमें, दो दिन में, तीन दिनमें भौर पार के रहने से उस दिन पदि ज्ये। मासको पूर्णिमा हो । दिन मानेवाला विरमग्यर तोय जोयर जाता तो महान्य छौ होगी। । रहता है। (माम अरापिहार) ५१. "यले सात्मरे पेय मेरमागस्य पूर्णिमा। मरा तरीका-पारा, गन्धा, तांबा, हिंगुन्न, दरि- ज्येशात समागुमा मदानी प्रवीलिता ॥" , ताल, लोहा, दम्ता, मोगामाया, मेनसिल, भारत, गेह- (विधिमत्र) मही, मोहागा मौर दन्तियोग इन सब द्रश्योंको एफ. जिम वर्ष पटि म यत्सर मध्य ज्यो पूर्णिमामे साथ चूर्ण करे। पीछे तुलसीपयका रस, चितापन- उपोछानशन पड़े, तो उसे भी महाज्य ष्ठी कहते हैं। रस, सिद्धिपत्रास और इमलीमी पत्तियोंका रस, इन यह महान्य छौ मतिशय पुण्यजनक है। इस दिन सप रसोंमें उसे तीन बार मापना देकर पीछे छापामें तीर्यादिमें स्नान दानादि करनेसे अशेष पुण्य प्राप्त मुषा ले। इसकी मासा घर परावर पतलाई गां है। दोता है। चिकित्सकको दोपका बलाबल देख कर मनुपाम स्पिर विशेषतः इस दिन भगवान पुरुषोत्तमफे दर्शन करनेसे करना चाहिये। इसका सेवन करने मामा प्रकार, विष्णुलोकी प्राप्ति होती है तथा गङ्गास्नान करनेसे , ज्यर अतिशीय दूर देने है। (भैपरत्ना० ITIfte) मोझलाम होता है। 'महान्याल (स.पु.) महती ज्याला निया भस्य । १ "महाज्य ध्यान्तु 4 पश्येत् पुरुष: पुरुषोत्तमम् । होमाग्नि, दयनको भनि। २ गरकविता विष्णुलोकमानासि मात्र गाम्युमत्रना" __"स्नुपा मुगाचापि गत्या मामाले निस्पी" (वियितत्त्व) : (मिमपुराण १२) महान्योतिष्मती (स'० सी० ) महती धासी ज्योतिमसो : जो लोग मानी पुषणपू या कन्याये, साय गमन धेति । सनामण्यात लगा, बड़ी मालगनी । संस्थत : परत ये इस भयगर ग्यालायिनिष्ट नाक पतित होने पर्याय-तमोवती, बरसा, कनकममा, तीक्ष्णा, सुवर्ण है। महादेव । गफुरली, लयणा, भग्निदीमा, तेजस्विनी, सुरलता, अग्निः ! महाश्याला ( स० सी० ) मदतो ज्याला दोस्रिया। फला, मग्निगा, कर नो, शैलसुना, पुनेला, मुगा, . १ नियों को एक विधायीका माम । २ महती ज्याला । यायसी, तामा, काकाएदी, याचसादनी, गोलना, श्रीलता, दग्निनिता, यह मनि जिसमें पूर ग्याला दो। सौम्या, माली, लपकिंशुका, पारायतपदी, पीता, पीन. मदाधि (म०वि०) मददशि पाय। पून पुर पुनः । सिला, पासिनी, मेध्या, मेघायती भोर पोरा। इसका मदायि (म० पु० ग्त्री०) देशभेद। २ उस देशले गुण-तिसतर, गक्ष, काछ कटु, यातकफनामकदाद- दीयाले मनुष्य। प्रम दोपन, मेधा मोर प्रमाकारक। ( राजनिपट) महार१ बम्या कोलाया मिलेका एफ तालुक। यह महाग्योतिः (स.पु.) शिप, महादय। (सि. मा० १०५१ से १६३० तथा ना० ०३१० २ ज्योतिमिनिट। से ३४१ मध्य भयम्पित है। भूपरिमान महाश्वराकमा (स.पु०) शिपम म्यराधिकारमै रसा ४५६ वर्ग मील भोर मया सापस ऊपर। इसमें पपिरोष। प्रस्तुत प्रणाली-गोपित पारा . तोला, मदार मामक पर गदर भोर २४६ प्रामसगी । पहा. शोधित पिप तोला,शोधित गम्धकः शोला, शोधित कामकिन थाम पदादी उसस्पा मार पनधिमाग. परेका पोज १ तोला, स्पर्ण झोपन्ती ६ सोला इन से परिपूर्ण है। पास मापनेवर frrent साप्पोको एकप मलोमोति मग कर रसीको गोदी मीमा लोगो मनको मोहता है। सापिका मामी बनाये। इसका मग तिरे. मीयू पोल मोर भ.1 मा मिना मोकारो रदन शाम प.. रकका रम है। इस मारका सेवन करनेसे सिदोष मानी है।