पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१५

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मलब मलयाचल । यह पश्चिमी घाटका यह भाग है जहां चन्दन ऐसी समानताको देख कर यहुतेरे इन्हें भी निनो धहुत उत्पन्न होता है। पुराणों में इसे सात कुल पवा | जातिमें शामिल करते हैं। अन्दाभन जोपसे प्रशान्त गिनाया गया है। मलयगिरि देखा। महासागर तकके अधिवासिगण यद्यपि निग्रो या • महेन्द्रो मलयः सह्यः शुक्तिमानतपर्वतः। निग्रिटो फहलाते हैं, तो भो उनके मध्य कमसे कम विन्ध्यश्च पारिपात्रश्न सप्तवात्र कुल्ला चला" धारद थोक देखे जाते हैं। इनसे किसो श्रेणीका कद (मार्कपडेयपु० ५११०)। बहुत छोरा अर्थात् ५ फुटसे भी कम है। फिर किसी ' २ मलावारदेश। ३ मलयदेशके रहनेवाले मनुष्य ।। किसीकर शरीर ६ फुटसे भो ऊंचा देखा जाता है। ४ एक उपरोपका नाम ।.५ सफेद चन्दन। ६ नन्दन- मि० पेस्कलने मलयजातिके लोगोंको मोडलीय चन । ७ गरुड़के एक पुत्रका नाम । ८ शैलाङ्ग, पहाड़का | जातिमें शामिल किया है। मरिज धैगनरने पेस्कलफे एक प्रदेश । ऋपमदेवफे एक पुत्र का नाम । १० आराम | मतका अनुसरण करते हुए लिया है, कि मलय और ११ छप्पयके एक भेद्रका नाम । इसमें २५ गुरा, १८ लघु मोइलीय जातिकी खोपडो, शरीर गठन और रंग तथा कुल १२३ वर्ण या १४८ मालाएं होती हैं। : अङ्ग प्रत्यक्ष बिलकुल एक-सा है। और तो पया, ये यदि . . मलय शब्द पचन, समोर, वायु आदि शब्दोंके आदि-। एक तरहका पहनाया पहने तो कौन मलय है और कोन में समस्त हो कर सुगंधित और दक्षिणी वायु'का अर्थ | मोडलीय, इसका पता लगाना कठिन हो जाता है। देता है। न्युगिनीयासी मलय जातिकी पफ शाखाका नाम मलय-१ मलय उपद्वीपचासी जातिविशेष । ये लोग पुयान' है । चालिस साहयका विश्वास है कि मलयमापा बोलचाल करते हैं। मदागास्करवासी पापुयान गौर मलयजातिके बीच कोई घनिष्ठता या निकट , 'होया' जातिके साथ इनकी आकृति बहुत कुछ मिलती। सम्बन्ध नहीं है। जुलती है। पेस्कल साहब ने लिखा है. कि मरिलम् और सुमात्रादीपके मध्ययत्ती मेनाडू कायका समतल- वोयोंके याविष्कार-कालमें मदागास्करमें मलय जातिका क्षेत्र ही मलयजातिका आदि वासस्थान था। वहांसे पास देखा गया था। शब्दतत्वविद् झोफोर्डने उक्त | घे लोग धीरे धीरे विभिन्न देशों में फैल गये । द्वीपको प्रचलित भाषामें मलयसापागत शब्दका प्रयोग __पहले मलय-उगहोप और योनियो द्वीपमें आदिम देखा है। एतद्भिन्न अपरापर पुरातत्वविदों का विवरण असभ्य-जातिका वास था। मलयगोंने यहां मा फर पढ़नेसे मालूम होता है, कि मलयजाति एक समय सुदूर | निर्विवाद अपना आधिपत्य जमाया। अधिवासिगण मदागास्कर दोपमें भी रहती थी। उन्हें लाख चेष्टा करने पर भो भगा न सके । घोरे धीर मलय उपद्वीप और उसके पश्चिमके छापोंमें मलय । यहा मलय जातिकी जड़ मजबूत होती गई। अब उन्होंने जातिका पास देखा जाता है। ये लोग बहुत शापा दूरवती देशोंको भी जितनेको फाममासे कदम बढ़ाया। प्रशासानों में विभक्त हैं। इनकी फथित मलय मापा ! किन्तु यहां धमतामाली सुसभ्य जातिके रहने से उनकी मो बहुत पथपता देखी जाती है। प्रोफेसर ५.१च. गोटी जमने म पाई। फेवल उन सब Fधान उपनिवेश कोन् मलयजाति और मलयभाषाको विस्तृत तालिका दे | यसा कर ये रहने लगे थे। मलय-उपरोपकै. समी मधि: गये हैं। वामी मलय जातिकं हैं। अलाया इमफे शो में पहाड़ी जातिनस्वविदोंने शरीरका रंग देन कर इस विस्तीर्ण निग्रो भा यदा रहते है । मलयज्ञानिका बाम बनायतर मलयजातिको दो प्रधान शाखागे विमत किया है। इन हानेके कारण इस स्थानका मलए उपद्वाप नाम पड़ा। मेमे पहली घेणोका रंग तामढ़ा तथा बाल पतले होते प्राचीन मलयाराज्यों के राज्यांपाम्पान जाना जाता है । दूसरी श्रेणीको मारति बिलकुल निनो जाति। है, कि पालेमया नामक म्यानी मनयनानिका आदि सी है। यासस्थान था। जातीय उर्भातफे साथ साथ उन्होंने