महापथगप-महापातक .
२१ नरकॉमसे , १६यां नरक जिसे ग्रसरन्ध्र गरक महापद्य ( पु.) महाकाय। .....
कहते हैं । ६ हिमालयके एक तीर्थका नाम। .... महापद्यपटक-कालिदासरत भोजराजको गुणयम-
महापथगम (सं० पु०) महापयस्य महापये या गमः सूचक पश्लोकात्म फपितापिशेर) : .. ....
गमन। मरण, देहान्त ।।
महापन्यक (सपु०) वाशिष्यभेद। . . .
महापथिक ( स० पु०) महामस्थानकारी, यह जो मरनेके महापनस (संपु०) सुथुतके अनुसार पक प्रसारका
उद्देश्यसे हिमालय पर्वत पर जाय।
सांप। . ..... .
महापद (सं० पु०) महायज ।
| महापराकम (स नि०) महावीर्यपान, बड़ा साहसो।
महापदपक्ति (सं० स्त्री० ) वैदिक छन्दोमेद । महापराह (स.पु.) अपराहका शेप समय। . . :
(ऋक्प्राति. १६२९) | महापरिनिर्वाण (सलो०) नियाणविशेष, महामोस।
महापम (सं० पु०) महत् पन तादृशं विह शिरसि महापर्ण (स० पु०) १ ब्रह्मराक्षस। २ एक प्रकार
यस्य । १ बाठ ना!में से एक नागका नाम । पर्याय- शालयस। .
अतिशुक्ल दशविन्दुक मस्तक । मनसा पूजाके समय इस | महापविन (स.लि.) मत्यन्त पपिन। (पु.)२
नागको पूजा करनी होती है। २ फनयालो प्रातिक / विष्णु।
मन्तर्गत एक प्रकारका सांप । ३ फुयेरको नौ निधियों से महापशु (स'. पु० ) गाय आदि पश।
पकनिधि, पशिनी विद्याकी आठ निधियों में से एक। | महापाकजानि-सूर्याणशतकके प्रणेता, अनाथ
"यस्या यत्से ! प्रभावेन विद्यायास्तां यहाण में। , पण्डितके शिष्य ।
। पहिनी नाम विधेय महापभाभिपूजिता ॥" महापाटल ( पु.) एक प्रकारका पेड़।
(मार्प.पु. ६४।१५)/ महापात (स.पु.) तीरका दूरमें गिरना।
४ महाभारत कालफे एक नगरका नाम जो गलाके मदापातक (सं० लो०) महदतिशयित पातक। पार..
किनारे पर था। ५ एक प्रकारका दैत्य (हरिवंश २३२॥३) विशेष। यह पाप पांच प्रकारका है। यथा--प्रमहत्या,
६ दिकरीभेद, आठ दिग्गजोंमेंसे एक दिग्गज जो दक्षिण मुरापान, स्तेय, गुरुपत्नी-गमा भीर इन-सा पाप
दिशामें स्थित है। ७ सी पनकी संख्या। ८ शुरूपन, चारियों के साथ संसर्ग: .. . ... ...
सफेद कमल। नरकमेद। १० जैन मतसे नागोंके "माहत्या मुरापान स्वैप गुपनमागमः।
मधिरत निधियिशेष। ११ नन्द राजाका एक नाम | महान्ति पातकान्याः संसर्ग पापिये। मद,
(विष्णुपुराण) १२ नन्द राजाके एक पुत्रका गाम । १३ |
. . . (मनु १५४).
कुयेरके अनुचर एक फिन्नरका नाम । १४ दायोकी एक जो ऊपर लिसे महापातक करते हैं, उन्हें मरकको
जाति।
गति होती है। नरकमोगके बाद ये कठिन रोगसे प्रस्त .
महापासपूत (सखो०) विस्फोटकरोगका घृतविशेष। । होते हैं। इस प्रकारके रोग ये सात जन्म शक भोगत
महापापति (सं० पु०) नन्दराजका एक नाम । I पोछे इस महापातकको शान्ति होती है। ...
महापाप्रविसर्प ( स० पु.) बालविसर्परोग।
"महातम चिह सामन्मगु गापा । . .
महापमसरस् (स० को०) काश्मीरका एक हद । इसका पापत माधिस्य सप फवादिमि: En" . :
पर्तमान नाम उलर है।
(कागार म)
मदापासलिल (स' लो०) काश्मीर देशके उत्तर नाम महापातक निह सात जाम तक पिपमान पनाह
तथा पद पातक पापि पोदा देवा यानि
महापानन्दि-महानन्दियो धौरस और दापोके गर्मसे | घान्दापनका अनुपान करनेसे इसकी शान्ति सी।
उत्पन्न एक युमारका माम}
. । तुला, मकर भीर मेर अर्थात् कातित, पेशास और माय ,
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१५८
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