पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१७४

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· महामागी-महाभारत 'महाभागो (स० वि०) महाभागिन देखो। ... अनुध त पर्ण, २६ अरण्ययात्रा पर्व, ३० किम्भीरपथ . महाभाग्य (स' क्ली० ) महश तत् भाग्यञ्चेति । प्रवल पर्व, ३१ अर्जुनाभिगमन पर्व, ३२ किरातार्जुमयुरे 'भाग्य, शुभादृष्ट । पर्ण, ३३ इन्द्रलोकगमन पर्ग, ३४ धर्म और करुणा . महाभार (संपु०) महान भारः । अतिशय भार, भारी | रसयुक्त नलोपाख्यान पण, ३५ फुरुराज युधिष्ठिरको । योमा तीर्थयात्रा पर्वा, ३६ यक्षयुद्ध फळ, ३७ निघातकयव महाभारत (सं० क्ली० ) महत् भारत, यद्वा महान्त भारं युद्ध-पर्व, ३८ अजगर पर्व, ३६ मार्कण्डेय समस्या तनीतीति महाभार तन । य्यासप्रणीत इतिहासशास्त्र ।। पर्च, ४० द्रौपदी और सत्यभामा संवाद पर्य, ४१ इसको नाम-निरुक्ति इस प्रकार है :- घोपयात्रा पर्व, ४२ द्रौपदी-हरण पर्य, (इस पर्वमें जय. .. "एकतश्चनुरो वेदा भारतञ्चेतदेकतः। द्रथ द्वारा द्रौपदीका हरण, पतियता सावित्रोफे अनुभुत पुरा किन्न मुरैः सर्वैः समस्य नुलया धृतम् ॥ चरित्रका वर्णन और रामोपाख्यान सम्मिलित है) ४३ . चतुयः सरहस्येम्यो वेदेभ्योऽभ्यधिकं यदा। कुण्डलाहरण पर्य, ४४ आरणेय पर्व, ४५ विराट् पर्वमें तदा प्रभृति लोकेऽस्मिन् महाभारतमुच्यते । - पाण्डवोंका विराट नगरमें आना और अज्ञातवासका _' महत्त्वाद् भारतत्वाच महाभारतमुच्यते ॥" पर्व, ४६ कोचफवध पर्य, ४७ गोहरणपर्य, ४८ अभिमन्यु (भारत-आ० प० १ अध्याय ) | और उत्तराका घैवाहिक पर्व ४६ सैन्योद्योग पर्य, ५० . प्राचीन समयमें देवताओंने सम्मिलित हो कर एक सअययान पर्व, ५१ चिन्तान्वित धृतराष्ट्र पर्य, ५२ गुहातम ओर चारों घेद और दूसरी ओर इस महाभारतको तराजूफै अध्यात्मज्ञान विषयक सनत सुजात पर्व, ५३ यान-सन्धि पलड़ो पर रखा था । वजनमें यह महाभारत ही अधिक पर्व, ५४ भगयद्यान पर्व (इस पर्वमें मालिका उपा.. हुमा उसी समयसे इसका नाम महाभारत पड़ा। यह ज्यान, गालय चरित, कृष्णका प्रवेश और विदुला पुत्रका महत्व और गुरुत्वमें चेदको अपेक्षा यढ़ा चढ़ा है । सुतरां शासन आदि वर्णित है ), ५५ कृष्ण और कर्णका संवाद इसी महत्त्व और गुरुत्वके कारण ही इसका नाम महा पर्य, ५६ फुरुपाण्डवका निर्वाण पर्य, ५७ रथातिरय भारत हुमा । संख्या पर्व, ५८ कोपवर्द्धन, उल्लुक दूताभिगमन पर्य, ५६ पर्वाध्याय। अभ्योपाख्यान पर्व, ६० अद्भुत भीष्माभिषेक पर्य;६१ प्रचलित महाभारतको अनुक्रमणिकाके अनुसार जम्बूद्वीप सन्निवेश पर्व, ६२ छोपविस्तारको कोर्शनात्मा महाभारत प्रधानतः अठारह पर्यों में समाप्त हुआ है। भूमि पर्व, ६३ भगवतगीता पर्य, ६४ भोपवध पर्व, ६५ इन पर्वोमें १०० पर्वाध्याय हैं। जैसे,- . द्रोणाभिषेक पर्व, ६६ संसप्तकयध पर्यः, ६७ अभिमन्युवध १ पहला अनुक्रमणिका पर्व, २ पर्व-संग्रहपर्य, ३, पर्य, ६८ प्रतिछापर्ष, ६६ जयद्रथयध पळ, ७० घोकच- पोप्यपर्व, पौलोम पर्च, ५ भास्तीक पर्य, ६ आदिवंशा- वध पर्य, ७१ लोमहर्षण द्रोणवध पर्य, ७२ नारायणास्त्र यतरणपर्व, ७ विचित्र सम्भव पर्य, ८ जतुगृह दाहपर्व, त्याग पर्व, ७३ कर्ण पर्य;७४ शल्यवध पर्न, ७५ तालाय. हिडिम्य पर्व, १० यायध पर्व, ११ चैत्ररथ पर्च, १२/ प्रवेश पर्ण, ७६ गदायुध पर्ण, ७७ सारस्वत तोर्णकोरीन । पाञ्चालीका स्वयंवर पर्य, १३ क्षत्रिययुद्धमें जयलाम | पर्ण, ७८ अत्यन्त वीभत्स सौतिक पर्न, ७. मुदायण पूर्वक पाएडयोंका वैवाहिक पर्य, १४ विदुरागमन पर्य, . ऐपोक पर्ण, ८० जल प्रादानानिक पर्व, रोविलाप १५ राज्यलाभ पर्ण, १६ अर्जुनवनवास पर्ण, १७ मुभद्रा- | पर्च, ८२ फुरुगणका थापर्व, ८३ ब्राह्मणयेश- हरण पूर्ण, १८ यौतुकाहरण पर्व, १६ पाएडवदाह पर्व, | धारो चार्वाक राक्षस-यध पर्य, ८४ धीमद्धर्मराजका २० समाक्रियापर्ण, २१ मन्लणा पर्य, २२ जरासन्धयध अभिषेक पर्व, ८५ गृहपरिभाग पर्व, ८६ शान्ति पर्य, ८७ पर्यः, २३ दिग्विजय पर्व, २४ राजसूयिकपर्ण, २५ भा. राजधमांनुशासन पर्य, ८८ मापदधगं पर्य, ८६ मोक्षधर्ग मिदरण पर्ण, २६ शिशुपालयध पळ, २७धूत पर्ग, २८ / पर्य, इसमें शुम प्रश्नामिगमन, ग्रामश्नानुशासन, सुर्यासा-