पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१९४

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१८. महामायापर- महामापतेम "गर्मान्त रित गतिमानः । METHदा रात मा मनुया.. उत्पन्न जानादिरा करने या निरन्तरम् ॥ . . मामाल्या भाकाले महामारी सपा पुगंतिपूर्णमादरलाय नियन। सेर पाले महामारी सेव सालमा भाहारादी ततो मोहं ममत्वं भानगंगा ॥ स्पति करोति भवाना र हा सनातनी " कोपाराधनोगे क्षिप्त्या पित्या पुनः पुनः । (मापस पाने) पथात् फाने नियोज्याशु नितायुकमान्निगम । नियन्ते प्राणिनो यस्या इति-मृष्ट-पोर। मनी. आमोदयुत प्यमनासन शन्नु करोति या। .. मारो । २ प्रतिशप मरप, यह संझामक और भौरन रोग :: महामापति गा मोका तेन सा जगदीश्वरी॥" जिससे एक साय हो बहुत से लोग मरे। : सेरा. (कारितकापु०६०) । चेचक, प्लेग इत्यादि । जहाँ मदामारी हुई दो उस स्थान, गर्भके मध्य जोय तत्वज्ञानका उदय होने पर मोपीछे जयं को छोड़ देना चाहिए तथा इससे पुटकारा पाने के लिये. या प्रयन्ट मुतिमारत द्वारा उत्पन्न होता है. तप उसे सो माहात्म्य दुर्गापाठ, गान्तिस्यास्पयन और गादि .' तत्मानमान्य यना देती और पूर्व जन्म संस्कार बालसे करना उचित है। ऐसा करनेसे महामारीको मुरत आदारादि कार्य प्रगत हो कर मोह, ममता भार मय शान्ति होती है। उत्पादन करती है, जो जीयको चार धार फ्रोध, लोम महामार्जालन्धिका (सं० सी० ) यमगुन मगनी गा और मोहमें डाल कर आमोदयुक्त और व्यासनासन | महामाल (सं० पु०) शिय, महादेव। बनाती हैं उन्हीं का नाम महामाया है। महामाया इसी महामालिका (सं० सी० एन्दोमेद । इसके प्रति परत : मायावलसे जगदीश्वरी कदलाती हैं। में १८ वर्ण पाते हैं जिनसे ६८ १२.१४ और ____ जगनों मायाका प्रमाय पला हो माश्चर्य है। नही १७यां पर्ण गुण मौर शेर पर्ण संधु होते है। होनेवाले कामको जो कर दिखलाती हैं उनका नाम माया मदामालिनी (संखो० ) नाराम का एक माम। है। इस संसार सुख दु:य भीर मोद आदि जो कुछ / महामाप (सं० पुणे महांश्चासी मापश्येति । राजमाप, देसनेमे आता है यह इसी महामायाका प्रभाव है। महा-1 उपद । राजमार देतो . , .. मापाय प्रमायसे ही जगतकी सृष्टि हुमा फरतो है। महामापनेल (सं० ० ) सैलापपवियेर । प्रागुन "IETAITAमाग रांगाररिपतिकार। प्रणाली-तिलतल ४ से, काढ़े लिपे लावली. गन्ना विस्मयः यापों योगाया गगनावः ॥" (परटी) वर उमा ४ संर, परामल ६। सेब, श्यय पोलार .. सगमकारणभूता विद्याको दी माया कदंते हैं। इस बकरेका मांस ३० पल, गहें एक साथ मिला क र फे अधिशासी दयों भगवती दुर्गा हो महामाया ।। रही। जसमें पाक करे। जब १६ मेरअल या गं, ता . देयो जगत्को मोदित करती है। उतार से । दूध १६ मे चूर्ण रिपे भलाम , महामाया सतत या रोमानो गन् ।" रोका मूट, सोया सैन्धय, घर, शाम Ar, मोय. . (मा.पा. ८ ) मापा देगी। मीप वर्ग, गोड, पप्य, विशाल, कायाल, कि (नि.): मागी । पिंपरामल राना, मुलेठी, मैग्धर, पाय, गुयाय, महामायाभर ( मं० पु. विष्णु । मसगंध, पन भार कसूर, पारदी टोरा पोर महामायामाबर (0 ) तना पार विधानानुसार पार करना होगा। टा. महामार्ग (म० यो बामदेगीभेद । ममपूर्ण देगा। अपहार करना पETA, भारतपyिonा, तुम . महामाररत { मं० पु. ) मा दे। गौर गण प्रकारके मातापिरोग र दो । काम , महामारीमा ग्लो मनानान, दानादान मार साधिन तास सनपा रामपालमा पनि । पनि निमपिन-मन दी। मदामाती। । दिता माग नो पREATEN महामार मार .