पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१९५

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महामाइश्वर-महामृत्युञ्जय किया जाता है। उस तेलको निरामिय महामापतैल। ८ तुम्बुरुका वृक्ष । । एक जिनका नाम 1. १० कहते है। इसकी प्रस्तुत प्रणालो-तिलतेल ४ ऑपध। १५ धन्या, धनिया । मेर, फाढ़े के लिये, दशमूल ८ सेर, जल ६४ से, महामूढ़ ( स० वि०) महान् म्हः । अतिशय मद, शेष १६ सेप, उड़द ८ सेर, दुग्ध १६ सेर ; चूर्णके। बड़ा येयकृत। लिये,असुगंध, कचूर, देवदाय, विजयंद, रास्ना, गन्ध• , महामून ( स० पु० , अतिशय मा, अत्यन्त निर्योध । भादुली, कुट, फालसेका फल, बरङ्गी, कुष्माण्ड, भूमि- ' महामूर्ति (म० पु० ) महतो मूत्तिय स्य। विष्णु । फुप्माएड, पुनर्णया, खट्टानीबू, जीरा, मंगरेला, होंग, महामूद्धन ( स० ० ) महान मूर्दा यस्य, प्यापकत्वात् सोयां, शतमूली, गोखरू, पिपरामूल, चितामूल, जीव-' तथात्वं । १ शिव । २ ऋद्धि । ३ वृद्धि । (त्रि०) ४ नोयगण और सैन्धव कुल मिला कर एक सेर। तेल- वृहन्मस्तकयुक्त, जिसका सिर बड़ा हो। पाकके विधानानुसार इस तेलका पाक करना होगा। महामूर्धा (स स्त्रो०) महानू न देखो। इसके व्यवहार से पक्षाघात, हनुस्तम्भ, अहित, अव- । महामूल । सं० पु. ) महत् स्थूल मूलं यस्य । १राज. याहुक विश्वची, खाता पहा व आदि वातरोग नए। पलाण्डु, प्याज । २ छिलिहिण्ड, छिरेटा। . होते हैं। (भपज्यरत्नावली वातव्याधि०) । महामूल्य ( स० क्लो०) महश तत् मूल्य घेति मधा० महामाहेश्वर (सपु०) शियके एक उपासकका नाम। । १ महाय, महगा। (लि०) महत् मूल्यं यस्य । २ महामीन (सं० पु० ) मत्स्यविशेष ।। बहुमूल्यविशिष्ट, जिसका मूल्य अधिक हो। (पु.)३ महामुख (सपु०) महत् मुखमस्य। १ कुम्भीर । २ माणिक, मणि। महादेव । ३ सिन्धुराजफे एक सैनिकका नाम । ४. महामूपिक ( स० पु० ) महान मूपिकः । यदुन्दुर, बड़ा पृहन्मुख, वड़ो मुह। ५ नदोका मुहाना, मह स्थान चूहा। पर्याय -सूपो. विघ्नेशयाहन, महाङ्ग, शस्यमारी जहां नदी गिरती है। (नि.) महत् मुखं यस्य । ६ भूफल, भित्तिपातन । महत् मुखविशिध; बड़ा मुहवाला महामृग ( स० पु. ) महान मृगः पशुः । १ हस्ती, महामुद्रलाचार्य श्रीरामचन्द्रार्याष्टोत्तरशतकके प्रणेता। हायो। २ शरभ, टिहो। ३ यहा सिंह। महामुचिलिन्द (स.पु० ) वृक्षभेद । | महामृगारस (स० पु०) रसीपविशेष । प्रस्तुत महामुचिंलिन्दपर्वत (सं० पु०) पर्वतभेद । प्रणाली-सोना १ माग, रससिंदूर २ माग, सोनामपाशी महामुण्ड ( स ० ) बोल नामक गन्ध द्रष्य । ५ भाग, प्रयाल ७ माग, सोहागा १ भाग इन्हें अच्छी महामुण्डनिका ( सं स्त्रो०) महाधावणिका, गोरख तरह चूर्ण कर लयङ्ग काटे में तीन दिन तक भावना मुडी । पर्याय-- महामुण्डिका । पोछे उसे लवणपूर्ण भाएडमें रख कर मुंह बंद कर महामु (स० सी०)। योगके अनुसार एक प्रकारको और चार पदर पाक करके उतार ले। अनन्तर उसमें मुद्रा या अंगोंकी स्थिति । २ एक बहुत बड़ी संख्याका ६४ अंश शोधित होरा, होरेफे अमाषमै १६ अंश पेक्रांत मिलाये। इसका अनुपान घी, मिर्च और पीपलका चूर्ण महामुनि (सं० पु०) महांश्चासौ मुनिश्चेति । १ मुनियों- वतलाया गया है। ..इसके सेयनसे खांसी, दमा, सप में श्रेष्ठ, बहुत बड़ा मुनि । २ कपटो घ्यक्ति, धोम्वेवाज। प्रकारके ज्य, गुल्म, विधि, मन्दाग्नि, स्परमेद भयचि, ३ अगस्त्य प्रापि । ४ युद्ध । ५ रुपाचार्य । ६ काल । यमि, मूछा, भ्रम, विपदोप, पाण्ड, कमला मादि रोग व्यासदेव ! .... जाते रहते है। (रगन्द्रसारम. यक्ष्मारोगाधि०) .. - "श्रीमद्भागपते महामुनिहते किंवा परेरी महामृत्यु (म० पु०) १ यम । शिया सयौहृद्यवरुप्यतेऽत्र कृतिभिः शुभ भिस्वत्मणात् ॥" | महामृत्युञ्जय ( स० पु. ) महामृत्यु यमं जयतीति जि. (मागवत २२)। सच्-मुम् च । शियका मन्त्रयिरोप । यद मन्त मानवको मामा . vil, 4G