पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/२०३

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महायानदेव-महारतियल्लममोदक ,

१८६ जाने लगे थे। मगधफे नालन्दामें उस समय भी जो। पितामह, पुलस्त्य, पशिष्ट, पुलह, मणिरा, फतु और सब घीयतान्त्रिकगण थे, उनमेंसे बहुतोंने मुसलमानोंके | कश्यप ये सब ऋषि महायोगेश्वर कहलाते हैं। सत्याचारसे स्वदेश छोड़ कर नेपालमें माश्रय लिया | महायोगेश्वरी ( सं स्त्री०) नागदमनी, नागदौनो। और अधिकांश मनुष्य मुसलमानोंफे हायसे मारे गये।। २ दुर्गा। इस तरह बुद्धको जन्मभूमिसे योद्धर्म जाता रहा। महायोनि ( स० स्त्री० ) योनिरोगविशेष, वैद्यकफे अनुः नेपालमें जिन्होंने शरण लो, ये पुनः तान्त्रिक आचार्योके | सार स्त्रियोंका एक प्रकारका रोग। इस रोगों उनकी शिष्य बन गये। वही तान्त्रिक आचार्यगण वनाचार्य योनि वहुत बढ़ जाती है। यह रोग अत्यन्त दुःखदायक नामसे प्रसिद्ध हैं। इन्होंने अपनी अपनी प्रधानताको है। योनिरोग देखा। रक्षा के लिए जो मत प्रचार किया, यही वज्रयान कद- | महायोगिक (सं० पु० ) २ माताओंके छन्दोंकी संज्ञा । लाया। अब भो नेपालमें यजयान-योर तिवतमें काल- महायोघाजय (सखो०) साममेद। चक्रयान प्रचलित है। । महाय्य (स.त्रि०) पूज्य, पूजने लायक ! हीनयान और बौद्ध शब्दमें विस्तृत वियरया देखो। महारक्षस् ( स० को० ) मोषण राक्षस । महायानदेव ( स० पु०) चोन प्ररियाजक यूएनचुवंगको महारक्षा (स' स्रो० ) बौद्ध-कुलदेवोमेद । महामतिसरा, उपाधि । महामायूरी, महासहस्रप्रमर्दिनी, महाशीतयती और मदा- महायानपरिप्राइक (सं० पु. ) महायान मतावलम्बी। मन्त्रानुसारिणो घे पांच महारक्षा है।। महायानममास (सं० पु०) बोधिसत्त्वभेद। मदारक्षित (संपु० बौद्ध आचार्यभेद । महायानसूत्र (सलो०) महायानोंके कुछ सूत्रप्रन्धी महारक्त ( को०) प्रवाल, मूंगा।' ' महारजत (स'० ० ) महश तत् रजतच ति । १ मुपपी महायाम (सलो० ) सामभेद। सोना। २धुस्तूर, धतूरा। ३ गृहद् रौप्य । महायाग्यं ( स० पु० ) विष्णु। महारजन (सहो ) रज्यतेऽनेनेति रज फरणे ल्युट् महायांवनाल (सं० पु.) देयधान्यवृक्ष, ज्यारका पौधा ( भगिदित मिति। पा६२४) इत्यत रमारजनाम: महायुग ( को०) सत्य, प्रेता, द्वापर धीर फलि इन सूपसंख्यानं फतथ्य" इति काशिकोषरया में लोपा, चारों युगौंका समूह । मानयों का यह चार युग देवताओं. महन्ध तत् रजनीति कर्मपा० । १ 'कुसुम्भपुष्प, का एक युग होता है। युग देखो। कुसुमका फुल। २ स्थणे, सोना। महायुत (सं० ०") एक बड़ी संगया जो सौ अयुतको । महारण (सं० पु०) महायुद्ध, पार लगाई। होती है। | मदारण्य (स )महम् अरण्य ।। वृहद्वान, बढ़ा महायुध (सं० पु०) महान् आयुधो यस्य । निय, मही. वन। पर्याय अरण्यानो, कान्तार। देय। (त्रि०)२ महा'आयुधयुक्त, जिसे बड़ा शस्त्र या 'प्रविश्य तु.महारपय' दपरकास्ययमात्मवान्। . र हथियार हो। .. । रामो ददर्श रस्तापयामम मपटसम् ॥ (रामाषण र महायोगिन् (स पु०) १ श्रेष्ठ योगी। २ विष्णु । ३ शिव । महारत ( फा० सी० ) अम्पास, मक। महायोगी (स0पु0),महायोगिन देतो। . . . महारतिपलममोदक (स० पु०) मादफोपपिपिशेष महायोगेश्वर (स.पु० ) पितामह और पुलस्त्य आदि प्रस्तुन प्रणाली--सिद्धियोजचूर्ण ५ पल, घो ४ 'पल, प्रपिता . . . . . . शाद १६ पल, गतायरोका रस ३२ पल, दूध ३२ पल, ... : पितामहः पुतस्त्वाय गरिमा पुग्नदस्तापा। , . मिद्धिरस था उसका काढ़ा ३२०पल, रोका अभिरारच अवघेव करपाच महानृषिः। दूध ३२ पल इन एक साथ मिला कर पाक एते......महायोगेश्वराः स्मृताः ॥".. . . . करे। पीछे उसमें मायला, सोरा, मंगेरेला, मोया, Vol. XVII. 45 नाम।