पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/२०९

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पदाराज पहाराजगन्ज (कांजी) १० पल, सफेद सरसों ४ पल, रैची 8 में बलमाचारियोंने एक सभा करके अपनो कुलपती पलं, हो ग २. तोला और पञ्चलवण प्रत्येक दो मार्याको गुरुके घर भेजनेका एक समय निर्दिष्ट कर दिया। तोला') 'इन्हें एक साथ मिला कर घाममें | उस समय प्रायः महाराजगण देयमदिरादि नाकममें सुसा ले। पीछे उसे धोके घड़े में रख कर धान- लगे रहते थे। १८६२६०म महाराजके चरित्र पर संदेह के ढेर १२ दिन तक रख छोड़े। प्रतिदिन सबेरे किया गया और उक्त प्रथा उठा दो गई। .. . शरीरफे बलानुसार उचित माता सेवन करे। इसका यस्वभाचा देसो। अनुपान सुरा, सौवीरक, सीधु या दूध, दही और | महाराज-सधाद्रि-वर्णित एक राजा। पीठीको छोड़ कर जो पचा सके यही खाना उचित है। महाराजक (म० पु० ) राजते इति राज-युन, महाश्चासी एक महीने तक इस महीयधका सेवन करनेसे यातज, राजकश्चेति। महाराजिकगग। कफज और पित्तज नाना प्रकारको ध्याधि अर्थात् प्रमेह, महाराजगञ्ज-सारण जिलेके अन्तर्गत एक नगर। यह अर्श, गुल्म, कोढ़, क्षय, शोथ योनिमाल आदि रोग जाते छपरासे १२॥ कोस उत्तर पश्चिम अक्षा० २६० रहते हैं। टूटी हुई हट्टीको जोड़ने और आमवातको दूर तथा देशा० ८४.१०पू०के मध्य मस्थित है। रापल. करने में यह विशेष फलदायक है। | गमकी तरह यहां भी जोरों वाणिज्यव्यापार चलता है। महाराज (सं० पु०) महाश्वासी राजा प्रभावविशेषानिति। जनसंख्या तीन हजारसे ऊपर है। १पूर्वजिनविशेष । मइत्या दीप्त्या राजते यंगुलिपु महाराजगन-पटना जिलेके अन्तर्गत एक नगर। यहां शोभते इति राज-सव । २ नम. नायून | ३ राजाओंमें पटना, गया और शाहाबाद जिलेके समी प्रकारफे अनाज श्रेष्ठ, यहुत बड़ा राजा। ४ ब्राह्मण, गुय, धर्माचार्य या विकनेको पाते हैं। पटना नगरका यही स्थान पाणिज्य और किसी पूज्यके लिये एक संयोधन । ५पक उपाधि | केन्द्र समझा जाता है। जो आधुनिक भारतमें गृटिश संरफारफी ओरसे बड़े बडे / महाराजगञ्ज-युक्तप्रदेशके गोरखपुर जिलेको उत्तरीय राजाओंको दी जाती है। ६ मद्र-सम्प्रदायी, यलभाचारी तहसील। यह अक्षा० २६५४ से २७°२९ उ० तथा और गोकुलफे गोसाई आदि हिन्दू-सम्प्रदायके भाचायाँ । देशा० ८३७ से ८३°५७ पृ०के मध्य भयस्थित है। को उनकी शिष्यमण्डली 'महाराज'का उपाधि देती है। भूपरिमाण १२३६ वर्गमील और जनसंख्या पांच लाससे मथुरा, वृन्दावन, गुजरात, मालवा, बम्बई, उदयपुर और ऊपर है। तौलपुर, यिनायकपुर और हवेली परगनेफे मास पासके भोजीप्राममें भाचार्य महाराजाओंका यास संशको ले फर यह उपविभाग संगठित हुमा है। इसमें है। इन सब महाराजाओं में धोजीके महाराज ही सबसे | सिसवा बाजार नामक १ शहर और १९६५ ग्राम लगते धेष्ठ हैं। ये लोग चैप्णवधर्मावलम्बी है. श्रीकृष्णको है। तहसीलका उत्तरीय भाग जंगलसे माच्छादित है। पालगोपाल-मूर्तिकी उपासना करते हैं। पहाड़ी प्रदेशमै एकमात्र गोरपा, नेपाली और पायजाति. • इस सम्प्रदायके लोग कभी कभी अपने दोक्षागुय | का यास देखा जाता है। महाराजको पूजा करनेको इच्छासे उन्हें अपने घर लाते | महाराजग-युनप्रदेशके रायबरेली जिलेको उत्तरीय हैं। श्रीकृष्णको रासपात्रा गीर होली पर्वमें प्रायः महा- तहसील। इनहुना, बछरावान, सिमरौना. कुम्हारवान, राज हो हिंसोले पर मूल भूल कर अपनी शिघ्याणीके मोहनगर और हरदोई परगने ले कर यह तहसील संग. साय फाग खेलते हैं। ठित हुई है। यह मशा० २६१७ से २६३६३० तया "चलमाचारी साम्प्रदायिक मतमे महाराजगण सभी देगा०८०५६ से ८१३४ पू० मध्य अपस्थित है। शिष्याणोके पतिस्वरूप है। पहले उत्सबके समय रमणियां, भूपरिमाण ४६५ वर्गमील मोर जनसंख्या तीन महारामफे घर आया करतो घों। कुछ नियां तो बार पार लायके करीब है। इसमें ३६ प्राम लगने ६. शहर एक उनके घर मा कर अपनी फुललजा खो देती थीं। १८५५ भो नदों है।