पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/२३०

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स महाराष्ट्र मताके मिया सेतुबन्ध गादिदो एक काय-अन्य भी इसी! सम्प्रदाय के थे, जिसमें कि हिन्धन को दो पाने प्राचीन महाराष्ट्री भागमें रखे गये थे। यस मान मराठी मिलती जुलती हैं। सुन्नीसे लिपा मन बना . भाराको उसी प्राचीन महाराष्ट्रीको दुहिता सममना है। दुमैन गा के नतिम भागर परारमिरर. चाहिए । इस मााके १० मागों में भाग गद संस्ल झपने परिस्फुटित म होतो, सो गे मापद हो कि या संस्दनमूलक है। इस मागफे माहित्य संस्थत से इतनी महानुभूति ग्राम फर माने । बिन्दुमो थे अन्य यातसे मौजूद है। यादययं गोप राजामौके रास्य- जातीय जीवनमें तय अवसाद उपस्थित मापा । फालमें माधुनिक मराठी भाग जो जो मानगर्म पुस्त, पादययशफे राजाकालमें इनसे दिग्विजय कसे रची गां उनका परिचय पहले ही दिया जा चुका है। प्रान्त शान्त ताबा पिलासो दो गर्दथे। गो मार मुसलमानो जमानेमें भी महाराष्ट्र-माहित्य समनः परि- राजनीति कीगल और मागरिक मध्यपसाप ये दर पुष्ट हो रहा था, पयास्थानमें विवरण दिया गया है। णात्पफे तयणपोर्य मुसलमानों का मुकाबला म कर . गुमानमान अधिकार-बामनी रागपंग। सके । हुमंन गाल ने उन लोगोंके साथ विश्वास पाठकोंको महाराष्ट्रदेशफे मुसलमानी जमानेका पति करके भी अपने राज्यको उन्नति करनों सफलता पाई। हास 'यारमनी' 'निजामशाही' गादि गन्दोग मिलेगा। महाराष्ट्र के उत्सरमें नर्मदामे ले कर दक्षिणी माता यहां मिफ ये दो बाते कहो जायगी, जिन घटनामों के तथा पश्चिममें सलादिसे ले कर जेल भोर गोडार माप महारान्द्रियों की मायो उन्नतिका सम्बन्ध था। तक यह मुसलमानोराम विगत दुभा कोपोनि: । मुमलमानों के देवगिरि हिंदूराज्य ध्यस करने रामाभों ने यदुन दिनों तक मुसलमानों के प्राधानयो । परवाह नहीं की थी। पर १३२० ६०में दिल्ली में जो विद्रोह उपस्थित हुभा, उमफे साय दाक्षिणात्यफे छोटे छोटे हिंदू राजायो का सेनफे बाद उनफे. पुरा सदमदमाद ( १३५८- १३७५६०) वामनी राज्यफे अधिपति हुए। इनमे समान गुप्त सम्बन्ध था। सिर्फ इतना ही नाही', पलिक उस में महाराष्ट्रमें गप मिपर गने, जिसमें दिग्दरामामोरे ममय दाक्षिणात्यमें उन लोगों ने भी विद्रोह उपस्थित याघा पटुनाई। ये नये मिजों को गना देने गए। किया था। उस विद्रोहफे दमनाय महम्मद तुगलकको समानारको पा कर मापदनादने याम-से हिन्दुओं को . दाक्षिणात्य जाना पड़ा । इस घरगाउं याद २५ यर्य पठोर दगड दिपा इस मुळगान माग गुरु करणे, योतने भी न पापे, कि महाराष्ट्रियों ने मौका देग फर अब उनकी मांगुली ये ममझो, किरिना १३४७१०में पुनः पराधीनताको पेसी तोड़ फोपने लिये बादशादर्ग, पिगम हुसेन गाह.को महापता कर बी. कार्रवाई कर दी। इसी समय पानीय मुसलमानों ने भो में अच्छा नहीं किया । सर पे गिर दिल्ली बादशाह दिल्लीफे मुसलमानों के पिगम नलनेके लिए फार कम सुगलकको पाक्षिणात्य पर मामरण करम, गुटम्मका टी। मुहम्मद तुगलक इस निमोहफा दमन न कर सके। उन्टेन करने लिए युलाने प्रपन कर पा मौके पर हुसेन गा नामफ एफ मुसलमानने दाक्षिगारय फिरोजगारने इम पास पर काम नहीं दिया। दिलमो. में नपे राज्यको म्पापना कर दी। इस राग्यके मापन मे फिरार महम्मा माग पनकी सर की फरने में महाराष्ट्रके छोटे छोटे राजामों को विशेष सहा. युट दिने तामिकाम लिपा था माहारा पता थी। परन्तु फापोशारफे याद हुसेनने उनको मिलता मिलता है। म णिम युग मारे गये। सिफल भुना दिया । हिदुर्भाने मोगाथा, दिल्ली साप मुसलमान मोग मोग सो गये पर का भी सम्पन्ध विशेष कर देनेसे हो ये दाक्षिणात्य मुसन- मा। १३६६ दिने frrगुमरमागो मानो' साप प्रतिनिासे मौत शांग्गे। मी मरोगे माया को पार मीर । पर उन्होंगे गुमेनको महापना की मेन मो मह यादगम्य भानन विजय नि . मर गमो दिपन मे पिनी म। में गिरा पुदिन र गरे।