पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/२३४

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१२१२ महाराष्ट्र मोर-जुमलाकी कोशिशसे इस राज्यका अस्तित्व | महम्मदको परवाह न की, न दखल दिया । अहमदने तब जाता रहा। एक एक करके उन सबके विरुद्ध युद्ध प्रारम्भ कर दिया। इमादशाही वंश। पहले जुन्नरके अन्तर्गत शिवनेरी दुर्ग (महात्मा शिवा. इस वंशके आदिपुरुष एक नेलगू ब्राह्मण थे। विजय जीका जन्मस्थान )में घेरा डाला । कई मास अब. मगरके राजाका पक्ष ले कर युद्धके समय पे वामनीवंश रोध कायम रहा. पर फिर भी मराठौने पराजय स्वीकार । के सुलतानकी सेनाके हाथ पकड़े गये थे। उन्हें | नहीं किया। मालिक अहमदने उन लोगोंसे जब अनेक सपरिवार मुसलमान बना लिया गया था। तबसे वे विद्रोह-अपराध पर क्षमा प्रदान करनेकी प्रतिज्ञा को, तव फतेह-उल्ला नामसे परिचित हुए। ये अपने कार्यदक्षता | मराठोंने विरोध त्याग दिया। पीछे पुरन्दर, मनोरञ्जन, गुणके वल पर महम्मद गवानके प्रियपाल हो गये और चन्दनवन्दन, लोहगढ़, तोरणा आदि महाराष्ट्र के प्रधान दुर्ग : इमाद उल्मुल्क उपाधि प्राप्त कर वरार प्रान्तफै सूबेदार | इनके हस्तगत हुए । राजापुर तक कोकणदेश भी इन्होंने वन गये। १४८४ ई०में फतेह उलाने 'इमाद शाह' नाम जीत लिया। स्वाधीनता लाभके पहलेसे पे जुन्नरमें रहते . धारण कर स्वतन्त्रताको घोषणा कर दी। इनके वंशधर थे। अहमदने अपने शासनाधीन प्रदेशमें ऐसा ।' अधिक दिन राज्य न कर पाये थे। अहमदनगरके सूर्य, सुशासन प्रवर्तित किया कि, लोग लाठीको मूठों पर दार ही इस वंशके ध्वस होने के कारण हुए। (१५७२ सोना बांध फर प्रकाश्य भावसे चाहे जहां जा आ सकते थे। १४८६ ई०में इन्होंने वाहानीव शके सुलतानको । निजामशाही राजयश। अधीनता अस्वीकार कर दो। दौलताबाद और जुन्नर इन . दिमप्पा बहिरु ( भैरव-बहिरमो) नामक एक ब्राह्मण दोनोंके बीच विङ्कर नामक एक ग्राम था । उस प्रामको . विजयनगरमें वास करता था । इमादशाही वशके, इन्होंने विशाल नगर.यना दिया। उनके नामानुसार उस आदिपुरुपकी तरह उस ब्राह्मणका लड़का भी युद्धमें | नगरका नाम महमदनगर पड़ा (१४८४ ई०)। मालिफ पकड़ा जा कर मुसलमानोंके हाथ कैद हुआ भौर मुसल- अहमदने 'निजामशाह' उपाधि प्रहण करके राज्यशासन मान बना लिया गया। यह ब्राह्मणका लड़का वादमें करना प्रारम्भ कर दिया। इनके समान संयतेन्द्रिय व्यक्ति मालिक नायव निजाम उल-मुल्कके नामसे परिचित | मुसलमान समाजमें उस समय दूसरा कोई न था। हुआ । महम्मद गवानके कार्यकालमें आपने द्वन्द्वयुद्ध द्वारा विवादकी मीमांसाका मार्ग दाक्षिणात्य उच्च पद प्राप्त किया था। मालिक नायवके पुत्र मालिक में इन्हींके समयमें प्रयतित हुआ था। फल स्वरूप, महा महम्मद निजामशाही व'शके आदिपुरुप थे। इनके समय- राष्ट्र के गांवों में भी तलवार घुमानेका अनुराग बढ़ने में बाहनीय शके अध:पतनके पूर्व लक्षणोंको देख कर | लगा और प्रायः सर्गत ही तलवार घुमानेके लिए रङ्ग . मराठोंने नाना स्थानों में सिर उठानेकी कोशिश की थो।। शालाए स्थापित हो गई।' राज्यमें शान्ति स्थापनके लिए मन्त्री महम्मद गवानको | - अहमशाहके बाद उनके पुत्र सप्तमयोंय घुहरनशाह