पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/२३९

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महाराष्ट्र यहां उसको निजामने मांध्रय दिया। इससे मुगलोंने मान और कार्यदक्ष ब्राह्मणोंकी सहायतासे राज्यका निजामको पराजित किया। ठीक इसी समय सन् १६२६ सञ्चालन करने लगे। अल्प समयमें ही सारे कोकण ई०में महाराष्ट्र देश लगातार दो वर्षको अनावृष्टिसे जर्ज प्रदेशके साथ निजामशाहीके वहुतेरे प्रदेश शाहजीके रित हो गया। यहुतेरे भूनों मरे, देशके पशुपक्षी मर गये, हाथ आ गये। मुगलों को दक्षिण विजय करने के लिये कितने ही लोगोंने भाग कर आत्मरक्षा को। जो देशमै वृहत् युद्धायोजन करना आवश्यक हो गया। रह गधे, घे महामारोके कारण पञ्चत्वको प्राप्त हुए । घर शाहजोके अध्यवसाय और कार्यकलापको देम मुगलोंको वन गई। इन्होंने इस देश को बार बार करना। दिल्लीसे शाहजहां स्वयं सैन्य परिचालन करनेके लिये स्थिर कर लिया था। ऐसे समय निजामने प्रसिद्ध दक्षिण में आया। शाहजीने मुगलोंको सागर प्रवाहिनी मालिफ अभ्यरके पुत्र फतेह खांको कैदसे छुड़ा कर मंत्रो मेनाको देख विजापुरके मुलतानको मुगलोंके विरुद्ध बना लिया। फल यह हुआ, कि फतेह खान अब सुल- मड़काया। सुलतानने मुरारपन्त और रणदुला खांको तानको हो कैद कर लिया और उसे मरवा डाला । सुल- शाहजीको सहायताके लिये भेज दिया। कुछ दिन युद्ध तान के प्रियतम सरदारों को इसो घटनामें प्राणत्याग करना होनेके बाद शाहजहांने सुलतानको स्ववर भेती, कि जब पड़ा था। फतेह खां ऐसा कठिन काम करने पर भी स्वयं चक शाहजोको सहायता न दागे, तब तक विजापुर पर राज्यभोग नहीं कर सका। वह निजामशाही धनवैमयके । शाही सेना आक्रमण नहीं करेगी । मुलतानने वादशाहके साथ मुगलोंके अधीन हो गया। इस मुलाचे पर कर्णपात नहीं किया। शाहजोने अपने फतेह खांके इन सब कामोंसे शाहजीके मनमें घोर । सैन्यको छोटे छोटे दलोंमें विभाजित किया और अय. धृणाका सञ्चार हुआ। उन्होंने निजामशाहीको रक्षाके वस्थित युद्धनोतिको अवलम्बन पर मुगलोंको तंग कर लिये विजापुरकी आदिलशाही सुलतानसे साहाय्यको । डाला। इधर मुगलोंने भो शाहजोको अपदस्थ करने- प्रार्थना को। साहाय्य प्राप्त होने पर उन्होंने देवगिरि मैं जरा मो बुटि नहीं की। सेन्यसजा विशेष होनेको या दौलतावादके किलेको फिर हस्तगत करनेके लिये वह मुगल सब जगह विजयो होने लगे। शाही सैन्यके यात्रा कर दी। किन्तु मुगलोंसे युद्ध करने में उनको विफ- उपद्रवसे तंग मा कर विजापुरके सुलतानने शाहजीका लता हुई। मुगलोंने निजामशाही राज्यके उत्तराधिकारी साथ छोड़ शाहजहाँके साथ सुलह कर लो। शाहजीने दश वर्षके राजपुत्रको कैद कर दिल्ली भेजा । (सन् १६३३ / कोहण जा कर माधय प्रहण किया। मुगलोंने वहां भी उनका पीछा किया। शाहजो क्लान्त हो गये थे, अतः उन्हें फिर भी शाहजी भोंसले निरन न हुए। उन्होंने मुगलोंका विरुद्धाचरण परित्याग करना पड़ा : मुगलोंको दो वर्ष तक मुगलसैन्यसे कलह कर निजामशादोकी अधीनतामें मनसवदारो करनेको उनको इच्छा थी। किंतु पुनः प्रतिष्ठा लिये प्राणपणसे चेष्टा की। इस कार्यमें शाहजहांने इस प्रस्तावको रद्द कर शाहजोको विजापुरके उन्होंने जैसा अलौकिक शौर्य और साहस प्रकट किया था, मुलतानके दरबार में रहने का आदेश दिया। मुगर्लोन सामदान दण्ट विमेद नीतिका जिस तरह उन्होंने प्रयोग निजामशाहोंके अन्तिम उत्तराधिकारी यंगधरको (सन् किया था, वह उनके अल्पवयस्क महात्मा शियाजोके । १६३७ ई०) कैद कर आगरेको भेज दिया । इस तरह टिये उदाहरण स्वरूप हो गया था। शाहजीने सह्याद्रि निजामशाही राजाके उत्तराधिकारीको समाप्ति हुई। के निम्न दुर्गम प्रदेशको हस्तगत कर मुगलोंके विरुद्धा. . आदिलशाही वंश। चरणको व्यवस्था को। यथासम्भव युद्धका आयोजन इस वंशके यादिपुरुष युसूफ आदिलशाद कुस्तुस्तु. सम्पन्न होने पर उन्होंने राजवंशीय एक दश वर्षके नियाके राजवंशमें जन्मग्रहण करने पर. मी भाग्यवश दालकको निजामशादोरायके उत्तराधिकारी विद्योपित! स्वदेश नियासित तथा नौकरोंके साथ वास करनेको 'कर राज्यसिंहासन पर बैठाया और बहुतेरे बुद्धि- । वाध्य हुआ। मन् १४५६ ई० में यह सामान्य में