पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/२४४

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महाराष्ट्र

भारतमें भी फर चाहानी राजाके प्रधान मन्त्रो महम्मद । दरवारको मापा फारसीको हटा कर फिर मराठी भाषा- गवानको अधीनतामें काम करने लगा। कुछ ही समय में कागजपत्र या अदालती कारवाई करनेको माशा दी। में अलौफिक कार्यफलसे उसकी पदोन्नति हुई : इसने इसोसे राजकर्मचारियों में मरहठोंको अधिक संख्या हो . . विजापुरकी सूवेदारोके समय महम्मद शाह याह्मनीकी गई। इसो समयसे विजापुरके मरहठोंको प्रतिपत्ति दिनों . मृत्यु हो जानेके बाद स्वाधीनताको घोषणा कर नये दिन बढ़ने लगो। निम्यालकर, घाटगे, घोरपड़े, एफले, राजवंशको प्रतिष्ठा को। युसूफ आदिलशाहकी चेष्टासे । माने और मायन्त आदि मरहठा-परिवारोंका गौरयरंथि विजापुर सौधमालाओंसे परिशोमित हुआ था। सिया- उसी समय उदित हुआ था। निजामशाह, फुतुबशाह - पन्थो मुसलमानोंको इसने आश्रय दिया था। पुर्तगीजों- और विजयनगरके राजाके साथ इनाहिमका युद्ध हुआ। . से गोनानगर छीन लेने में यह समर्थ हुआ था । शौर्य, विजयनगरके राम राजाकी सहायता कर निजामशादने विद्या और व्यवहारचातुर्य्यतामें तथा राजनीति तामें उस इब्राहिम आदिलशाहको पराजित किया था। इसी . समय केवल महम्मदके सिवा और कोई इसको वरायरीमें | समय पुर्तगीजोंने मीरज तक उपद्रव मचा दिया था। न था। इसने मुकुन्द राव नामक एक मरहठेको यहनसे किन्तु इब्राहिमने उनको दमन किया था। अन्तिम उम्र, अपनी शादी की थी। इस हिन्दू रमणोसे इसका दड़ा इनाहिम दुराचारी तथा उन्मत्त हो गया था । यहां १५५७ प्रेम था। इसके गर्भसे उत्पना इस्माइल हो इसके | ई०में परलोक सिधारा। बाद राजाका उत्तराधिकारी बना। धर्मके सम्बन्धौ । ____ इसके बाद आदिलशाह विजापुरको गद्दी पर बैठा। . . युसूफका समान ख्याल था। हिन्दुओंको खास कर मर- इसकी चेष्टासे प्राचीन पलवैमय-सम्पन्न विजयनगर । हठोंको विशेष आश्रय देता था। योग्यता दिखा फर कितने राज्यका सर्वनाश हुआ था। अलोने सत्पथमें बहुत हो ब्राह्मण और क्षत्रिय इसके राजत्वकालमें उच्च पदों पर खर्च किया था। गानमहल, जुम्मा मसजिद, शाह प्रतिष्ठित हुए थे। राजदरवारमें और सरकारी कागज | बुराज, महावुरुज आदि विजापुरको सव इमारतें मामी पत्र लिम्बनेके लिये फारसोको जगह महाराष्ट्र भाषाका | आदिलशाहकी हो कीर्ति हैं। इतिहास प्रसिद्ध चांद प्रयोग करनेका इन्होंने ही आदेश दिया था। अहमदनगर, पोवी इसोको स्त्री थी। इसके जमाने में फिर सिया सोलापुर, पारिन्दा, मोरज आदि सुदृढ़ दुर्ग आज भो मुसलमानोंका प्रावल्य हो गया। फिर नो मरहठोंकी इसको कीर्ति घोषणा कर रही है । सन् १५१० ईमें शक्ति कम न हुई। इसके राजस्व विभागमें मरहठे इसकी मृत्यु हुई। ब्राहाण ही थे। इस्माइलने अल्पवयस्क होने पर भी मुकुन्द रावको सन् १५८० ई० में इसके बाद अलोके भतीमा इमा वहन या अपनी माके साथ दक्षतापूर्वक विद्रोहो मुसल हिम द्वितीय शाह सिंहासनारूढ़ हुआ। इसको समल. ' .. मानोंका दमन करते हुए राजाशासन किया था। दक्षिण- | दारी में प्रजा सुखस्वच्छन्दतापूर्वक रहती थी। ग्राहिम देशके सभी सुलतान मिल कर इस्माइलको हरानमें | विलासो तथा गोतयाधप्रिय होने पर मो योर और समर्थ हुए। विजय नगरके राजाके साथ इस्माइलका घुद्धिमान था। धर्मविषयक शान और समदीफे गुणसे सदा युद्धर्म ही दिन बीता था। इस्माइलने चम्पामहल इसने जगत्गुर" की उपाधि प्रहण को यो। महाराम और मुगलमा किला बनाया था। २६ वर्ष तक युद्ध टोडरमलफे द्वारा प्रवर्तित (लगान) राजस्खय्यपस्था विग्रह तथा राजाशासन कर.इसने इहलोकका परित्याग | इस सुटतानको चेपासे समूचे विजापुर राज्यमें प्रच. किया । यह न्यायपरायण दूरदशी और दयालु था। , लित हुआ। राज्यकी सामरिक और भन्यान्य जगहों पर • सन् १५३४ ई०में इस्माइलका पुत्र इग्राहिम राज्य-! सुलतानने मरहटोंको अधिक नियुक किया था। इसाई । सिंहासन पर बैठा । इसने सिया मुसलमानोंको भगा! भी इसके अनुप्रइस वञ्चित नहीं हो सके। धर्मविषयमे फर सुनो मुसलमानोंको आश्रय दान किया । इमाहिमने अकबरसे भी कहीं अधिक इसको इतिहासमें स्थान