पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३०२

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२६८ पहायतवव-महानवटी दाम महायुपप गहराशरष्टिनम् । महागझी मालासे किया दुमा जाप्रशस्त होता है। पतंग' गुररागेन्द्र देवीमागसन्नितः ॥" (निधिसत्व)। "महाराजगपो मामा शारदते । ३ माघमासमें जब सूर्य उदय होते हैं उस समय गुलमायास्थिम्रपरेन रनिता सामालिका का गंगा-नाना महाशाम्पी माश साराविनाम प्रिपे ।" (RTHR) "पादयं हरि फरा' शीघरम स्परेततः । ५ वटामा ६ सपंगेद । ७ मनुष्यको ठठरी। ' दिपाार जगनाथ प्रभाकर नमोऽस्तु से। महाशादायक (म0पु0) प्लीदा गौर यल रोगनार परिपूर्ण कुरुपद मास्नान महामतम् ॥" | भोपधभेद । मातुत प्रणाली-गलीको पान, पोपनको (मनमायतत्य) । माल, सोसको छाल, अकयगको छाल और मामार्ग, (त्रि०) ४ महामतधारी, महामन करनेवाला ५: हरपकका अलग अलग शारल गैयार कर नयन श्रेष्ठग्रसमाल, पाशुपतादि प्रा।

बनाये। पोडे मोहागा, यपहार, मानिशर, पणन,

महामतयन् ( स० वि० महामन अस्त्यर्थे मतुप मस्य । होंग, दरताल, लय निगादल, जायफल, गोदना, य। मदायत नामक सामयिशिष्ट । सोनामपात्रो, गंधयोल, रिप, ममुद्रफेन, मोरा पिर. मदायनिक ( स० वि०) १ महायतपालनकारी, महायत । करो, शचूर्ण, नाभिचूर्ण, प्रस्तानम, मेनसिता करनेवाला । २ पाशुपत मतावलम्यो, जो पाशुपनमत और होगकस, इनका ममान भाग कर पूर्ण करे। करता हो। अनन्तर येतसफे रसमें भायना देकर उसे कांगको कुली मदापतिन् (सं० पु.) महामत योगनियमानुष्ठा- में रम्य ।। पादमें कपसे हककर उसे मात दिम नर. नादिकमल्यातीति यत इनिशिय, महादेय। २ उर. गरम गारमा छोडे। इसके बाद धीमी भारी । स्कट। (लि०) २माग्रतयुक्त, जिमने महाग्रत धारण यारणोयन्त्रमें पका कर नीचे उतार ले। उदा दोग पर किया हो। किसी कांच यरतनमें जल भाल कर उसमें इसकी "एतच्च स्वापि गायशाने महानतिनस्तदा। अच्छी तरह बद। पानफे साथ प्रतिदिन एक रत्तो . अनि नपश्न ते चत्वार गहयायिनः ॥" संबन करनेसे सांसी, दमा, लोदा, मोणे, ग्रहणी, रह- (कथासरित्सार ३१५६) पिस, गुल्म, अश्मर्ग, म्यन्छ, माठी प्रकारका कर, महामती (स.लिक) महामसिन देखो। भामयात, पातरता, पात, धनुमार, उमप, मामा मदामतीय (म०वि०) महापनसम्बन्धोय। नया मिमिकता मादि रोग नष्ट होते हैं। ऐमा महामात ( मलि ) लोकयुना, मनुष्यों को भोप। अग्मिय कम करता के गारमा महानादि (स.पु० ) मोहिमान्य विशेष, माठी धानमा रसां मर संयमिया माप, तो फौरन उपना महामफुनि ( स० पु.) चक्रतिमेद। दसा है। (मपसमाहर) महामतिः (म० पु. ) महत्माया मागणादयो म मदारी (दि.बी.) उदारोगमे उपकारी भी । या मामय पस्यकातिरेया महनी शनिः१२ पासुन प्रणाली-गमम्म, पश्यण, मलीक मि. मतिमय परामम, अधिक पलानिय, महादेव । ४ सय को राग, सिफल, होंग, पिर, पारा मोर ग इस पुगभेद, पुरानानुसार कृपा पार पुषका गाम ! (नि.) परादर र भागको एकस कर मरा और गितार. ५मदापराममनाली. हा पलयान। के काम, मो रसमे पागम्पर्गमापना। महागा स० पु.) महान् गृहन्दुभत्या । भोr Bारम दिशा देनम भापना की जm २ मम्पायर, एक दुम दो मामासान महो। म प महा मीर रांगा मिमाणे मा. fant (क. मदान होता है। मनार । ३ निधि नपरी बना है। नजिदिन को मारी गोली पि, गौ निधिों से पार कनपटीको दही म मा प्रतिमे भनिनाश, सोम, भा, पार,