पहासुदर्शन-महाहनु
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तरह इसमें भो सभी गन्धद्रव्यको शोधन कर लेना । जब यह रोग होता है तब आदमी सात दिनों के अन्दर
होगा। इसके व्यवहारसे विविध पातव्याधि नष्ट | मर जाता है। इसका दूसरा नाम महामुपिर भी है।
होती हैं।
मुखरोग देखो।
ऊपर कहे गये करकसे दूना फलक ले कर तेलमें पाक | महास्कन्ध (स० वि०) महान् स्कन्धोऽस्य । १ वृहत्
करनेसे लक्ष्मीविलास तेल बनता है।
स्कन्धयुक्त, बड़ी गरदनवाला । २ उष्त. ऊट।
महासुदर्शन (स.पु. ) चक्रवतीराजभेद । महास्कन्धा ( स० स्त्री० ) जम्बूवृक्ष, जामुनका पेड़।
महासुपर्ण ( स० पु.) पक्षिभेद । (सतपत्रा० १२।२।३।७) मदास्कन्धिन (सं० पु०) अष्टपदविशिष्ट जन्तुमेद, रिहो।
महासुर (सपु० ) दानवभेद, एक दानवका नाम। महास्तूप (सं० पु० ) योद्ध स्मृति-रक्षित मंदिरके भाकार-
महासुरी ( स० स्त्री० ) महादेवी दुर्गा ।
का ऊंचा स्तूप।
महासुहय (सं० पु०)श्रेष्ठ अश्व, बड़ा घोड़ा । २ एक
महास्तोम (स० वि०) स्तोमयुक्त ।
- भूपि ।
महास्त्र (सं० पी० ) अनविशेप, बड़ा अन ।
महावत (सपलो०) १ वैदिक महास्तोत्र । (९०)२/ महास्थली ( स० स्त्री०) स्थल ( जानपदकुपडगोलेत्यादि ।
ऋग्वेदके दशवें मएडलके एक अपि और उनका १-१२८/ पा ४११०४२) इति डोप महती स्थली। १ पृथ्यो। २
सूक्त ।
श्रेष्ठ स्थान, बहुत सुन्दर स्थान ।
महासूम ( नि०) महाश्चासौ सूक्ष्म । अतिशय सूक्ष्म, | महास्थविर ( स० पु०) बौद्धभिक्ष ।
बहुत वारीका
महास्थान (सं० लो०) ऊंचा और मुन्दर स्थान ।
महासूक्ष्मा ( स० स्त्री० ) मदतीय सूक्ष्म । पालुका,
महास्थानमात (सं० पु०) वोधिसत्यभेद ।
चालू।
महास्थाल (सपु०) पक्षभेद ।
महामचियूह (स० पु० ) व्यूहभेद, युद्ध के समय सेना
मामा महास्नायु (सपु०) महती स्नायुः। यह प्रधान नाड़ी
रखनेकी क्रियाविशेष।
जिसमें रक्त वदता है। इसे फंसरा या अस्थिबंधन
नाड़ो भी कहते हैं।
महासूत ( स०पु०) रणंवाधभेद, प्राचीन कालका एक
'प्रकारका याजा जो युद्ध क्षेत्रमें बजाया जाता था।
महास्नेह ( स० पु०) छदिरोगकी एक दवा ।
महास्पद ( स० वि०) महान् आस्पदो यस्य महाप्रभाय
महासेतु ( स० पु० ) १ बृहत् सेतु. बड़ा समुद्र । २
शालो, यड़ा वलयान् ।
एक प्रकारका मन्त ।
| महास्मृति (सं० स्त्री०) १ चिरप्रवलित याश्य, किंवदंती।
महासेन (मपु०) महतो सेना यस्य । १ कार्तिकेय । २ दुर्गा।
महती सेना अनुबरोऽत्य । २ शिव ! ३ महासेनापति, महाम्रग्थिन् (सं० पु०) महती सम् अस्थिमोला-सा
बहुत बड़ा या सबसे प्रधान सेनापति । ४ वृत्ताई त पितृ- अस्त्यस्येति विनि। महादेव ।
विशेष.५ एक राजाका नाम। (नि.)६ विपुल | महावन (संपु०) महान् स्वनःशब्दो यस्य। १मल.
सैन्यविशिष्ट, पड़ो सेनावाला !
सूर्य, लवाईका डंका । २ हच्छन्द, जोरका शम्म । (वि०)
महसेननरभ्यर (सं०३०) अम अर्ह तके पिता । | ३ वृहन्मदविशिष्ट, जिससे भारी गन्द होता हो। ४
महासमा (स.स्त्री०) विपुल सैन्य ।
असुरभेद।
महासेनाव्यूहपराक्रम (सं. १०) यक्षराजभेद ।। महास्वर ( स० वि०) १ उश स्वरयुक्त, धडा शन्द करने.
महासोम ( स० पु०) सामभेद।
याला। (पु०) २ उच्च स्वर, जोरफी आवाज ।
महासौपिर (सं० पु०) दस्तोटगत रोगविशेष, दांतका एक महास्वाद ( स० पु. ) स्वादु, मुमिष्ट ।
प्रकारका रोग । इसमें दांतोंके मसूड़े सड़ जाते हैं महाईस (सं० पु० ) १६सभेद । २ विष्णु । .
धीर मुहमसे यहुत दुर्गन्ध माती है। कहते हैं, फि ! महाहनु (म० पु०) माहतो धनुर्यस्य । १ गिय, महादेय ।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३०९
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