पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३२१

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मही-महीकान्त २५३ आधार। { एकको संख्या। १० सेना। ११ एका ५म-बलासना, दामा, पासना, सुदेष्णा, रुपाल, छन्दका नाम। इसमें एक लघू और एक गुर मात्रा) दधाल्य, मगोरो, बड़गांव और सतम्बा। होती है। जैसे-मही, लगी, नदो इत्यादि। _____६४-रमांस, देरोल, खेरवाड़ा, करोली, रक्तापुर, मही (हिं० पु०) मट्ठा, छाछ । प्रेमपुर, देधोजा, ताजपुरो, हापा, सातलासना, भालुष्णा, मही-मान्द्राज प्रदेशके मलबार जिलान्तर्गत फरासियों-। लिखि और हरोल। का एकमाल उपनिवेश। माहो देखो। कम-मगुना, योलेन्द्रा, तेजपुर, विश्रोरा, पालेज, महीकदम्य (संपु०) भूकदम्य । देहलोली, फससलपुरा, मादपुरा, जपुरा, रामपुरा, महीकम्प ( स० पु० ) भूमिकम्प, भूदोल। रानीपुरा, गावट, निम्बा, उम्नि, मोतफोटो। महोकान्त-यम्बई-गवर्मेएटके पालिटिकल एजेन्सी द्वारा ) इन सामन्त राज्योंका प्राकृतिक सौन्दर्य विभिन्न परिचालित कुछ देशीय सामन्त राज्य । यह अक्षा० २३ स्थानमें विभिन्न प्रकारका है। उत्तर और पूर्वमें धन- १४ से १४२८ ३० तथा देशा० ७२४० से ७४५ ०के । परिवेष्टित पर्यंतशृङ्ग है। इससे यहां अपूर्व शोभा दिखाई मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ३१२५ वर्गमील है। देतो है। दक्षिण और पश्चिम भूभाग समतल उर्वर इसके उत्तरमें उदयपुर और डूंगरपुर नामक राजपूत क्षेत्रसे परिपूर्ण है, कहीं कहीं घना जंगल भी दिखाई राज्य, दक्षिण-पूर्वमें रेवाफान्त, दक्षिणमें अगरेजाधिरत देता है। खैरा जिला और पश्चिममें वड़ोदाराज्य, महादावाद जिला ___ यहाँको मिट्टो यलुई है सहो, पर उपनाज है। कहीं और पालनपुरः एजेन्सो है। कही उर्चर कृष्णवर्णक खेत भी दिखाई देते हैं। यद इन सामन्तराज्योंके सरदार विभिन्न मर्यादापन्न है। प्रदेश उत्तर-पूर्वसे दक्षिण-पश्चिमको और ढालू चला १८७७ में उन लोगोंका अधिकार निरूपण कर यह । गया है। सरस्वती, शावरमतो, हातमतो, सारी, सात भागोंमें बांटा गया। उस विभागानुसार इदरके मेखवा, माजम, दायक मावि याहुत-सी छोटा छाटो नदियां राजा हो प्रथम श्रेणीमुक्त हुए हैं। ये स्वराज्यके दशमुण्ड- इस भूभागमें वहती हैं। अलावा इसके रानी तालाय, फे विधाता है। केवल अंगरेजी प्रजाके विचार के समय कर्मावापो तालाव, बायसूर तालाव आदि पुष्करियां मीर पालिटिकल एजेक्टको अनुमति लेनी पड़तो है। द्वितीय कुए अधियासियोंके जलकर दूर करते है। शेपोश्त घेणोके सरदार फरीय २० हजार रुपये दीवानो और तालावका परिमाण ६०७ योधा है। सभी प्रकारको फौजदारो मुकदमे फैसला करते हैं । प्राण इसमें १७२३ ग्राम और शहर लगते हैं। जनसंख्या एण्डका आदेश सिर्फ पालिटिकल पजेएट दे सकते हैं।। चार लाखके करोय है। भोल और कोलि नामक जाति ३य श्रेणोके सरदारको ५ हजार रुपये दीवानो, २ महोनेकी हो यहांफै मादिम अधिवासा है। मुसलमानों के मान- फेद और १००० २० जुरमाना तथा फौजदारी मुकदमेका मणसे उत्पीड़ित हो कर सिन्धुपासो राजपूत लोग विवार करनेका अधिकार है। किन्तु अंगरेजी मजाके मुकर अपनी यासभूमिको छोड. इस प्रदेशमें आये और जंगलों में अथवा माणदएडमें पालिटिकल एजेएरको सलाह अधिवासियों को परास्त कर यहीं वस गये। लेनीपड़ती है। ४र्थ श्रेणीके सरदारों को राज्यशासनका १५वों शताब्दीमें यह प्रदेश अमदावाद-राजवंशके कम अधिकार दिया गया है। उक्त सात थेणियोंकी। सालिका नीचे दी गई है। अधिकारमें था। उक्त राजवंशः अध:पतनके बाद १म श्रेणीमें--इदर। मुगल बादशाहने अपना अधिकार फैलाया। किन्तु देश- २य --पोल और दण्डा । का शासनकार्य देशी राजों पर हो सौंपा था। ये लोग ३य-मालपुर, मनसा, मोहनपुर । सेना भेज पर बीच बीच कर. उगाह लाते थे। १८५३ १०. ४र्थ-बोरा, पिठापुर, रणासन, पुपाद्रा, स्वराल, में महाराष्ट्रशक्तिका अवसान देख कर मंगरेज राज यहांसे घाड़ासर, कतोसन, इलोल भीर अमलरा। राजकर यसूल करके गायल्याड, राजाको देते थे।