पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३२४

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२८४ पहीकान्त-महीन . १८२०६०में अंगरेजोंने इस राज्यका शासनभार अपने हाथ, ये लोग सदाचारी हैं। मांस मछली नहीं खाते, कपाल लिया। इस समय बड़ोदाराज के साथ अंगरेजोंको एक सन्धि पर सिन्दूरका तिलक लगाते और शिर पर पीतवर्णफी हुई जिसमें शर्त यह थी, कि अंगरेजराज अपने वर्चसे | पगड़ी बांधते हैं। जंगली भीलोंने एक समय इस निरोह यहाँका कर वसूल करके वड़ोदाराजको देंगे, किन्तु बडाद । सम्प्रदायको समाजव्युत करके वहुत सताया था । राज इस प्रदेशमें सेना नहीं भेज सकते और न शासन- आखिर अंगरेजोंने योच में पड़ कर मेल करा दिया। कार्य में हस्तक्षेप हो कर सकते हैं। अंगरेजी अमलदारी राज्यको आय कुल मिला कर ११ लाख २० है। जिसमें बाद भी यहां १८३३-३६ और १८५७-५८०में दो वार १ लाख रुपया गायकवाड़को तथा आध लाख अन्यान्य विद्रोह सखा हआ। शेपोक्त विप्लव में चरिडा शेल पर राजीको करमें देना पड़ता है। यहां स्काट कालेज नामक एक छोटी लड़ाई हुई। इस लड़ाईमें अङ्रेजी सेनाने . एक तालुकदारी स्कूल है। इस स्कूलमें सिर्फ राजे । मोन्देही नगरको जोता। १८६७ ईमें पोसिनामें भी महराजेके लड़के पढ़ते हैं। अलावा इसके राजकुमार एक विद्रोह खडा हुआ। १८८१ इमें पोलवासी भीलों. नामक एफ और भी कालेज है, जिसमें सभी श्रेणीके ने सरदारों के विरुद्ध पडे. हो कर अपने अधिकारकी लड़के पढ़ते हैं । कुल मिला कर स्कूलकी संख्या - घोषणा कर दी। ____ उपरोक्त सीमान्तयत्ती भीलों और राजपूतोंकी वृथा महीक्षित् ('स० पु०) महां क्षयते इष्टे शिक्विप, तुक खूनखराधी और वाद विवाद निपटानेयों लिये सर जेम्स | चं!' राजा, पृथिवी-पति । ... माटरामने १८३८ ई० में यहां एक पंचायत बैठाई। इस | महोखड़ी ( हिं० स्त्रो०) सिकलीगरोंका एक औजार । ' प्रकार सामान्तदेशको विप-वति सदाके' लिये बुझ इसकी धार कुन्द होती है और इसमें लकड़ोका दस्ता गई। जो राय दोपी ठहराये गये उन्हें क्षतिपूरणस्वरूप लगा रहता है। इससे बत्तं न आदि खुरच पर साफ कुछ रकम देनी पड़ी। १८७३ ई०में इस नियमका अनेक किये जाते हैं और उन पर जिला को जाती है। । वार संस्कार हुथा। इस समय एक अंगरेज सेनापति मदीगञ्ज-रङ्गापुर जिलान्तर्गत एक नगर। यह अक्षा । पंचायतविचार-सभा सभापति तथा दसरे दो व्यक्ति २५४३ ३०"उ० तथा देशा० ८६ २० पू० रगपुर सदस्य हो कर विचारकार्यमें सहायता करते थे। भोल- नगरके किनारे अवस्थित है। पहले यह स्थान पार को छोड़ कर और सभी दोपी व्यक्तियोंको दण्ड देनेकी और नाना द्रोंका वाणिज्य केन्द्र था; किन्तु नवावगा - यवस्था १८७८ ईमें सारे महीकान्त राज्यमें जारी हुई। बाजार, नाना द्रयोको आमदनी और रहनी होनेके तभीसे भील और कोलके सिवा और कोई भी व्यक्ति कारण यहांके वाणिज्यमें भारी धा पहुंचा है। यहां अपने इच्छानुसार महुएसे शराब नहीं बना सकता। महोघंधल-सिंहपुराधिप राजा दिवाकरयर्मको एक ___ यहां विभिन्न श्रेणीके अधिवासियोंमें भोलगण हो । र पदवी। . दुद्ध हैं। इन लोगों में कन्या अपहरण कर विवाद करने-/- महीचन्द्र ( स० पु० ) कन्नोजके एक राजा ।' को रिवाज है। किन्तु फन्या-हरणकालमें यदि कोई उसे महोचर (स० वि० ) चरतीति चर गर, महहां शरः। | पृथियोचारी, पृथ्यो पर विचरण करनेवाला। देख या पकष्ट. ले, तो कन्याका पिता उसे अच्छी तरह दण्ड देता है। ये लोग स्वजातिको विपद्में देख कर मदीचारो ( स० वि०) १ पृथ्यो पर चलनेवाला। (पु०) . २ महादेव । चुपचाप बैठ नहीं रहते, जीज्ञानसे उसके उद्धारको मदीज ( स० पु०) मह जायते इति जन३ । १ भाद्रक, फोशिश करते हैं। अदरक । २ मंगलप्रदा . इस भील सम्पदा अधिकांश भगत् वा भागवत : वी रसान्धी सितगौ हपाधी दय' महीने बिधुमे शराष्टी। कहलाता है। ये लोग भील सप्दारयो खेराड़ी मुरमलके गरी शराष्टो भृगु तृतीय शनी रसान्तमिति पापाम् ॥" . लिप्य र रामोपासक है। उच्चश्रेणीके हिन्दूकी तरह। (समय )