पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३२६

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२८४ महोपालदर-महोरंजस. एक सामान्तराज। ४ चूड़ासमा वंशीय दो नरपति । ५। चोरी पर एक दुर्ग है। जनसाधारणका विश्वास है कि फच्छपघातवंशीय एक राजा। ६पर कलोजाधिपति ।। मरहठोंने यह दुर्ग बनावाया था। मुसलमानोंने मराठोंक ये १७७३ ई० में विद्यमान थे। . हाथसे यह दुगं ले लिया। पर्वतके ऊपर एक प्राचीन महोपालदेव-एक हिन्दू राजा। फतेपुर जिलेके अग्नि देव मन्दिर भी देखा जाता है। नगरको शिलालिपिसे जाना जाता है, कि ६७४ सम्बत्में | महोम (हिं० पु०) एक प्रकारका गन्ना । यह पीलापन लिए ये राज्य करते थे। हरे रंगका होता है। इसे पूनेका पौदा भी कहते हैं। महीपालपुर--प्राचीन दिल्लीके उत्तर पश्चिममें स्थित महोमय ( स० वि० ) मद्या विकारो हयययो घेति महो.' एक विख्यात बड़ा ग्राम। यह कुतुव-मसजिदसे मयट् । मृत्तिका निर्मित, मिट्टोका बना हुआ। दो कोस दूर पड़ता है। यहां सुलतान घाजी, सुलतान! "तो तस्मिन पुजिने देव्याः कृत्वा मूर्ति महीमयीम्।। रुपन उद्दीन फिरोज और सुलतान मूयाज उदोन बहराम अईनाव ऋतुस्तस्याः पुष्पधुपामितयः ।" फा समाधि मन्दिर विद्यमान है। सम्राट फिरोज शाह (मार्क.पु. ६३७) अपने फतूहत इफिरोजशाही नामक ग्रन्यमें इसके पासके महीमहेन्द्र (स.पु० ) मद्याः महेन्द्रः । पृथ्वीका राजा, मलिकपुर प्रामका उल्लेख कर गये हैं। मलिकपुरके जनः । महीपति । शून्य होनेसे ही इस गांयको श्रीवृद्धि हुई। महीमूढ़-गुजराधिपति महा द विकाडाका मिलाफलक महीपुल (सं० पु०) महाः पुनः। मंगलग्रह। पर लिखा हुआ नाम। महीपुर-दिनाजपुर जिलान्तर्गत एक नगर । यह राजा मही महीमृग (सं० पु०) मृगभेद ।' पाल द्वारा वसाया गया है इसलिये इतना प्रसिद्ध है।. | महोयस ( स० वि०) मह-ईयसुन् । अत्यन्त महत, बहुत . महीप्रकम्प (सं० पु०) महाप्राकम्पः । भूमिकम्प, भू-डोल। यड़ा। . मदीप्ररोह (सपु०) वृक्ष, पेड़। महीयत्व (सलो०) महोय त्व । श्रेष्ठत्व, श्रेष्ठता। महोप्राचीर (सं० लो०) मद्याः प्राचोरमिय, सर्वदिक्ष महोया ( स० स्त्री० ) मुख, भानन्द। . स्थितत्वात् तथात्वं । समुद्र । महीपाल-गाइड़वालय शोय एक राजा। महीप्रावर ( सं० पु० ) समुद्र । महोयु ( स० वि०) सुनी। . महोभट्ट (सं० पु०) एक वैयाकरण । महोर ('हि० स्त्री० ) १ यह तलछट जो मपक्षन तपानसे महीभर्तृ (सं० पु० ) मद्या भर्ता । १ राजा १२ विष्णु। नीचे बैठ जातो है। २ म8 में पकाया हुमा चोयल, महे। महोभार ( सं० पु०) मया भारः। भू-भार, पृथ्योका बोझ। को खोर । महीमुफ (सपु०) राजा। महोर-मिरजा महम्पद अलीका एक नाम । इनका यास: महीभुज् (सं० पु०) महीं भुनक्ति भुज-किए । राजा। । स्थान आगरा था। इनके पिता हिन्दू थे मोर मोर- महीभुजि तिन् यजुमरी नामक तन्त्रमन्धफे प्रणेता । जाफर मुमाइको समामें श्लेषयकाका काम करते थे। महोत् (सं० पु० ) महों विति, धरतीति भृ-फिए । मोरजाफरके कोई सन्तान न थी इसलिये उन्होंने महार (इषस्य पितिकृति नुक । पा ६१२५) इति तुगागमश्च ।। को मुसलमान धर्ममें दीक्षित कर पोण्यपुर बनाया था। १पर्वत, पहाड़। २ राजा। महीरने मीरजाफर द्वारा मुक्षित दो अनेक प्रकारको महोमघयन् (सपु०) मा मधया । पृथ्योका इन्द, अन्य-रचनासे 'मदोर' को सिताय पाई । सम्राट पृथ्योका राजा। 1 औरङ्गजेवका गुणफीर्तन कर उनके राज्याभिषेक समय महीमण्डल (सलो ) मसा मण्डल। पृथ्वी, ममंगल। इन्होंने "गुल-मा-औरण" प्रन्यकी रचना को । महीमण्डलमदास प्रदेश उत्तर भारकट जिलेके चित्तुर महोरसस (सलो ..) मा. रजः । पृथ्वीको रे.. , तालुकफे अन्तर्गत एक प्राचीन नगर । । यदा पहाड़को । धूल ।