पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पद्देशु-महेश्वर २११ बड़ा मेला लगता है। रथयाताके समय जगन्नाथदेव चार हजारसे ऊपर है। १८६९ ई० में म्युनिस्पलिटी आठ दिन तक यल्लमपुरमें राधावल्लभपुरके मन्दिर मा स्थापित हुई है। फर रहते है। इस बाट दिनके मेलेमें लाखसे अधिक महेशपुर-नरमुक्तके अन्तर्गत एक मानीन यड़ा प्राम। मनुष्य समागम होते हैं। महेशपुर-शोर जिलांतर्गत एक नगर। मह प्रक्षा० महेश-१ एक आभिधानिक । २ प्रगोगचिन्तामणि २२५५ ५५” उ० तया देशा० ८८५६५० १०के मध्य नामक व्याकरणके प्रणेता । ३ सुवर्णमुक्ताविवादके यवस्थित है। रचयिता । ४ स्मृतिसार और व्यवस्थासारसंग्रह महेशभट्ट-स्मार्गप्रयोगरतहिरण्यकके प्रणेता, महादेव नामक दो अन्धके प्रणेता । अन्तका एक अन्ध इन्होंने भट्टके पुत्र । अपने पिताके स्मृतिसारसंग्रहसे संकलन किया । ५ महेशमिश्र-निदोपकुलपश्चिम नामक राढ़ीय कुलप्रन्यके एक प्राचीन कपि, अनिके पुत्र और जोटिङ्गकेशरके पौल। प्रणेता। ये गुहिलवशीय मेवाड़राज्य राजमलके सभासद थे। महेशवन्धु ( संपु०) महेशो यध्यते कशीक्रियते येन महेशकवि-सदाचार चन्द्रोदयके प्रणेता। पेमारखत लक्ष्मोस्तनजन्यत्वात् । श्रीफलपक्ष, येलका पेड़। दुर्गशर्माके पुत्र और मिशिलावासो पुरुषोत्तमके शिष्य , मह शास्य (स' ति०) १ पति प्रसिद्ध, बड़ा नामी । थे। (पु०) २ महश, शिव।। महेशवाल-बङ्गालके चट्टग्राम जिलेके दक्षिण पाश्वस्थ महेशान (स० पु० ) शिय, महादेव । एफ द्वीप। यह अक्षा० २१३६३० तथा देशा० ६ महेशानी (सस्त्री०) दुर्गा । ५७ पू०के मध्य अवस्थित है। इस द्वीपो मध्य धीर । मद्देशित (सपु०) शिव, महादेव । पूर्वदिशामें कम अचाईकी शैलभैणी है। उक्त शैलमाला- महश्वर (सं० पु०) महाश्चासायीश्वरश्च कम- की प्रागचोरी सबसे मशहूर है। इसकी ऊंचाई करीव फतुमन्यथा फतु या समर्थः यता महत्या महामायया ३ सौ फुट होगी। ईश्वरः शिव, महादेव। महेशचन्द्र-वैद्यकसंग्रहको रचयिता। इसको व्युत्पत्ति :- महेशठपकुर-१ तत्त्वचिन्तामण्यालोकदपणक प्रणेता। "विश्वस्थानाच सर्वे पो महतामोश्चरः स्वयम् । २ तिथितत्त्व चिन्तामणि, मलमाससारिणी और सर्व- महेश्वरच तेनेम प्रयदन्ति मनीषिणः ॥" देववृत्तान्तसंग्रहके रयिता । (बाय यत् पु० प्र० ख० ५३ म०) महादेशदत्त ब्राह्मण-एक भाषाकवि । आप धनौली। ये मसारके सगी प्राणियोंफे प्रभु हैं इसलिये उनका जिल्ला वारायांकोके निवासी थे। संस्कृत भी आप महेश्वर नाम पड़ा है। २ परमेश्वर । को अच्छी व्युत्पात्त थी। "यायोन कादश तेजसो गुणा जनक्षिति प्रायभूतो चतुई।। महेशनन्दो-पटकारक नामक व्याकरणके प्रणेवा। । दिककालयोः पन पड़ेव चामरे महेश्वरोध्यौ मनसस्तव ॥" महे शनारायण-सात्वताचरयादार्थ या भकिविलास (न्यायशास्त्र) तत्त्वदीपिका और हमाङ्गिको गौरादेवस्तुतिके रचा. __महान इंश्यरः प्राजानां प्रभु। ३ ऐश्वर्यशाली रामा, पिता। इन्होंने पण्डिश्रेष्ठ राधारमन दाससे शिक्षा पाई। प्रतापवान् राजा । ४ श्वेत मन्दाय सफेद मदार । ५ स्वर्ण, सोना। महेशपाल-वालियर एक प्राचीन राजा। महेश्वर-मध्यभारत एजेन्सीफे इन्दोरराज्यके अन्तर्गत एक महेशपुर-यशोर जिलेके वनगांव उपविभागका एक शहर। नगर। यह मझा० २२११३० तथा देशा०७५३६ यह अक्षा० २३२९ ३० तथा देशा० ८८५६' पूके के नर्मदाके दाहिने किनारे अवस्थित है । जनसंख्या मध्य फपदक नदीफे किनारे अवस्थित है । जनसंख्या ! सात हजारसे ऊपर है।