पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३४३

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महमूद ३०३ भूमिको उसने पार किया, उसमें पहले और किसीने भो । सन् १०१८-१६ ईमें इसका मधुरा और कन्नौज उसे पार नहीं किया था। पर यारहवां आममण हुभा। लोहकोटसे पराजित हो • थानेश्वर के निकट निर्मलजल स्रोतस्विनी बहती थी। फर महमूदको कई दिनों तक आहार निद्रा आदि त्याग. महमूदने नदोके उत्पत्ति-स्थानमें जा कर देखा कि हिन्दू- करना पड़ा था किन्तु फिर यह भारत पर चढ़ाई करने. सेना हस्ती, सच और पैदल आदिका ब्यूद रच कर खदी का उपाय सांचने लगा। मयुग और कन्नौजको धन- है। महमूदने हिन्दुओंके सम्मुख कुछ थोडी सी सेना रख राशिका सुखद समाचार उसके कानों को सुनाई दिया। और सेनाओं को दूसरी ओर उस नदीको पार करनेका आदेश इस बार उसने वीस हजार नये सैनिक मती कर भारत- दिया । हिन्दू दो तीन ओरसे आक्रान्त होने पर भी भीम.. की योर याला को । पराक्रमसे युद्ध करने लगे। उस दिन शाम तक किमी-: इस यार महमूद एक लाख घुइसयार सैनिक तथा ने भी विजय नहीं पाई। अन्तमें विजयलक्ष्मी मुसल-: वीस हजार पैदल ले कर चला । तीन महीने अनवरत मानोंको अङ्गशायिनी हुई। सिवा एक हाथीके सभी चल कर उसने मिन्धुनद पार किया। इसके बाद टेलम हाथी महमूदने छीन लिये। (नाव), चन्द्रभागा, रादी, ध्यासा, सतलज आदि पांच ___वोस हजार सैनिक इस युद्ध में मारे गये। रक्त गदरी नदियों को पार कर महमूद पक्षाव पहुंचा । काश्मीर मोतसे नदीका श्वेतनिर्मल जल रक्ताभ हो कर मानय , का एक शासक उनका पथ प्रदर्शक बना । दिनरात समाजके लिये अपेय हो गयो। थानेश्वरमा अतुल ऐश्वय्यअविश्रान्त चल कर उसने सन् २०१८ ६०की रो दिम महमदके हाथ लगा। वहांकी 'जगमोर' प्रतिमूत्ति दरको यमुना नदी पार किया। रास्ते में जो पदादो किले गजनीमें लाई गई। वहां उस मूत्तिको बीच रास्तेम मिलते गये, उन्हें एक एक कर जोतता गया और लूट. खड़ा कर दिया गया। भीर जो जाता था, उम मूत्ति : पाट मचाता गया। अन्तमे यह युलन्द शहरमें दाखिल परचरण प्रहार करता था। अन्तमें मुसलमानान उस हुआ। यहां हरदत्त नामका एक राजा राज्य करता था। मूर्तिका सर अलग कर दिया । मन्दिरफे भीतर कुधेर मन्लियोंने मुसलमानोंको सनाको देख कर हरदउसे के भएडारकी अगणित धनराशि थी। कन्दहारके हाजो कहा, स्वगीय दूत पृथ्वीमें पर्मप्रचार करनेके लिये महम्मदका कहना है, कि उस धनका एक होरा ४५० : अगणित सैन्य ले कर मापक राज्यमें आ रहा है। मिकाल वजनमें था। ऐसा घड़ा हीरा पृथ्योमें, माकाशमें विमान पर भारूढ़ हो देवकन्यायें अपने घेयुः दिखाई नहीं देता । महमूद सारा धन ले कर थानेश्वरसे तिक प्रकाशसे दिग्मएडलको प्रकाशित करती हुई उसके चला । उसको इच्छा रास्ते में दिल्ली जोतनेको थी, किन्तु साथ आ रही है। अब हम लोगों की रक्षा नहीं । राजाने उसके सैनिकोंको इच्छा न रहनेसे उसको इस कामसे, पछा, कि तब हम अपने धनजनकी रक्षा कैसे करें इस विरत होना पड़ा। जाते समय महमूद दो लास नर पर विचक्षण मन्तियोंने कहा कि तुम मुसलमान धर्म नारियों को फैद कर ले गया। दिन्दुओंके गजनोमें पहुं। । प्रहण करो। 'चने पर यह हिन्दू नगर सा जान पड़ता था। सन् ' १०१६ में इसका लोहकोटका ग्यारहवां हरदत्तने राज्यको प्रतिमाओको नदोगर्ममें सुरक्षित कर अपने १०००० साधियोंके साथ महमूदके सामने पहुंच बाक्रमण है । लोहकोट किला काश्मीरकी राहमें। थत्योच पर्वतको चोरों पर बसा हुगा है। महमूद इस मुसलमान धर्म स्वीकार कर लिया। यहांसे कुल्यांद- के प्रसिद्ध किले की ओर मदमूद स्याना हुआ । यहाँ चढाईमें बहुत ही क्षतिग्रस्त हुआ। तुगरपात और पहुँच उसने एक फरोड़ रपपा तथा ३० दायो लिये थे। वादसे उसके बहुत सैनिक वह गये या मर गपे । इसके पहले महम्दको इतनी गहरी क्षति नहीं हईयो और। कुलचाद एक पीर राजा था। ममर-विजयो कहकर 'न यह खाली दाय फिराहोथा। इस धार उस खाली। यह भारत में प्रसिद्ध था। उसकी राजधागो चारों मोरम हाय गजनी लौरना पड़ा। । दुर्भत किर्लोम घिरी हुई थी। चारों मोरसे बात बढ़