पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३५

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मशक-मथुन समयजो मन् भन् शब्द होता है, यह उनके मुषका मगफिन (सं० पु०) मशकाः सन्त्यस्यामिति मगक इनि । शब्द नहीं है। घने नोंके चलनेसे ही ऐसा शब्द निक- उदुम्बरवृक्ष, गूलर। लता है। | मशधात ( अ० स्त्री०) १ श्रम, मेहनत । २ वह परिधम जो वर्तमान वैज्ञानिक मशकके काटनेसे ही मलेरिया जेलखानेके कैदियों को करना पड़ता है। ज्यरकी उत्पत्ति बतलाते हैं। मगवत (सं० पु. ) मग नामक रोग। २ महाभारत के अनुसार शक द्वीपमें क्षत्रियोंका | मशगूल (अ० वि०) प्रवृत्त, फाममें लगा हुआ । पक एक निवासस्थान | ३ गार्म गोतम उत्पन्न एक | मशग्टद ( स० पु. ) गुल्मभेद, एक प्रकारको लता। भाचार्यका नाम। यह एक कल्पसूत्रके रचयिता थे। ४ मश: ( अ० पु०) एक प्रकारका धारीदार कपड़ा। यद मसा नामक.चर्म रोग। मनुष्य के शरीर पर कहीं कहीं। रेशम और सूतसे बुना जाता है। मुसलमान स्त्री-पुरुष काले रंगका उभरा हुआ मांसका छोटा दाना दिखाई देता इसका पायजामा यना कर पहनते हैं। यह अधिकतर है, उसीको मशक कहते हैं । यह पोड़ा नहीं देता और वनारसमें यनता है। सदाके लिये रह जाता है। (मुश्रुत निदानस्था० १३ २०) मशविरा (अ० वि० ) परामर्श, सलाद । "आवेदन स्थिर व यत्तु गाने प्रभ्यते । मशहरी (मं० खो० ) मशक-हरी, मसहरी। गापवत् कृष्यामुत्पन्न गनिन मशकं दिशेत् ॥” (भावम०) | मशहर ( म०वि०) प्रसिद्ध, विख्यात । मशकरोग होने पर शस्त्र द्वारा 31 काट डालना मशान (हिं० पु०) यह स्थान जहां मुरदा जलाया जाता चाहिये। पीछे उस काटे हुए स्थानको क्षार घा अग्नि-1 है, मरघट । से जला देना उचित है। ऐसा करने में यह रोग भारोग्य मशान~यादेश प्रवाहित गएडकनदीको पक शाला। हो जाता है। यह सोमेश्वर पर्यंतसे निकल कर चम्पारन जिला होती "चर्मकीन जनुमणि मशास्तिलकानकान । दुई सोमेश्वर दुर्ग तक चली गई है। यहां दूणनदीफे उत्कृत्य शस्तेण दहेत क्षाराग्निभ्यामशेषतः ॥" जलसे इसका भायतन बहुत बड़ा हो गया है। इस (भायप्र०)। नदीके जलसं गृहस्थ लोग अपना अपना खेत पटाते हैं। मशकके स्थान पर लसुनको पोस कर गा देनेसे | नदी खूब चौड़ी है। यऋितुके सिवा अन्य ऋतु में इसमें घदत जल्द चंगा हो जाता है। जल नहीं रहता। "मशुनानान्तु चूर्णस्य घर्षों मशरुनाशनः ।" मशाल (अ० पु०) ५ प्रकारको मोटो बत्ती। इसके (गरुड्पु० १७५५०)। नीचे पाने के लिये काठका एक दस्ता लगा रहता है। मशक (फा० स्त्री०) चमड़े का बना हुआ थैला। इसमें | इसे हाथमें ले कर प्रकागके लिये जलाते हैं। यह वत्ती- पानी भर कर एक स्थानसे दूसरे पर ले जाते हैं। की यनाई जाती है और चार पांच अंगुलफे प्यासको मशफफुटी (सं० स्त्री०) मशक सन्ताड़नार्थ चामरभेद, तथा दो दाई हाथ लंदी होती है। जलते रहनेके लिये मच्छड़ाहांकनेको चौरी। इसके मुंह पर बार बार गेलफी धार डाली जाती है। मशकजम्मन ( स० लो०) मशरु-विताड़न, मच्छड़ | मगालची (फो. पु०) मशाल दिखानेवाला, मशाल जला हांकनो। कर हाथमें ले कर दिरालानेवाला। मशकवरण (सं० प्ली०) मच्छड़ हांकनेको चौरी। मशीपत (अ० स्रो० ) गोप, घमंश। मशकहरी (सं० स्त्रो०) मशकं हरतीति । (हरतेरनुय- मशीन (अॅप्रो०) किसी प्रकारका यात्र जिसकी सहा- मनेऽच् । पा सरा) इति अच् । माकनिवारक प्रावरण यतासे कोई चीज तैयार की जाय।। विशेष, सहरो। पर्याय-चतुष्फी। । मशीर ( भ. पु०) मायरा देनेवाला, सलाह देनेयाला। मशकावती (सं० सी० ) १ नदीभेद । ,२ सागरमेद। मन् । सं० पु०) कु.पकुर, कुता ।