पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३५५

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महमूद खां खिनली । द्वारा इसको पहले ही खबर लग चुकी थी। इसलिये। इस समय गुजराती सेनादलम हैजा फैल गया इस- ने भी दलबल के साथ विलकुल डटे हुए थे। उसी अंधेरी से अहमदशाह सब दलवल लौट जानेको याध्य हुए। तको दोनोंमें युद्ध होने लगा। सवेरा होने पर मह दने । उनका रोगग्रस्त सेनादल छत्रभङ्ग हो गया । अहमदके चुनः दुर्गमें प्रवेश किया। मरने पर उनका लड़का सुस्तान महम्मद गुजरातके राज- ____ जय महमूद युद्धविनइमें लिप्त थे उसी समय अह्मद सिंहासन पर बैठा । १४५१ ई०में चम्पान दुर्गको जीतने. शाहफे पुल महम्मद खाने ५ हजार घड़सयार सेना ले | की इच्छासे उसने राजा लिमङ्गन्दासके लड़के गङ्गादास- कर सारङ्गपुर जिले पर आक्रमण कर दिया । इसी के विरुद्ध युद्धयात्रा कर दी। युद्धौ हार खा कर गङ्गा. समय होसङ्ग खांक लड़के मसूदने भी चन्देरीमें विद्रोह . दासने दुर्गमें आश्रय लिया। कुछ समय यहां रह जानेके यहि प्रज्वलित कर दी। इस प्रकार चारों ओरसे शवों | ‘वाद रसद घट गई जिमसे सेनाको भारी कष्ट हुआ। दारा घिरे जाने पर भो मलद जरा भी विचलित नहीं अय वचावका कोई रास्ता न देस गङ्गादासने माण्डुकं इए। ये बड़ा होशियारीसे अपनी सेनाको प्रसन्न रखने | राजा महा दस महायता मांगी। मम दने सहायता देना की कोशिश करने लगे। दुर्ग में रसदका अभाव न हो | स्वीकार किया। इस लिये वे दलपलके साथ मालवा और गुजराती सेनाका रसद न मिल सके, इसका भी | सीमा पर अवस्थित दाहोड़ नगरने जा धमके। दोनों नह्मा दने अच्छा प्रयन्ध कर दिया। पक्षमें लड़ाई छिड़ गई। गुजराती सेना हार खा कर अधिक काल इस प्रकार दुगमे यावद्ध रहना अच्छा न भागो। बादमें मह्म द भी अपने राज्यको लौटे (८५४ समझ कर महमूद ८४२ हिजराम नारापुर दरवाजेसे निकल हिजरी)। दल वलयो साथ सारङ्गापुरको चल दिये। राहमें चम्बल महम्मदको भोरु तथा राजकार्य चलानेमें असमर्थ नदी पार करते समय गुजराता सेनापति मालिक हाजीके | देख सुलतान महमूद गुजरात पर चढ़ाई करनंको तैयारी साथ उनकी मुठभेड़ हुई। युद्धमे हार का कर हाजी करने लगे। इस समय मुसलमान-साधु शेख कमालके नागा और महमूदका सवाद अपने राजासे जा कहा। बहकानसे उन्होंने गुजरात पर चढ़ाई कर दी। बदनुसार गुर्जर राजन अपने लड़के महम्मद स.को उनका | महम्मद उनके आनेका संवाद पाते ही नावसे डिउनगर नुकाबला करने के लिये कहला भेजा । महम्मद उजयिनो भागको तय्यारी करने लगा। उमरावोंने जब देखा, कि के रास्तेसे लौट कर जब पिता समीप पहुंचा, तव उधर महम्मद राज्यरक्षामें अपनेको असमर्थ जान कर भाग रहा चारङ्गापुरके शासनकर्त्ताने मह मूदका साथ दिया। तब है, तब उन्होंने उसकी बीवीसे यह हाल जा कहा । आखिर कत्-इ-अकवरी पढ़नेसे मालूम होता है, कि महमूद सोंने सलाह कर भीर महम्मदको विप खिला कर मार हम्मदको खदेड़ते हुए उन्नयिनी तक आये थे। इसी डाला। मौके पर उमार खां चन्देरीसे सारङ्गपुरको ओर यढ़ा।। ८५५ हिजरीमें महम्मदके स्वर्गवास होने पर उसका वह संवाद : पाते ही महमूद लोटे और शतुनाशको | वडा लडका सुलतान कुतबट्टीत वडा लड.का सुलतान कुतुबुद्दीन गुजरातके सिंहासन नय्यारी करने लगे। पर बैठा। इस समय मुलतान महमूद खिलजीने दल- ___उमार खांन मह मुदको आगमनवार्ता सुन कर पुछ। वलके साथ आ कर भरोच दुर्ग पर आक्रमण कर दिया। सेना इकट्ठो की और गुप्तभावसे उनका काम तमाम करने- दुर्गाधिप मालिक सोजी मर्जान खां उन्हें आत्मसमर्पण न . को कामनासे वे सबके सब राह में छिप रहे । मह दका करके दुर्गरक्षाका आयोजन करने लगा! . . . भाग्य अच्छा था, वे उसी रास्तेसे दलबल के साथ, आ अनन्तर सुलतान वहांसे बड़ौदाकी ओर चल दिपे। रहे थे। उमार पर उनकी निगाह पड़ गई। अब कोई बडादा लूटनेके बाद उन्हें मालूम हुआ, कि 'सुलतान उपाय न देख उमारको सम्मुख युद्धमे प्रवृत्त होना पड़ा। फुतुबुद्दीन अहमदाबाद के कुछ वोरचेता व्यक्तियोंकी युद्ध में उमार खां मारा गया।.., सहायतासे माहेन्द्री तीरवची खानपुर यांकानोरमें उनके