पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३५७

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. ३१३ महमूद गवान-पमूद विगाड़ा "था मालयमें,. आलप पांके यहां शरण न. मिली, तव । था। यथार्थमें इन्हीं के नीतिकौशलसे दाक्षिणात्यके कन्नौज राजधानी में जा कर रहने लगे। तैमूरके जानेके राजन्यवर्ग-सशङ्कित हो गये थे । मृत्युसे कुछ काल बाद फिरोज शाहके पौत्र तथा फतेखांके पुत्र नसरत ग्या- पहले इन्होंने महम्मदशाहका गुणानुकीर्तन करके एक मे.मसरत् शाह नाम धारण कर दिल्ली-सिंहासनको अप• पदको रचना की थी। ये रोजात् उल-हनसा तथा और निाया। इस समय दिल्ली दरवारमें सिर्फ एक आदमी भी कई पत्र लिख गये हैं। .. की चलती थी.जिसका ताम पफवाल खां था। आखिर महमूद घोरी ( गयासुदीन ) भारत-विख्यात गयासुद्दीन -१४००ई० में दिलो-सिंहासन पर एकवाल खाने ही कब्जा महम्मद घोरीका,लड़का और शाहबुद्दीन महम्मद घोरीका 'किया। १४०५ ई०में अमीर तैमूरके मरने पर: एकवाल ) भतीजा.। यह १२०६ ई०में घोर और गजनीके सिंहा. खाने सुलतान मह मुदको जन्त करनेकी इच्छासे कन्नीज सन पर बैठा ।: आखिर यह ताजउदोन पिलदुजको पर चढ़ाई कर दो। किन्तु मनोरथ सिद्ध नहीं हुआ) गजनीका सिंहासन छोड देनेको.वाध्य हुआ। १२१० और चे पुनः दिल्ली लौट भाये। . ई०में इसकी मृत्यु हुई। i... दूसरे धर्म १४.५ में जाफर खां सुलतानके | महमूद तानिजी-ताविजवासी एक मुसलमान-कवि। T.सहायतार्थ दलबल के साथ दिल्लीको रवाना हुए। इसी येमिफताह-उल-याजाज नामक अपने प्रन्थमें सूफोमतकी • समय उन्होंने सुना, कि खिजिर सांके साथ भीषण विशेष प्रशंसा कर गये हैं। ..युद्ध में एकबाल खां मारा गया। अतः उन्हें यात्रा रोक महमूद तिस्तरी-जुलशान-ए राज नामक काव्यप्रणेता ।

देनी पड़ी।

| जन्मभूमि तिस्तर नगरमें ही १३२३ ई०में अर्थात् अन्या- • एकवाल खांका मृत्युसंवाद पा कर सुलतान मह - यलो शेप करनेके तीन वर्ष पोछे इनकी मृत्यु हुई। भूद दिली लौटे और उसी सालफे दिसम्बर, मासमें महमूदपर्शा (ख्वाजा )-महम्मद पर्शा देखो । दूसरी बार दिल्ली तख्त पर बैठे। किन्तु प्रादेशिक महमूद मुला-महम्मद मुल्ला देखो। . . . शासनकर्तामोंने मव उनकी मधीनता स्वीकार न की। महमूद लोदी-विहारके एक पठान शासनकर्ता, सिकन्दर वे लोग राष्ट्रविप्लवमें शामिल हो कर स्वाधीन हो| लोदीके पुत्र । शूरवंशीय प्रसिद्ध पठान सरदार इनके गये।।१४१३ ई०फे मार्च.मासमें सुलतान महमूदको अधीन काम करता था । मह मृद धायर शाह द्वारा परास्त मृत्यु हुई।। उन्होंके कुशासनसे दिल्लीसाम्राज्य तुर्क हुए थे। जातिके हाथसे निकल कर दौलत खां लोदीके हाथ महमूद विगाड़ा-गुजरातके एक विख्यात सुलतान, सुल- १.लगा. .. तान महमादशाहके पुत।। इनकी माताका नाम बीवी महमूद गवान-एक राजनैतिक, मुसलमान । साधा- मोगली धा। इस कारण सुलतान कुतुद उद्दीनशाह इनके रणतः मालिक उत्-तजर ख्वाजा जहान नामसे इनकी पैमात्रय भाई होते थे। १४४५६०में इनका जन्म हुआ। प्रसिद्धि थी। ये दाक्षिणात्यके वाहनीराज निजाम पिताने इनका प्यारका नाम फतेको रखा था। शाहके पंजीर थे।. २य महम्मदके शासनकालमें पकिल- सुलतान कुतुब-उहीनने महमूदका काम तमाम करने- -उस-सुलतानका काम इन्हीं पर सौंपा गया। इनके जो].,के लिये पड यन्त्र रचा | माता मोगली, इस:वातको ., सव-शतु थे, ये हमेशा.इसो.फिलमें रहते थे जिससे यह ताड़ गई, सो यह प्यारे पुत्रकी जान बचाने के लिये उसे राजाकी आंखोंसे उतर आये । आखिर एक दिन सोने पड़। अपने बहनोई।...शाह आलम (L,गुजरातके, प्रसिद्ध 1 यन्त्र रच कर इनके. विरुद्ध जालसाजीका अभियोग "मुसलमान काफीर बुरहान उद्दीनके पुत..के घर. छिपा लगाया। राजाने इस धातका पता लगाये विना हो इन्हें रखा । कुतुबशाह यह संवाद पा कर बहुत विगष्ठा- और प्राणदएडका हुकुम दे दिया। मह.मूद विशेष सुशि- शाह मालमके. घरको, ध्वंस करनेकी इच्छासे उसने >क्षित व्यक्ति थे। राजनैतिक विषयमें इनका पूरा दखल । रसूलाबाद नगर लूटनेका हुकुम दे दिया। लूटपाटमें ___Vol XVII, 79