पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३८२

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स टि टर. अदल लिंEARTमरपोर, .. म. गां । ये मुटेकाड ऋट हैं। डर को हनन्द न ___माठ वर्ग मान्दाज में रहने वनवादाम गरिटमाटा , नोट : पारयाले हा घन्टा इंदाय र हो । फलाने पाक दा . . . . . . . . . . . . चलायो गणे। उन गा. यस्यागीको आभय नही दि दिनों बाद इ, पलिनमान्नेट दया नविर-वामीर की मं दा .रादि, हल्ली। किंगनो काम मिला। धमन्द अग्टे। गांचे उहः २, ऋदे. मीटामसी 14 गोरोचन । गई। इस माय मयादपनि लादेने और उनीलो देव हटको हो। जाना

. . . मल्लयुद्धमा (मंः खोद शवपुली। १८५७६०फे प्रारम्भमें इन की मांट (मः पुः) यह रुम गीत जो विवाह भादि प्रकाशित हुभा। कुछ दिनोट होने पर प्रति वरने वाहर गन अवसरों पर गाये जाते हैं। चार तिलोनमासम्मका नोयचा, यव। इन मय प्रन्योम भी इन्होंने प्र... माङ्गल्या (संसो.) गोरोचना। २ शमोन, गमी. प्रकटना प्रचलित नहीं है। माया: हाड़। ३जीयंती। हो कर पाश्चात्य अन्धकारोंगो "" मरण किया था। निशाले युवा होने पर ही 'इल पर माल्यागुंग । सं० पु. ) अगुरभेद । इसका गुण शीतल, . १८६१६ में मधुसूदनने या मृगन्य, योगवाद और श्रेष्ट माना जाता है । ( राजनिः). गाद काम्पको सपना को। रिटे तया देड़ दिन तक सौच मारल्याहा (सं० स्त्री०) माइलस्य महो। सायगाणा उरकर और गाम्भीय नया नादन का पुत्र वा पिण्डाधिकारी लता। . . . .' याद प्रामपत्याए हो गया कि समाधि-मन्दिर जाता है। माइव (सं० ० ) मगुपका गोलापत्य। प्रकार की प्रतिभाका पूर्ण राधिज्ञारी २६ वरतनमान (सं०३०) मा अवतीति अनव का पया, "" उमी प्रकार उनकी पाश्चात्य दा और उस पर उल डालता है। मात्र ( हिं० पु०) मचान देग्यो । रूपमे देगो जाती यो । ॐोलॉट आते और स्वस्थानुसार मावना (हि० कि.) मचना दला। मालप दर्शन, प्रमिलाशा मिले है। मेहतर नो इसो जातिके | मावल (सं० पु०) मा चलात साहित्यसे लिया गया है। इस . __. . . ! न मचतीति चल-अच । १ प्रह। २रोग, बीमारी ।३ म्यानमे वियोगान्त पृगकुमाएका गोदापत्या .. बन्दी, फैदो। ४ च गौर पौराहना काकी रनना माग्दनको प्रतिमाका पूर्ण गि विनाकुमारके उद्देश्यसे मंगल-मांचल ( हि विमचलनेवाला, जिदी २ ममला। . :: तरह पुजा १८६२ को योग ... .....माचाहि पु०) बैठनेकी पोढ़ो जो मामा ATM पर मानतो मघोन एक छोटा - पहाड़ी होती है, बड़ा । .. . 6. जुम्लामास शेगमें पारमाण १२ वर्गमील है। पहले यह मावा Innai कर रिमो परोया। १८९५ ईगोरखाके यहांसे माचिक स माय मी मायने उनर र राज्य स्वाधीन हो गया। यहांके | गच्छता। वाफे मागर विधानागर गरि विगो राजपूत हैं। इनके पूर्व मालक कमी मी परीक्षा नहीं दे सगे हां मा कर राज्यको स्थापना की। वापभेद। .:: मारि (स । इसी जातिके । मावल (सं० पु०) मा चलति भोगमदत्वादधिरेणैव स्थान ।। . , . . गोलापत्य। ... बन्दी, कैदी। ४ चौर, चोर.।" . वायभेद।