पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३८४

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मारनन्य-पानिर मौर को पानी, नियति तथा प्रारण : माङ्गलिक (मविक) : मलजमा शुमानुपान मयंपोप, मोमनार भौर निमारमें उग्यास करते हैं। अब इनमें : माल प्राट करनेयाला। (९०) गाटफका यह पार जो पिमूनिट सामोहिमय पेमरियाई प्रयोको पता करने महुलपाट करना है। है। किन्तु देव मन्दिरमे कोई पुग्मने नहीं पाता, पारी माललिका (म' नी०) दशकुमार गरित गणित नापिका- ही देयमूनिका दर्शन करता मोर पुरोहितमहाय पूजाकी भेद । . . मामी देता है। देश: प्राण दो इनकी पुरोहिताई मारल्या स० वि०) मंगलाप दितमिति मंगर-पत्र । करम है।' १ शुभजनक, मंगलकर ।(पु.) २ मंगलफा भाय। __ मादगण वाइम या भूत-प्रेत तथा मयिय-यापी पर ! माइल्यकागा (सं० रसो) १ पूर्या, दुन । २ दरिदा, हन्दी। ननिक भी यिभ्याम नहीं करते। गांय यादर एक ३ प्रादि, एक प्रकारको लना । ४ मापपणी | ५ गोरोगन । पत्थर कमें मिनुर लेप देश और उमौको देयमति ६६रोतको, हर। 'ममा कर पूजने हैं। | माङ्गल्यकुशुमा (सं० रखो०) शंगपुपो। - प्रसयफे एठे दिन ये परयाई देयों की पूजा करते और माङ्गल्यगोत (सं० पु०) यह शुभ गोनं जो पिपाह मादि पारदये दिन अशीचारत होने पर प्रति घरसे यार मंगलके अवसरों पर गाये जाते हैं। मागल्यायरा (सं० सी० ) यचा, यय । दोनो है। मागल्या (सं० खो० ) १ गोरोचना। २ शमोरस, गो. इनमें वाल्य यियाद उतना प्रचलिन नदों है। माधा- रणतः पाय २५ वर्ष भार यालिफाफे युयनी होने पर ही का पेड़। ३ जीयंती। | माङ्गल्यागुर (सं० पु०) भगुरभेद । इसका गुण शीतल, बियाह होता है। सुगन्ध, योगवाद और माना जाता है। (रामनि.) ये नव-देहको गाइ देते तथा नेरद दिन तक भशीच माइल्यादा (सं० सी०) मालस्य आहो। सागमाणा मानने हैं। तेरायें दिन मृतका पुत्र या पिएडाधिकारी लता। कोई भावमी आसियर्गको लेकर समाधि मन्दिर जाता है। मानप (सं० पु.) मगुपका गोलापत्य । यह शारादिकम ममा फर पिण्डाधिकारो १३ बरतन मान (स.पु.)मा आयतीति अनत्र का पागा, रास्ता। समाधि सामने रमता और उस पर जल धालता है। माय (हि.पु०) मान देती। पाद उसफे ये अपने घरको लौट भारो और मयम्यानमार मारना (१० कि.) मनना देगा। जातियगंको भोज देने हैं। मेहतर भी मो जानिफेमाचल (सं०१०) मा मलति भागमदत्यादधिरेय त्यानं अन्तर्मुक है। न मुशनीति चल मच । प्रद। २रोग, बीमारी।३ माइभव्य ( म०पु.) मंझ का गोलापत्य। यन्दी, फैदो। ४ चौर, गोर। .. . . माल (२०१०) दोनों अश्विनी कुमारफे उद्देश्यमे मंगर-माल (दि.वि०) मगलनेरालासिदो। २मला। अन म्युतिमान माचा (दि० पु.) येउनकी गोदी गो पारको तह पुमी मागट-गाव गपरफे अधीन एफ. कोर पहाडी होताही मणिया। . . . . . मामात राजा भूपरिमाप १२ वर्गमील है। पहले यह मानाकीय (म.पु.)पक पाफान। . . . . . कालराय मामिल 11१५० गोरमारे यहांममाधिका (म ) मा पनि मनादिक पपरयान पिसादित होमे पायद रायमाधीन हो गया। यह गानोति धनत्र, समापन राप. मन । मादार जोरामिद पनि है। इन, पूर्व शिका. मri | भगा । ३ पाला । ४ भागार पुनि मारपास पहा मापा गायकी सपना को भामका ।। माहरि (.पु.मांगादा . ' मागिर (म.म) मा नि गोम, मली। ..