पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/४३५

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माध्याकर्षण । इस प्रकार विभिन्न वैज्ञानिकोंके विभिन्न मतको ऊपरवाली सभी वस्तुओंको अपनी ओर खींचती है। पोपकता फरने पर भी जब उससे किसी असल वातका यदि इसमें खी चनेकी शक्ति न होतो, तो ऊपर फेको पता नहीं लगता, तब हम लोग निश्चय ही प्राचीन- गई वस्तु ऊपर ही ठहर जाती। सिद्धान्तका आश्रय लेते हुए द्रव्योंके अन्यान्य अभि- स्वभावतः ऊपर फेको गई वस्तुमान ही नीचे घात वा आपोड़नको माध्याकर्षण-क्रियाका निप्पत्ति- गिरती है, इसका कारण क्या? इस प्रश्नको हल करनेके सूचक कह सकते हैं। लिये विज्ञानविद्गण परोक्षा और प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा

सचमुच वस्तुमात्रमें अवस्थित माध्याकर्षणशक्ति जिस सिद्धान्त पर पहुंचे हैं, नीचे उसका संक्षिप्त यिव.

को अधिकता इतनो थोड़ो है, कि दो एक विशिष्ट रण दिया जाता है। कारणों तथा सुप्रणालीवद्ध गभोर मालोचनाको छोड़ परोक्षा द्वारा देखा गया है, कि निर्वातस्थानमें एक केर हम लोग उसका अस्तित्व नहीं जान सकते। एक भारी सीसेके टुकड़े और हलके काग (शोला को 'मेजके ऊपर दो किताव रखनेसे यह कहना होगा, कि ये नोचे गिरानेसे दोनों एक ही समयमें पृथ्वी पर पह: एक दूसरेको आकर्षण करती हैं। कारण भौतिक पदार्थ चते हैं। किन्तु खुले मैदान में एक पर और एक खण्ड को आकर्षण अवश्यम्भावी है। किन्तु उस आकर्षणका पत्थरको समान ऊंचाईसे नीचे गिराने पर ऐसा देखा प्रभाव इतना कम है, कि मेज पर रक्खी जानेके कारण गया है, कि परसे पहले पत्थरका टुकड़ा जमीन पर मेजके आकर्षणको अतिक्रम कर एक दूसरेको ओर अप्र गिरा। इसका कारण यह है, कि शेपोक्त दो वस्तुओंका सर नहीं हो सकती। जो कुछ हो, परीक्षा द्वारा मालम आपेक्षिक गुरुत्व और आकृति-मान समान नहीं है। हुआ है कि दो जड़पिण्डकी आकृतिके परिमाणानुसार अलावा इसके पृथ्वी परकी वायु पत्थरकी अपेक्षा पर- उनके आणविक सङ्कणमें भी पृथकता होती है। उन को नीचे उतरनेमें वाधा देती है, इसीसे आकर्षणशक्ति- दो जड़पदार्थको आकार यदि छोटा हो, तो उनकी शक्ति में फर्क पड़ जाता है। भी छोटी होगी, इस कारण विना,परीक्षाके उसका ज्ञान ____ यदि किसी वैज्ञानिक उपायसे वायुको वहांसे निकाल नहीं हो सकता । किन्तु यदि उन दो पदार्थो में एक लिया जाय, तो साफ तौरसे देखने में मायेगा, कि उप. पदार्थ दूसरेसे पड़ा हो, तो आकर्षणशकिकी अधिकता रोक्त पत्थर और पर एक ही समयमें एक ही ऊंचाई- सहजमें मालम हो जायगी। से जमीन पर गिरेगा। इस प्रकारको प्रणालीका अनुसरण कर हम लोगोंने ___ वस्तुको आकर्षणी-शक्तिका निरूपण करनेके लिये प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा जागतिक माध्याकर्षणशक्तिका धैज्ञानिकगण पतनशील वस्तुके आपेक्षिक गुरुत्व और अस्तित्व अनुभव करना सीखा है। पृथिवीसे संलग्न | उसके आवयविक परिमाणके ऊपर निर्भर करके पतनः जितनी जड़ और चेतन वस्तु हैं उन्हें देख कर हम लोग कालका पार्थक्य और आकर्षण-प्रभाव निर्देश कर गये इस शक्तिका प्रत सत्य निरूपण करने में समर्थ हुए हैं। हैं। कहते हैं, कि पृथ्वी पर यदि वायुप्रवाह न रहता, इस पृथियीकी आकृति बड़ी होनेके कारण उसके ऊपर ] तो उस शून्य अन्तरीक्षसे एफ घेलन वा पक्षीको नीचे या समीपमें जो पदार्थ है, उस पर इस वृहत् जड़पिण्ड उतरनेमें जितना समय लगता, उतने ही समयमै ५६ पौंड की माफणीशक्ति जो ज्यादा पड़ती है, यह सहज में ] तौलफा एक जड़पिण्ड भी जमीन पर गिरता। मालम होता है। केवल वस्तुके घनत्य और गुरुत्यके ऊपर वस्तुका ___ यस्तुविशेषके भारीपनके अनुसार उस उस वस्तुके पतन-समय निर्भर करता है, सो नहीं। भूपृष्ठके स्थान- साथ पृथिवीको भारुटि-शक्तिका सामञ्जस्य है। इसी विशेषमें वायुस्तरकी विभिन्नता तथा भू पञ्जरके तार- माकर्षणके कारण.ऊपर फेकी गई वस्तु पृथ्वी पर तम्यानुसार भी इस पतन का आकर्षण-शक्तिमें बहुत गिरती है। पृथ्वीमें ऐसी आकर्षणशक्ति है, कि वह कुछ पृथंकता होती है।