मसाली-मरा
तल। ४ साधन । ५ गोपधियों अथवा रासायनिक ! मसियंदा (हिं० १० ) मसिविंदु।
द्रव्योंका योग या समूह ।
। मसिमणि ( स० ग्त्री० ) मस्याधागे मणिरिवेति । मस्या.
मसाली ( अ० स्त्री० ) रस्सो, डोरी।
, घार, दावान।
मसालेका तेल (हि० पु०) एक प्रकारका सुगन्धित नेल। ' मसिमुम ( स० वि० ) जिसके मुहमें स्याही लगी हो,
यह साधारण तिल के तेल में कपूरकवरी, यारछड़ आदि काले मुंहवाला ।
सुगन्धित द्रष्य मिला कर यनाया जाता है। मसियाना (हिं० कि० ) पूरा हो जाना, मटीमांनि भर
मसालेदार ( स० वि०) जिसमें किसी प्रकारका मसाला जाना।
लगा या मिला हो।
• मसिवर्द्धन (0 लो० ) मसि यचं यतोति ध् णिच :
मसिंदर ( अ० पु. ) जहाजमेंका वह बहुत बड़ा रस्सा ल्यु। रसगन्ध ।
जो चरखी या दौड में लपेटा रहता है और जिसकी मतिविन्दु (मपु०) पासलका धुदा। यह नसरसे
,सहायतासे जहाजका गिराया हुआ लंगर उठाया यवन के लिये योंको लगाया जाता है। इसका दूसरा
जाता है।
___ नाम दिठीना मी है।
मसि ( स० पु० स्त्री० ) मस्यते परिणमते' इति मस् ममिल ( हिं. पु० ) मैनसिल देखो।
( सर्वधातुभ्यः इन्। उण ॥११७ ) १ लिम्पनेको स्याहो, , मसी ( स० लो०) मसिदिकारादिति की। कालो,
रोशनाई। पर्याय-मसिजल, पत्राचन, मेला, कालि, स्यादो।
राजन, मसी, रजनी, मलिनाम्यु. मशी। २ निर्गुण्डीका ' मसीका (हिं० पु० ) १ आठ रोका मान, माशा । २
फल। ३ काजल । ४ फालिग्य।
चवन्नी।
मसिक (स' पु० ) सपैवियर, सांपका दिल । मसीजल (मलो० ) मस्याजल, राहोः शिर इतियत्
मसिका ( स० स्त्री०) शोफालिया, निगुडो। इसका अमेदे पाती। मसी, स्याही।
, दूसरा का 'मलिया' भी देखा जाता है।
मसीजीयिन् ( स० वि० ) मसी जीय-णिनि । जो स्वादी-
मसिपी ( स० सी०)मस्याधार, दायात । | से जोत्रिका निर्वाह करता हो।
मसिजल ( स०को०) लिखने की स्याही।
सीधानी (स स्त्री० ) मस्याः घानी पात्र ।। मस्या-
मसिदानी (हिं० स्त्री०) मसिपान, दावात।
धार, दावात ।
मसिधान (सी०) मसेर्धान आधारः। मस्याधार,
। मसीना (सं० स्त्री० ) मस् (यहुममन्यापि । उप्य ANE)
दाबात।
इति इनय, पोदरादित्यादीय स्त्रियों टाए । म्पनाम:
मसिधानी (स० सी० ) मसेर्धानी । मस्याघार, दातात ।।
। स्पात गस्यविशेष, तोमी।
पर्याय-मसिमर्माण, मेलान्धु, वर्ग:कृषिका, मेलानन्दा, ' '
मेलाम्बु, मसिधान, मसितो, मसिकृषिका । मसीह ( अ० पु०) माइयोंके धर्मगुर हमरत साका
मसिन (सी०) मस्यते परिमीयते गणनयेति मम । एक नाम ।
(बहुप्तमन्यत्रापि । उण २१४६ ) इति इनव । सपिएडक ! मसीहा कैरानवी--एक मुसलमान कयि । इसका मसल
मसिपण्य ( स० पु.) मसिः कालिपण्य मस्य । लेम्बका, ' नाम सादुला था। मम्राट अकयर मादकी सभा रद
लिखने का काम करनेवाला।
पर इन्होंने अयोध्याधिपति रामचन्द्रको पनी मोनादियो।
मसिपथ (सं० पु० ) लेसनो, कलम ।
का उपाख्यान एक काम्यमें लिया था।
मसिपाल (स० पु० ) दायात ।
मसुर (सं.पु) मस्यने परिमोयतेऽसी-मम् (मन्च।
मसिम ( सन्त्री०) मसिं प्रकण सून उहिरनीति : उग्य ४४ ) इति उरन् । मम ममुरो । मगर देगा
प्रस पियप्। १ गल्याधार, शयात ।२ लेसनी, फलम। . मामुरा (म० बी०) मस्पति पयत्न परिणमत्यस्पा-
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/४५
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