पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/५२४

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मारुतमय-मार्कटॉपप्पली याद दितिने इन्द्रसे कहा, मैं ऐसे पुत्रके लिये तपस्या कर। अश-ल्यु, मारतानां अशनः भक्षक १'यह'जो घायु पी . रही-थी जो अदितिके पुत्रोंका संहार करता। किन्तु ये कर रहता हो, सर्प। '... : " .. उनचास पुत्र किस प्रकार उत्पन्न हुए ? हे पुत्र! "भक्तः प्रगृह्य मूर्ध्याय बाहुभ्यां संशितमतः । .... यदि तुम यह विषय जानने हो, तो सच संच कहो, झूठ | स्थितः स्थाणुरिवाभ्यासे निश्चेष्टो मारुताशनः । मत कहो।' (भारत ॥१०६।१३). ____ इन्द्रने उत्तरमें कहा, 'माता! आपको तपस्याका | २ कार्तिकेय । ३ सैनिकविशेष । (त्रि० ४ घायु. हाल जब मुझे मालूम हुआ, तब मैं आपके निकट आया मात्र भक्षक, सिर्फ हया पी कर रहनेवाला'.' ... और उदरमे प्रवेश करनेका अवसर दृढने लगा। अब- मागताध्य (सपु०) मारुत इव वायुरिय घेगवान् अभ्यो ' सर पा कर मैंने आपके उदर में प्रवेश किया और गर्भको | यस्य । वायुसदृश येग गामि अश्वयुक्त, यह घोड़ा जो काट डाला। पहले आपके गर्भको सात खण्ड किया वायुके जैसा बड़े वेगसे चलता हो। .:. ....... जिससे सात कुमार उत्पन्न हुए। पीछे उन सातोंको | मारुति ( स० पु० ) मस्तस्यापत्यं पुमान् मरुत ( भन . भी फिर सात सात वएड किये। इस पर भी ये सब | इन् । पा४।१।६५ ) इति इम् । १ हनुमान् । २ भीम। कुमार नही मरे। इस प्रकार आपके कुल मिला कर मारुतेश्यरतीर्थ (स० क्लो०) तीर्थभेद, एक तीर्थका नाम। . ४६ पुत्र हुए।' इन्द्रके मुखसे सारी घटना सुन कर मारदेव (स० पु०) पर्वतभेद, एक प्राचीन पर्वतका नाम । दितिने अपने सभी · कुमार्गेको इन्द्रफे साथ जानेकी मारुध (सी० ) जनपदभेद। अनुमति दी। इन्द्र इन मरुद्गणों के साथ स्वर्गको चले | माययार ( स० क्ली० ) मारवाड़ देखो। " गये। (भागवत ६।८ अ०) मारू ( स० पु० ) मरुदेश निवासी, मारवाड़ी। २ दक्षिणदेशमें अवस्थित एक देशका नाम। ३ मारू ( हि० पु०) १ एक राग। यह युद्ध के समय बजाया अग्निभेद । गर्भाधानके संस्कारमें जो अग्नि स्थापिन को और गाया जाता है। इसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं। जाती है उसीका नाम मारत है। ४ वायुका अधिपति | यह श्रीरागका पुत्र माना जाता है। २'बहुत बड़ा डंका देवता। (वि०) मरुतसम्बन्धी। या नगाड़ा, जंगी धौंसा । (वि०) ३ एक प्रकारका मारुतमय (सं० त्रि०) वायुमय। शाहबलूत । यह शिमले और नैनीतालमें 1.अधिकतासे मारुतवत (सं० को०) मारतस्य व्रत मिव व्रतं निय- पाया जाता है । इसकी लकड़ी फैवल जलाने और मोऽस्य । राजधर्मविशेष राजाका एक धर्म । फोयला बनाने के काममें आती है। इसके पत्ते भीर गोंद "प्रविश्य सर्वभूतानि यथा चरति मारुतः। | चमड़ा रंगनेमें काम आते है। ४ काकरेजो रंग।। तथा चरैः प्रवेष्टव्य' प्रतमेतद्धि मारुतम् ॥" | मारूत (सपु०) हनुमान । (मत्स्यपु० २०० अ०) | मारूत (हिं० स्त्री० ) घोड़ोंके पिछले पैरॉफी एक भौरी मारतसुत (सं० पु.) १ हनुमान् । २ भीम। | जो मनहस समझो जाती है। मारुतसूनु (सं० पु० ) मागतस्य सूनुः । १ वायुपुत्र, हनु- | मारे (हिं० मव्य०) यजहसे, फारणसे। मान । २ भीम। | मार्क (सं० पु० ) भृङ्गराज, भंगरैया।' मारता (सं० बी० ) स्पृका, असवरग। | मार्क ( पु०) माको देखो। ... मारतात्मज (सं० पु०) मारतस्य पात्मजः । १ हनुमान । | मार्कट ( स० वि०) १ मर्कट सम्बन्धोय, मर्करका । २ २भीम मर्कटवत्, मर्फट-सा। मारतामह (20 पु० ) मारतं अपहन्ति हन ड। १ वरुण मार्फटपिपीलिका ( स० सी० 'क्षुद्रकाय कृष्णापपीलिका, वृक्ष। (त्रि.') वायुनानः। छोटी कालो चिउँटो। मरताशन (सं० पु० ) मम्तोऽशन-मम्य या अश्नातोति | मार्कटपिप्पली (मंत्रो०) कपि-पप्पली, पीपल ।