मार-मार्गव . .
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लिया गया। पीछे १४०२६०में लिसंयनमें इसका प्रचार , मार्गणता (सं० स्त्री०) १ मार्गण या धानका भाव । २ . '
हुमा । फरासी देशमें १५५६ ई०को इसका प्रथम संस्क- याचकता । ..
... . ..
रण निकाला गया। . . . .... मार्गतोरण ( सं० . क्लो०) --पथपा में स्थापित तोरण,
मार्कर (सपु०) भृङ्गराज, मंगरैया। . . . . बाहरो फाटक। ..., :) . . . . ...
माय (स' पु०) मर्याति केशरञ्जनायं गच्छतीति मकया, मार्गद (सं० पु०.) केवर ।। .::. :::., ; : :
मर्फे सर्प नाम्नीति अवः निपातना वृद्धिः। भृङ्गराज, मार्गदायिनो (सं० स्त्रो०)-१ केदारस्य दाक्षायणो । २
मंगरैया (भावप्रकाश)
पथ दिखानेवाली। . .:. ::.:.:
मार्का ( अ० पु० ) संकेत, कोई अंक या चिंह जो किसी
MILal : मार्गदुम (सं० पु०.) पथपायस्थ वृक्ष, रास्ताकी वगलफा
विशेष वातका सूचक हो । . :. . .: :पेड़...::..:: .. .. .
मार्केट (अ'० पु० ) बाजार, हाट।
....
मार्ग (सपुर) मार्यते संस्क्रियते पादेन मृग्यते गमनाय
मागेधनु (स० पु०).मार्गस्य धेनुः परिमाण । एक योजन
का परिमाण, .:. . .. ... .
अन्यिप्यते इति वा मार्ग.वा मृग धम् । पन्था, रास्ता । मार्गधेनुक (सं० लो०) मार्गधेनु स्वाथै फन् । योजन।
'त्रिंशद्ध पि विस्तीर्णो देशमार्गस्तु तैः कृतः।
मार्गप (सं० पु० ) राजकर्मचारिभेइ. राज्यको यह, कर्मः ।
विशद्धनुर्माममार्गः सीमामार्गो दशैव तु ॥ ...
चारो जो मार्गों का निरीक्षण करता हो। इसे अगरेजीमें
धनू पि दश विस्तीर्णः श्रीमान राजपथः स्मृतः ॥".
Road-inspector कहते है। ,
(देवीपुराण)
. ., ..
मार्गपति (सं० पु.) मार्गप देखो। ....
"तीस धनुका देशमार्ग, योस धनुका' प्रांमः मार्गपाली (सं० स्त्रो०) मार्ग पालयति हिनेभ्यः रक्षतीति
मार्ग, दश . धनुका सीमामार्ग और दंश धनुका पाल-शव, गौरादित्वात् डोषु । स्तम्भ, खंभा ।
राजमार्ग बनाना चाहिये। चार हाथकी एक धन होता! तोऽपराहसमये पूर्वस्यां दिशि नारद ।
है। २ गुदा, पायु' । ३ मृगभद कस्तूरो। ४ मार्गशीर्ष-
म . भाग पाली प्रवनीया गस्तम्भे च पादप ...'
मास, अगहनका महीना । ५ अन्येपण, खोज
(पद्मपु० उत्त० १२४ भ०)
शिरा नक्षत्र । ७ विष्णु ! ८ रक्तापामार्ग, लाल चिचडा। मार्गबन्धन (सं० पी०) पंधरोध, रास्ता रोकना ।
मृगस्पेटं मृग-अण । (नि) : मुगसम्बन्धो। मार्गमाण (सं० पु०) खोजा, नपुंसक व्यक्तिी ' .
सदय समिनं तात ! सदैव पितृ-कर्मणि। .... मार्गमित्र (सं० पु. ) सहपात्रो, साथ जानेवाला ।'
मार्गमाविकमौष्ट्रय सर्वमेकशपञ्च तत : .
मार्गरक्षक (सं० पु०) परिक्षक, पहरायाला । .
मार्गरोधिन् ( स० वि०) पथरोधक, रास्ता रोकनयाला ।
मार्गक (सं० पु०) मागं स्थायें कन । १ अप्रहायण मास, मार्गय (सं० पु०) वर्णसंडूर जातिविशेष। इसको
अगहनका महीना। २ मार्ग देखो। .. . ।
मार्गण (सं० ली०) माग्य ते अन्विध्यत इति मार्ग भावे | जाती है। . . . . .
ल्युट । १ अन्वेषण, दना। पर्याय-सम्यीक्षण, विचयन, निपादो मार्ग व गते दाश नौकर्मजीविना .
मृगणा, मृग। २ याचा , परीक्षा करना। ३ प्रणय, वर्तमिति य 'प्रारार्यावनिवासिनः" .
प्रार्थना । (पु०) ४ याचक, भिरतमंगा। ५ शर, याण । | . :. .. . ... .... (नु १०३४) .
ते सर्व हठधन्वानः संयुगेध्यपालायिनः ।
"बामणेन शूद्रायां जातो निषादः प्रागुका, प्रतापामापो.
बहुधा भीममानलमार्गः कृतमार्ग " . गल्या मार्ग दानापरमानो नौव्यवहारजीयिन सायसि ".
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(मारत ॥११॥)
मार्गणक (सं००) मार्गण साय फन् । याचक, भिख. इस जातिका दूसरा नाम दाम भी है। ये लोग माय
मंगा।'
.. से कर अपनी जीविका चलाते हैं। .. .. .
| उत्पत्ति
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/५३०
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