पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/५४९

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मालद्वीप (मलयद्वीप) ७.६ उ० तथा देशा० ७२ ३३ से ले कर ७३४४० मील चौड़ा है। २४ द्वीपपुओसे यह गठित है जिनमें- तक विस्तृत है। इसमें कुल मिला कर १६ द्वीप हैं। यह से फेवल सातमें मनुष्योंका वास है। 'दीप-समूह ४६६ मीट लम्बा और ६० मील चौड़ा है। २। टिलाहु माटि भागान-इसका परिमाण ३५ वर्ग- द्वीपके बीचकी प्रणालीका जल बड़ा गहरा है, किन्तु मील है। यह ३८ द्वोपपुओंसे गठित है। सभी समुशिम उतनी गहराई नहीं है । इमोसे पहाडी उपकूल भावादी है। भागमें समुद्रकी तरंगे बड़े जोरसे टक्कर लगाती है। मनकम-~-यहां बहुतसे अर्णधपोत नष्ट भ्रष्ट हो प्रणाली हो कर अणंचपोत आसानीसे द्वीप श्रेणी में जा गये हैं। सकता है। ४ मिनाडुमढ--यह १०१ द्वीपपुओंसे बना हुआ है। ___ 'मालद्वीप' नामको उत्पत्तिके सम्बन्धमे यूरोपीय उनमेंसे केवल २३में मनुष्य यास करते हैं। पण्डित अनेक प्रकारके सिद्धान्त पर पहुंचे हैं। चार ५। फैड़िफोलो-१० द्वीपमे गठित है। प्रधान द्वोपोंको लेकर मालद्वीप गठित हुआ है देख कर माहपमाड़ो-यह मक्षा० ५से ले कर तक उन्होंने इसका नेलेद्वीप नाम रखा । मालयाकी भाषा विस्तृत तथा ४ द्वीपपुओंसे संगठित है। में नेले शब्दका अर्धा चार है। मतान्तरसे दिवमदलसे । अरि आटोज-पूर्वाको भोर है और यह संख्यक मालद्वीप शब्द निकला है। महलका अर्थ राजप्रासाद द्वीपोंस गठिन है। है। किसी एक द्वोपमें सुलतानका महल था उसोसे । माग्ने टोल-इसफे निकट माले द्वीप या राज. द्वीपपुरका नाम महलद्वीप पड़ा है। फिर किसीका यह दोप अवस्थित हैं। यहांकी जनसंख्या २००० है। भी कहना है, कि द्वीपश्रेणी मालाकी तरह अवस्थित है, अङ्रेजों के लिये यहाँका जलवायु भस्वास्थ्यकर है। इसीसे मालाद्वीप या मालद्वीप नाम हुआ है। किन्तु मला खद्वीप या पाई। धार, मलय, मालद्वीप आदि शब्द मलय शब्दसे ही निकले १० । दक्षिया मानेद्रीप-यह २२ द्वीपोंसे गठित है। हैं। ब्रह्माण्डपुराणमें मलयद्वीपका नाम मिलता है । उस- इनमें केवल ३ द्वीपों में लोगों का वास है। में इस द्वीपको अति विस्तृत बतलाया गया है। ११। फामे हो आटोम--यह अक्षा० ३.१६ से ले कर - भतत्वविद पण्डितौनसे किसी किसीका कहना 'निम्नत। है, कि यह द्वीप प्रवालकोट-निर्मित है। फिर कोई १२। मोलोक आटोत--यद पूर्व पश्चिममें १५ मोल कहते हैं, कि द्वीपपुलके आस पासके स्थानमि मभी विस्तृत है। उतने प्रयालकोट नहीं देखे जाते। द्वीपकी भोर १३ नीलायडु आटोल-यह अक्षा०२४० से लेकर नजर दौड़ानेसे मालूम होता है, कि भारतके दक्षिण ३ २० तक विस्तृत तथा २० द्वीपोंसे बना हुआ है। को मलयसे ले कर लंका पर्यन्त एक प्रकाएड भूपण्ड था। १४। कम्तो माहु-तमाम मिट्टी पड़ी है, इसका वाद, भूपक्षरको चालना या पृथ्वीको अभ्यन्तरस्थ दूसरा नाम सूयाद्वीप है। अग्निको शक्तिके उक्त भूखण्ड समुद्रगर्ममें धंस गया है। ५। फूला मोशक -यह दक्षिण पूर्यको सीमा पर सिर्पा ऊँचा पर्नत इधर उधर द्वीपरूपमै विद्यमान है। अयस्थित है। इसको लम्बाई एक कोस है। यहाँ- वास्तवमें लंकासे ले कर मलय प्रायद्वीप तकके अधिवासी के अधिकांश अधियामी तांती और मल्लाद हैं। तथा उत्पन्न प्यादिका जैसा सादृश्य देखा जाता है ! १६। आ माटोन-मालदीपके दक्षिणमें अवस्थित है। उससे उक सिद्धान्त समीचीन-सा प्रतीत नहीं होता। यह विपुव रेखाफे बहुत करोबमें है। प्रायः १७५ दापो. मालद्वीपकोभापा द्वोपका स्थानीय नाम आटोल है। दोपपुओंमसे सिर्फ १६ प्रधान है तथा हरएकमें मनुष्य में मनुष्योंका यास है। कुल मिला कर अधिवासियोंकी पास करते हैं। संख्या प्रायः दो लाख है। स्थानीय लोगों का विश्वास १। हिमान्द फोलो आटोज-यह १२ मोल लम्बा और । है कि मालद्वीपमें दश हजार छोटे छोटे द्वीप है।