पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/५६६

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४१८ मालवा यामनाली सेवा करने पर भी मालयाको समृद्धि जरा , सुन्दरी हिन्दू नर्तकीने इसको एकदम माने कामें भी न घटी। नूर उहोनहा लड़का महमूद १५१२६०३ . कर लिया था। राजा बहादुरने रूपमतीफे प्रणयके बदले गंजगदी पर घेठा । इसके राज्याभिषेकफे जुलूस में मांडू नगरमें एक सुन्दर भवन बना दिया । अमो तक मालयाको सम्पत्तिका पता चलना है। ' भी उसके खंडहर पाये जाते है और अपने देशकी भाषा- महमूद, भाइपोंके पड़पन्ससे राज्यमें गोन हो; में रूपमतोके प्रणयपूर्ण गौतीको अनेक किता अशान्ति फैलो । जब इसके एक भाईने चन्देरी पर चढ़ाई। मिलनी हैं। की तब इसने राजपूत राजाधोंसे सहायता मांगो मोर' इधर राजा बहादुर रूपमतीफे साथ भोगविलासमें मदारीराय राजपूतको प्रधान मन्त्री बनाया। कुछ ही ' लीन था उधर १५६१ ३०में सायर यादगाएकी विजय दिनोंमें महमूद मदारीराय पर सन्देह करने लगा गौर कीर्ति माह नगर तक जा पहुंची। १५७० में मालया छलप्रपंचसे उसे हटानेकी चेष्टा करने लगा। इससे अपनी स्वाधीनना मी दिल्लीफे बादशाह अफपरफे अधीन राजपूत लोग विगढ़ उठे। महमूद गुजरात भाग गया। हो गया। मांद नगरके खंडहरोको जांच करनेसे मालूम गुजरातफे राजा मुजफ्फर शाहने इसका पक्ष लिया। होता है, कि मालयाफे राजा अपने राज्यकाल में सामाग्य रामपूत लोग महमूदको पकड़नेके लिये गुज- सम्पत्तिको उच्च सोमा तक पहुंच गये थे। इस स्थानके रातको भार पढ़े। हिन्दू मुसलमानोंमें घमसान लड़ाई। स्थापत्य शिल्पको देख शिल्पशास्त्र जाननेवाले इस हुई। इस लड़ाईम प्रायः १६००० राजपून सैनिक जम नगरको भूरि-भूरि प्रशंसा कर गये हैं। मरे । प्रायः एक लान मुसलमान सैनिकोंके मरने पर बीच योचमें जोधपुरफो राजपूरा राजामोंने मालयाके मुसलमान लोग विजयी हुए। कुछ अंशों पर अधिकार कर लिया था। मुसलमानों.. इस समय मेवाड़ के राणा सङ्ग अर्थात् संग्रामासह । की शक्ति क्षीण होने पर लालाजीने मालधामें रायगढ़ चारों ओर मरनी प्रधानता फैला रहे थे वीर, तैमूरलङ्गः | नामक राजधानी कायम की थी। पोछे उनके पोते बल- का घंशज मुगल सेनापति वायर शाह भी दिल्लीफे राज- भद्रसिंह मालवाफे राजा. हुए । इस समय मालवा सिंहासन पर दांत गढ़ाये हुए था। ऐतिहासिक लोग अजमेर भादि अनेक स्वाधीन राज्यों में घट गया। कहने है. कि धावरका अभ्युदय न होता तो खिलजोयंश- इनर्फ शासनकाल में मराठोंने शक्तिशाली हो मालया फे अन्त होने पर भारतसाम्राज्य राजपुतोफे हाथ भा/ पर चढ़ाई की। जयपुरफे प्रतिपाता प्रसिद्ध जयसिंहने वाजी माता। रावको मालया जय करने में बड़ी सहायता पहुंचाई थी। १५२६ ० महमूदका मार कर गुजरातका राजा कहा जाता है, कि जयसिंह और बाजीराबफ वीच बहुत यदादुरशाह कुछ दिनों तक मालयाकी गद्दी पर बैठा। लिखा पढ़ी हुई थी । जयसिदने ब्राह्मणप्रमुख मराठाराश्य. इस समयसे ले कर यावरफ. शासन समय तक ३७ वर्षको पुष्ट करनेकी इच्छाले सहायता की । जयसिंहकी सदा मालयामें अराजकता फैली रहो और राष्ट्रयिष्टय होता यताके विना याजीराय मालया हिन्दूराज्यको स्थापना नदों कर सकते। मह लोगोंफे प्रन्यों में इस विषयका हुमायू बहादुर शाहको भगा मालपाका गायन विस्तारफे साथ वर्णन है। पेठा। पश्चात् मास्ट मां कादर माल्या की उपाधि ले मुसलमान इनिहासकार फिरिरसाने लिया है कि , Higनगरमे १५३०६०को मालयाफे सिंहासन बैठा । पो मुगलसाम्राज्य अधःपतनवाद गुजरात मराठा लोगों पद शेरणादसे १५४२ हार कर गुजरात भाग गया। के अधिकारमें भाया। १०३४ 0 पेगवाने मालपासे 'स समय मुसलम कारक मधीन सामन्त रूपमें चाय लिया। उसके बाद मिन्दे मार दोलकरने मालपा. . मालपाप सिंहासन पर यहा। यह मो मत्यन्त इन्द्रिय में भगना राज्य पढ़ाया। उनके उत्तराधिकारी लोग . लोलुप था। सहानपुरको रूपमतो मामक एक सन्त ममी तर उस रायका मांग परत आ रहे है। मराठा