पादानस-माहिम
माहामस ( स० वि० ) महानस-मम् (पा ४११०८६) माहित्य (स० पु०) शतपथ-बामणके अनुसार एक पि.
महानससम्बन्धीय।
का नाम।
माहानामन् (सं० त्रि०) महानाम्नी-ऋगमन्त्रसम्बन्धीय । माहित्य ( स० पु० ) महितस्य गोलापत्यं मंहित (गर्गा
मादानामिक ( स० पु०) महानाम ग्रहाचर्यमस्य (तस्य दिभ्यो यम् । पा ११११०५) इति यम्। महितके गोत्र,
बाह्यचर्य । १ ॥१६६४) इति ठन्। माहानाम्निक, महा उत्पन्न पुरुष।
नाम्नी नामक ऋगवेत्ता ग्राह्मण।
माहित्र ( स० क्ली) महित शब्दोऽस्मिन्निस्ति, महित्र
माहानानिफ ( स० पु०) महानामन् ( तदस्य ब्रह्मचर्य । विमुक्तादिभ्योऽण् । पा' ५।२।६१) सूक्तभेद, एक नाका
पा ५१६४ ) इत्यत 'महानाम्नादिभ्यः पाठ यन्तेभ्य उप नाम।
संख्यानं महानाम्न्यो नाम विदा मघवन्' इत्याद्या ऋचः "कौत्स जप्त्याय इत्येतद्वासिष्ठच प्रतीतचम्। "..
तासां ब्रह्मचर्यमस्य इति ठम्। माहानाम्नी आदि ऋगः |
माहिलं शुद्धयत्यश्व सुरापोऽपि विशुध्यति ॥" .
घेत्ता ब्राह्मण।
. ( मनु १११२५० ) .
माहापुति (सं० त्रि०) महापुन ( सुनङ्गमादिभ्य एम् । पा ४।२। माहिन (सक्लो०) महाते पूज्यतेऽस्मिन् इति मह
८०) इति । महापुत्र-सम्बन्धी।
(महेरिनया च । उण, २१५६) इति इनण् । १ राज्य । (नि.)
माहाप्राण (संवि०) महाप्राण-( उत्सादिभ्योऽम् । पा| २ महनीय, पूजनीय । ३ प्रवृद्ध, सूव बढ़ा हुभा । ।
४११०८६) इति अम् । महाप्राण या दीर्घश्वास सम्बन्धोय। माहिनावत् (स० लि०) महिमोपेत, महिमायुक्त ।
माहाभाग्य ( स० लो०) महाभाग्य, सौभाग्य। माहिम-१ यम्बईप्रदेशके थाना जिलान्तर्गत एक उपविगाग
माहारजन ( स० वि०) महारजनेन रक्त महारजन ( तेन | यह अक्षा० १९२९ से १६ ५२ उ० तथा देशा०
रस्तं रागात् । पा ४।२।१) इति अण् । महारजन द्वारा ७३३६ से ७३ १०के मध्य विस्तृत है। भूपरिमाण
रंजित, फुसुमफे फूलसे रंगा हुआ।
४०६ वर्गमील और जनसख्या ८० हजारसे ऊपर है।
माहाराजिक (स० वि०) महाराजो देवता अस्य महाराज | इसमें माहिम नामक एक शहर और १८७ प्राम लगते हैं।
(महाराज पोरपदाभ्यो ठम् । पा ४।२।३५) इति ठम् । जिसके इसके उत्तर दक्षिण में विस्तृत यनमाला-विएिडरा एक
देवता महाराज हैं।
गिरिभ्रेणी देखी जाती है। उसकी आशरी और तक-
माहाराज्य (स फ्लो०) महाराजका पद पा मर्यादा ।
मक चोटी ही सबसे ऊंची है। यहांका समुद्रोपकूल-
माहाराष्ट्र ( स० लि०) महाराष्ट्र-अम्। महाराष्ट्र-सम्ब. पत्ती स्थान बहुत स्वास्थ्यप्रद है। पर्वतका मध्यस्थल
न्धीय।
तथा खांडीके दो पारका स्थान वाढको जलसे इस जाया
माहायात्तिक ( स० वि० ) कात्यायन-कृत पाणिनीका
फरता है। यहां चैतरणी नदी यहती है। .
यात्र्तिका।
मादायती (स खो०) १ पाशुपत-व्रतायलम्यो। २ पाशु.
___२ उत्त विभागका प्रधान नगर और जिलेका एक
पन्दर । यह अक्षा० १६१० तथा देशा० ७२५२ पू०के
पतशास्त्र संहति । ३ यशमीमांसा।
मध्य विस्तृत है। यहांसे.५॥ मील पूर्ण सम्बई, पड़ौदा
मादायतीय ( स० वि०) महाव्रत सम्बन्धीय।
और मध्य भारतीय रेलवेका पालगढ़ स्टेशन मौजूद
माहिफ (सपु०) महाभारतके अनुसार पक जातिका
है। रेलवे लाइनके खुल जानेसे वाणिज्य व्यवसाय
नाम।
माहिफीप्रस्थ (सं० वि०) उत्तर-भारतके पक नगरका ।
में बहुत मुविधा हो गई है। यह स्थान तालयनके
नाम।
लिये बहुत मशहूर है। ऐसा सुन्दर तालगन और कहीं
माहित (सपु०) महित अपत्याथें ( कययादिभ्योगा। भी देशा नहीं जाता। खाड़ीफे ठीक दूसरे किनारे
पा ४१२६१११) इति अण। महित ऋपिके गोत्रमें उत्पन्न | फेलयो नामका एक बड़ा गांव है। यहांसे थोड़ी ही पूरके
पुरप।
फासले पर. एक छोटा दुर्ग देखनेमें माता है। धन्दरभाग
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६०२
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