पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६१७

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. मिण्टा ५४५ आते देख घाजोरायको शक हो गया, फ्याकि अपने | सन्धिसूत्र में बंध गये थे। किन्तु उस समयके निजाम दामादकी इजतकी उन्हें बड़ी ही चिन्ता थी। शायद | सिकन्दर शाह इस सन्धिसूतको तोड़ देनेका सुअवसर उन्होंने यह समझ लिया होगा, कि इसके साथ पल्टन खोज रहे थे। लार्ड मिण्टोने यह समाचार पा कर निजाम- आई होगी, हमको और हमारे दामादके परिवारको स्त्रियां राज्यमें अपने अंगरेज प्रतिनिधिके पास सैन्य भेज दी । और वञ्चोंको पकड़ ले जायगी। इसी इजतको बचानेके | | मीर आलम नामक एक मन्लीने निजामको परामर्श दिया, लिये उन्होंने उस अंगरेज पहरुपको आते देख घरका कि वे अंगरेजोंकी आज्ञाका पालन करें। किन्तु अन्य किवाड़ बन्द कर दिया और उन्होंने जो उचित समझा, । मन्त्रियोंने शाहको अंगरेजोंके वियद्ध भड़काया और अपना कत्तश्यका पालन किया। पहरेदारने पहले तो किवाड़ो' मीर आलमको गुप्त हत्यारेसे मरवा दालनेको धमको दो। खुलयानेका यत्न किया। पीछे न खुलनेकी निराशासे । मोर आलम वहांसे भाग अङ्करेजोंको शरणमें चला गया । यह किवाड़ तोड़ भीतर जा कर दाखिल हुआ, इधर सिकन्दर शाहने अगरेजोंसे सन्धि कर लो। इस भीतर जा कर उसने जो दृश्य देखा उसका वर्णन करने । घार मीर आलम हो शाइके दीवान बने । इनकी मृत्युके में अङ्ग सिहर उठता है। उसने देखा कि घरमें। बाद अगरेजोंके प्रियपात्र या कृपापाव चान्दलाल निधामके रक्तकी धारा चल रही है। वाजोरावने अपनी पुत्रो तथा दीवान हुए। दामादके प्रत्येक व्यक्तिको मार कर स्वयं भी आत्महत्या ____ अंगरेजोंके साथ वाजीरावकी यसाईमें जो सन्धि हुई कर ली है। इस तरह लक्ष्मणदेयके परिवारका समूल थी उसके नियमोंको तोड़ कर पेशवाको पदप्राप्तिके नाश हुआ। बुन्देलखएडवालोंने वाजीरावके इस काम लिये विशेष यत्न कर रहे थे। इसीलिपे छोटे छोटे मराठे की बड़ी प्रशंसा की थी। इस तरह यहां अगरेजोने | अपनी उन्नति कर रहे थे। लार्ड मिण्टोने याजोरावको शान्ति स्थापितके बदले अशान्तिको सृष्टि कर दी। एक फटकार सुनाई। इस पर वाजीरावने इच्छा न • कितने ही दिनों तक लक्ष्मणदेवको खोज खबर न ) रहते हुए भी अंगरेजोंकी वश्यता स्वीकार कर ली। मिली। अम्तमें एकापफ ये कलकतैमें दिखाई दिये। इन्दोरके यशवन्त रायने प्राधान्य लाभ करने के लिये '. कलकत्ते में आ कर उन्होंने गवर्नर-जेनरलको सेवामे फिर | वड़ी चेष्टा को थी। अधिक मादक वस्तुओंके सेवनसे प्रार्थना को, कि या तो मुझे मेरा किला लौटा दिया जाये उनका मस्तिष्क विकृत हो गया था। इससे उन्होंने या तोपके मुन्न रख मुझे उड़ा दिया जाये। किन्तु अपने एक सहोदर भाई और भतीजेको मार डाला। इस इस प्रार्थनाका कुछ भी फल न हुआ। घर लौट। घटनाके बाद उनको उन्माद हो गया। इसी उन्मादकी जानेके उद्देश्यसे लक्ष्मणदेव चले, किन्तु गवर्नर । अवस्थामें सन् १८११ ई०को उनकी मृत्यु हो गई। जेनरल मिण्टोने लक्ष्मणदेवको रास्त में ही गिरफ्तार | मृत्युके बाद उनकी मियतमा पतो तुलसी वाईने अपने करवा लिया। 'लक्ष्मणदेव कलकत्ते बुला लिये गये सचिव वलराम सेठेको सहायतासे कुछ दिन तक राज्य और उन्होंने जीवन पर्यन्त जेलमे सड़नेके वाद अन्तः | किया। किन्तु सेठेको उच्छृङ्खलताके कारण राज्यमें में जीवन विसर्जन किया। मिण्टोने यह सोचा था, कि फई उपद्वको सृष्टि हो गई। यशवन्त रावफे भतीजे शायद लक्ष्मणदेव घर जा कर अशान्तिकी सृष्टि करे, महीपत राय प्रवल हो कर होलार राज्य पर अधिकार इससे उन्होंने चिर शान्तिका उपाय कर दिया। कर लेनेको चेप्टा करने लगे। किन्तु पूनेसे घेल्स और __ अंगरेजीको सैन्य बुन्देलगढ़से लौटी आ रही थी। कर्नल पाभटन तुलसोवाईको ओरसे सहायतार्थ आ राहमें पराक्रान्त दुन्दिया बांके अधिकृत कमोनरके किले-! गये। इससे महीपत राव भाग चले। को दखल कर लिया। इसके बाद निजामके राज्यमें | इसी समय अमीर खाँका उपद्रव आरम्भ हुआ। यह विटङ्खलता उत्पन्न हुई। पहले यशवन्त रायके सामान्य सेनापति थे। पोछे अपने लाई वेलेसलीके समयमें ही निजाम अंगरेजोंके । बाहुवल और घुद्धिकौशलसे. युन्देलखण्डके अनेकांशी _Vol. XVII. 137