पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६३३

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मिदिया-मिनाकोपी __.. प्राचीन मिदंगण ६ जातियों में विभक्त थे। उनमें मइ । देश मित्र भी इनके ही हाथ आया था। किन्तु इस .गणं वर्णगुरु समझे जाते थे। इनका दूसरा नाम समय शिलालेखों तथा इतिहासके पन्नोंके सिवा पृथ्वीमें 'आर्य या भारिया (Arit) है। यूनानके ऐतिहासिक : उस जातिका चिह्न कहीं दिखाई नहीं देता ।

  • हिरोदोतंसके. मतसे इन चार राजाओंन मिदियाका मिद्ध (सं० लो० १ आलस्य । २ निद्रालुता, निद्रा-

पोछले समयमें राज्य किया था,- शीलता। ३ जड़ता, मूर्खता।

१ दायूसिस ( ७१०-६५७ ईसाके पूर्व ) इन्होंने ५३ मिनतो ( अ० स्रो०) विनति देखो।

"वर्ष तक राज्य किया। मिनतो (हिं० पु०) मक्खोकी चोलोके समान कुछ नाकसे . २ फवत्तीस ( ६५७-६५३ ईसासे पूर्व ) इन्होंने २२ / निकला हुआ स्वर । वर्ष तक राज्य किया। इनके समयमै मिदियाने चरम मिनमिन ( हिं० वि० ) मफ्लोकी भनभनाहटके रूपगे, कुछ सोमाकी उन्नति को थी। नाकसे निकले धीमे सरमें । ३.सियाम्जेरास (६३५ ५६५ ईसासे पूर्व ) इन्होंने मिमिना (हिं० वि०) १ मिनमिन शब्द फरनेवाला, नाय- ४० वर्ष तक राज्य किया। इन्होंने अपने समयमें युद्ध से स्वर निकाल कर धीमे दीलनेवाला । २ थोड़ी-सी विद्याकी बड़ी उन्नति की थी। इन्होंने निनेम नगर पर! यात पर फुदनेवाला। ३ सुस्त, महर । आक्रमण किया था, किन्तु ये पराजित हुए। इन्होंने मिनमिनाना (हिं० कि०) १ गिन् मिन् शब्द करना, नाकसे · सिंहासनच्युत हो कर २८ वर्ष तक अज्ञातवास किया वोलना। २ कोई काम बहुत धीरे धीरे करना, यहुत 'था। फिर वलसञ्चय कर शव ओंको अपने देशसे भगाया, सुस्तोसे काम करना। और सिंहासनारोहण किया था। मिनयाल (म० पु० ) करघेर्मेका यह घेलन जिस पर चुना '४ साजेस (अस्त्याग) (५६५५६० ईसासे पूर्व) : हुमा कपडा लपेटा जाता है और जो धुननेवालेके ठीक ' इन्होंने ३५ राज्य किया। पीछे इनके नातीने इनको। आगे रहता है। • सिंहासन-युत क. मिदियाको फारसमें मिला लिया। मिनहा ( म०वि०) जो फाट या घटा लिया गया हो, यह घटना ईसासे ६५१ वर्ष पहलेको है। ये फारसके | मुजरा किया हुआ। राजा थे, फरैस इनका नाम था। | मिनाफोपो- -अण्डसनद्वीपकी रहनेवाली जातिविशेष ।

ईसाफे ४०८ वर्ष पहले कैरसके पुत्र द्वितीय दरायुस- समग्र सुसभ्य जातिके विदित भूभागोंमें कहीं भी ऐसी

को अधीनताको अस्वीकार कर मिदियावासी विद्रोही | धन्यजातिका नमूना दिखाई नहीं देता। यया यदि 'हुए। किन्तु . दुर्भाग्यवग ये पराजित हो फिर अधी। कहें, तो कह सकते हैं, कि यह जाति प्रकृतिको सुन्दर नापाशमं जकड़ दिये गये। इसी समयस मिदियाकी गोदमें विधाम कर रही है। सभ्यता कोमल प्रकाशने - स्यनन्तता सर्वदाके लिये पृथ्योपृष्ठसे अन्तहित हो। आज भी मानो इस जातिको स्पर्श तक नहीं किया है। गई। मनुष्य जातिमे इस तरहकी नियट और हेय अवस्था • . एकवतना-नगरका शिलालेख आज भी दरायुसको : और किसीको दिखाई नही देतो। शवरादि पर्णधारी 'विजय-कहानीका साक्ष्य दे रहा है। सुप्रसिद्ध प्राचीन नोच जाति इसको अपेक्षा कुछ अशीम श्रेष्ठ है।। • इतिहास-संग्रहकर्ता फल रविन्सनने उक्त शिलालेखोंका। इसके रहने के लिये घर नहीं। यष्टि और रोहसे अनुवाद करां कर पेशियाटिक सोसाइटोके १० भागमे । वचनेके लिये कोई उपाय नहीं। राजा रक्षाके लिये कोई

प्रकाशित कराया है।

वस्त्र नहीं। नरनारी दोनों ही वनमें छिपे पशुओंको . . मिदियाके आर्कमिदवंशी राजोंने एक समय भट- तरह नङ्ग विचरण करते हैं। एक दूसरेको देख कर लाटिकसे भारत महासागर और उत्तर ध्रुबसे सहारा नहीं लजाता। सिवा सो वे माने यहारोपयोगी भूमि तफ अपना प्राधान्य फैलाया था। अति प्राचीन किसी तरहका शिल्प नहीं जाते। और तो हे _Vol, ITI, 143.