पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६३५

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. - मिदिया मिनाकोपी ५६६

प्राचीन मिदंगण ६ जातियों में विभक थे। उनमें मद्-। देश मित्र भी इनके ही हाथ आया था। किन्तु इस

.: गणं वर्णगुरु समझे जाते थे। इनका दूसरा नाम समय शिलालेखों तथा इतिहास के पन्नोंके सिवा पृथ्वीमें आर्य या मारिया (Atia) है। यूनानके ऐतिहासिक उस जातिका चिह्न कहीं दिखाई नहीं देता। • हिरोदोतंसफे मतसे इन चार राजाओंने मिदियाका | मिद्ध (सं० लो०, १ आलस्य । २ निद्रालुता, निद्रा पोछले समयमें राज्य किया था,- शीलता। ३जड़ता, मूर्खता। . : १ दायूसिस ( ७१०-६५७ ईसाके पूर्व ) इन्होंने ५३ मिनती ( म० स्त्री०) विनति देखो। वर्ष तक राज्य किया। | मिनती (हिं० पु०) मक्खोकी बोलीके समान कुछ नासे ___..२ झवत्तीस ( ६५७-६५३ ईसासे पूर्व ) इन्होंने २२/ निकला हुआ स्वर । वर्ष तक राज्य किया। इनके समयमें मिदियाने चरम / मिनमिन ( हिं० वि०) मफ्षीको भनमनाहटके रूपों, कुछ सोमाकी उन्नति को थी। . नाकसे निकले धोमे स्वरमें । • सियाजेरास (६३५५९५ ईमासे पूर्व ) इन्होंने मिनमिना (हिं० वि०) १ मिनमिन शब्द करनेवाला, नाय- ४० वर्ष तक राज्य किया। इन्होंने अपने समयमें युद्ध-! से स्वर निकाल कर धीमे बोलनेवाला । २ थोड़ी-सी । विद्याकी बड़ी उन्नति की थी। इन्होंने निनेम नगर पर । यात पर कुढ़नेवाला। ३ सुस्त, महर । आक्रमण किया था, किन्तु ये पराजित हुए। इन्होंने मिनमिनाना (हिं० कि०) १ गिन मिन् शब्द करना, नाकसे • सिंहासनच्युत हो कर २८ वर्ष तक अज्ञातवास किया। बोलना। २ कोई काम बहुत धीरे घारे फरना, बहुत था । फिर पलसञ्चय कर शव ओंको अपने देशसे भगाया' सुस्तोसे काम करना। और सिंहासनारोहण किया था। मिनयाल ( अ० पु० ) करघेका यह वेलन जिस पर युना ४ असारजेस ( अस्त्याग) (५८५ ५६० ईसासे पूर्व) हुआ कपड़ा लपेटा जाता है और जो चुननेवालेके ठीक इन्होंने ३५ राज्य किया। पीछे इनके नातीने इनको। आगे रहता है। सिंहासन च्युत का मिदियाको फारसमे मिला लिया। मिनहा ( म०वि०) जो काट या घटा लिया गया हो, - यह घटना ईसासे ६५१ वर्ष पहलेको है। ये फारसके । मुजरा किया हुआ। राजा थे, फरैस इनका नाम थो। . . | मिनाकोपों-- अएडमनवोपको रहनेवाली जातिविशेष ।

ईसाफै ४०८ वर्ष पहले कैरसके पुत्र द्वितोय दायुस- समप्र सुसभ्य जातिके विदित भूभामि कहीं भी ऐसी

को अधीनताको अस्वीकार कर मिदियावासी विद्रोही | चन्यजातिका नमूना दिलाई नहीं देता। यधार्थ में यदि 1 हुए। किन्तु दुर्भाग्यवरा ये पराजित हो फिर अधी, फहे, तो कह सकते हैं, कि यह जाति प्रातिको सुन्दर • नतापाशमें जकड़ दिये गये। इसो समयस मिदियाकी गोदमें विश्राम कर रही है। सभ्यताके कोमल प्रकाशने स्वतन्त्रता सर्वदाके लिये पृथ्वोपृष्ठसे अन्तर्हित हो। आज भी मानो इस जातिको स्पर्श तक नहीं किया है। गई। . . मनुष्य जातिमे इस तरहकी निकृष्ट और हेय अवस्था • एकवतना-नगरका शिलालेख आज भो दरायुसकी । और किसीकी दिखाई नहीं देता। शवरादि पर्णधारी पिजय-कहानीका साक्ष्य दे रहा है। सुप्रसिद्ध प्राचीन नोच जाति इसको अपेक्षा कुछ अशोमे श्रेष्ठ है। - .. इतिहास-संग्रहकर्ता कर्नल रविन्सनने उक्त शिलालेखोंका। ' इसके रहने के लिये घर नहीं। वृष्टि और रोदसे अनुवाद करा कर पशियाटिक सोसाइटोके १० भागमे बचने के लिये कोई उपाय नहीं । लजा रक्षाके लिये कोई प्रकाशित कराया है। . ... घन नहीं। नरनारी दोनों ही वनमें छिपे पशुओंकी iv. मिदियाके आर्कमिदवंशो राजीने एक समय अ- तरह नङ्गे विवरण करते हैं। एक दूसरेको देख कर लाष्टिकसे भारत महासागर और उरार ध्रु यस सहारा नहीं लजाता। सिवा गरे देशाने महारोगी भूमि तक अपना प्राधान्य फैलाया था। अति प्राचीन किसी तरहका शिल्प नहीं जाते। धार तो पलाई Vol, III. 143