'मिन-पियांगज
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वास है । ये लोग भाने पड़ोस मानगुआनिस जातिः। नासिरिया विश्वविद्यालयके सभापति हुए थे । सन्
के साथ मिल कर रहते हैं, कभी भी भापसमें विवाद ! १२५२ ई में दिल्लीफे बादशाह सुलतान नासीरउद्दीन
नहीं करते।
महमूदके शासनकालमें उक्त इतिहासको रचना कर उसे
मिन (सं० वि०) लिन्न, पीड़ित।
इन्होंने वादशाहके कर-मलोंमें समर्पण किया था।
मिन्नत ( म० खो०) १ प्रार्थना, निवेदन। २ दीनता। दिल्लीमे ये "सदरे-जहां" आदि कई उपाधियों से विभू.
३ एहसान, कृतज्ञता ।
पित किये गये थे।
मिनिमन (स.लि ) सानुनासिक वाक्यविशिष्ट, कुछ मिनडशा (सं० स्त्रो० ) गजनेच्छा, मांजनेके लिये चेष्टा ।
नाकसे निकले धीमे स्वर में । वायु-फफके साथ मिल कर मिमम (स.नि.) मसज इच्छा सन् तत दुः।
शम्दवाहिनी धमनियों को ठगाच्छादित किये रखती है, मजनेच्छ ।
इसीसे बहुतेरे मनुष्य बहुत नहीं बोल सकते तथा मूक,
"यद्दन्तिना कटकटातटामिम
गद्गद् भापी और मिनिमय होते हैं।
मं दपादिपरितः पटल्लेरलीनाम ॥" (माघ ५॥३७)
, "भावृत्या वायुः सकफो धमनी शक्ष्याहिनी।
नरान करोत्यक्रियकान मूकमिन्मिनगद्गदान "
मिमत ( स० पु० ) एक प्राचीन ऋषिका नाम ।
इस रोगकी चिकित्सा-घी ४ सेर चूर्ण के लिये मिमन्थिपा ( स० स्त्रो० ) मन्थनेच्छा, मथनेकी
सोहिलनकी छाल, वच, सैंधव, धयफूल, लोध और |
इच्छा ।
आकनादि प्रत्येक बाघ पाय , अल १६ सेर और बकरो- मिपन्थिषु (सं० लि०) मन्धनेच्छु, मथने की इच्छा करने
का दूध ४ सेर, इन सबसे नियमपूर्वक घृत पाक करना।
बाला।
होगा । उपयुक्त मात्रा सेवन करनेसे जड़ता, मुकता | मिमयिषु (स नि०) मईन करानेमें इच्छुक ।
भौर गद्गद स्यर नष्ट होता है, स्मरण शक्ति बढ़ती है। मिमदिपु ( स० त्रि०) मह नेच्छु, दलनाभिलापी।
और उन्चारण स्पष्ट होता है।
मिमिक्ष ( स० त्रि०) जलसिक्त, पानीमें सींचा हुआ।
मिन्हाज-इसिराज-तयकत्-इ-नासीरी नामक प्रसिद्ध मिमिक्ष (सं० त्रि०) स्तोतृगणके इच्छानुसार फलवर्ष-
, इसलाम राज्यके इतिहास-लेखक। इनका घर जर्जियामें नेच्छु ।
था। यह एक प्रसिद्ध कवि भी थे। ये मुसलमानी मियां (फा० पु०) १ स्वामो, मालिक। २ पति, खसम ।
• राज्यको आदि प्रतिष्ठासे ले कर सन् १९५६ ई. ३ वड़ो के लिये एक प्रकारका सम्बोधन, महाशय ।
१६५८ हि०) तझको सारो घटनाओं का उल्लेख अपने इति- ४ बच्चों के लिये एक प्रकारका सम्योधन। ५मुसल-
हास-प्रन्थमें कर गये हैं। इनका यथार्थ नाम है, आबू- | मान । ६ शिक्षक, उस्ताद । ७ पहाड़ी राजपूतोंकी
उमर मिनहाज उदान-ओसमान विन्द सिराज उद्दोन अल एक उपाधि।
जुर्जानी ( जजिया) । ये सन् १२२७ ई० (६२४ हि०) | मियांगज-अयोध्या-प्रदेशके उनाव जिलान्तर्गत एक वडा
में धोर राज्यसे सिन्धुप्रदेशमें आये थे। क्रमशः वहाँ-1 गांव। यह अक्षा० २६४८ उ० तथा देशा० ८०३४
• से उथा और मुलतानका परिभ्रमण कर दिल्लोके सुलतान पू०के मध्य विस्तृत है। नवाव आसफ उद्दीला और
शमसुद्दीन अलतमशके अधीन राजकार्यमें नियुक्त हुए। सयादत अली खाँके राजस्व सचिव मियाँ अनमस मलीने
- इसके बाद क्रमसे इन्होंने सुलताना रजिया और सुलतान । १७७१ ई०में यह नगर वसाया। किन्तु दुर्भाग्यवशतः यह
यहरामशाहके अधीन भी कुछ दिनों तक कार्य किया। अभी श्रीभ्रष्ट हो पड़ा है । १८०३ ई० में लाई भालेन्सिया
यहादुरशाहके मृत्युपरान्तं ये हि०६३६में लक्ष्मणावतीको (alentia) ने इस नगरको समृद्धिका वर्णन किया है।
देखने के लिये गये थे।, यहां ये तीन वर्ष रहनेके वाद | किन्तु दुःखका विषय है, कि उसके २० वर्ष बाद ईसा.
हि० सन् ६४२में फिर दिल्ली लौट गपे। इसके बाद ये । धर्मयाजक हेबर १८२३ ई०में उसको इमारतोंके कुछ
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६३९
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