पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६५१

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मिर्जापुर ५८१ चलरामने मिर्जापुर पर अधिकार किया। अप्रेज सेना- मिर्जापुरमे प्राचीन कीर्तिके अनेक खण्डहर मिलते पति मेजर मनरोने बक्सर युद्धके वाद हो चुनारगढ़में हैं। इसके पास ही दुर्गाड नामका एक झरना है । 'घेरा डाला । १७७२ ई०में चुनारगढ़ अंग्रेजी शासनमें इसके उत्तरमें कामाक्षा देवीका मन्दिर है। पर्वत-खंडों

लाया गया।

पर बहुत-सी खुदी हुई मूर्तियां अभी तक वर्तमान हैं ' १७८१ ई०में लार्ड पार्नहेष्टिग्सने काशीराज चेत जो इस स्थानकी प्राचीनताका परिचय देती हैं। यहांके सिंहको राजच्युत करनेकी चेष्ट की । फलतः राजा मेजर सिंह. घोडे और हाथीकी प्रतिमाये अत्यन्त सुन्दर है। पपहामसे लतीफपुरमें पराजित हुए और ग्वालियर भाग मन्दिरफे दूसरे पार्शमें गुप्तवंशीय राजाओंके गये। समयके खुदे हुए बहुतसे शिलालेख हैं। बहुतोंमें चन्द्र पश्चात् अप्रेजोंकी कृपासे महीपनारायणसिंह | और समुद्र नाम अंकित है। यह देख पुरातत्त्ववेत्ता काशो और मिर्जापुर प्रदेशके राजा हुपे। १८५७ ई में अनुमान करते हैं, कि ये चन्द्रगुप्त भीर समुद्रगुप्तकी मिर्जापुरमे सिपाहियोंका गदर हुआ। पहले मिर्जापुरके | लोपियां हैं। हर साल यहाँ दुर्गापूजाके बाद एक मेला एक खजानचीने सिपाहियोंको उमाड़ा। १ली जूनको लगता है। पूर्ण समयमें जो सब यालो इस दुर्गा- बनारसमें और ५वीं जूनको जौनपुरमें सिपाहो धागो हुए। मन्दिरके दर्शनार्थ आये थे उनके नाम अभी तक पर्वत पर 'कने पर ८७ सौ पैदल सेना ले वलवा दवाने चले । ८धी खुदे हुए हैं । इन लोपियों में अधिकांश गुप्तवंशके जूनको सिक्ख लोग इलाहायादमें इकट्ठे हुए। दूसरे दिन पहले का लिखा हुआ है। 'पागो सिपाहियों के हमलाके बरसे मिटर टुकरको छोड़ मिर्जापुर-तहसीलके अन्दर परियाघाट नामके ‘कर समूचो मंग्रेजो फौजने चुनारगढ़में आश्रय लिया।' स्थानमें हिन्दुओं का प्रसिद्ध विन्ध्याचल नोर्थ है। यहां १०जनको सेनापति मिटर टकरने वागियों पर हमला विन्ध्येश्वरी या विन्ध्यावासिनी देवीका पुराना, मन्दिर किया और उहें हराया। ११ ज नको मद्रासी अंग्रेजो ! है। पुरानो कथासे मालूम होता है, कि विन्ध्याचलमें फौज मिर्जापुर आई तथा इसने जल-सकैतोंके एक खास ! पिलुप्त पम्पापुरकी राजधानो थो। प्रवाद है, कि इस 'बई गौरको यस किया । भदोहो परगनेके ठाकुर सर- स्थान १५० दुर्गाके मन्दिर थे। औरङ्गजेवर्क समय- दार भादवन्तसिंह वागो हुए। पोछे घे पकड़े गये और में ये सव नए किये गये। पुरातत्ववेत्ता कनिहम, फगु फांसी पर लटका दिये गये। सन और फरर आदि कहते है, कि यहां प्राचीन समय में ___ठाकुर लोगोंने बदला लेने के लिये यहांक ज्वाइंट एक वड़ो राजधानी थी। परन्तु उस पम्पापुरका इतिहास मैमिलेट पर हमला किया और उनको तथा दो और | घोर अन्धकारसे ढका है। विन्ध्याचलसे थोड़ी 'नीलहे गोरोंको पाली गांयको कोठीमे मार डाला। २६. दूर पर रामेश्वरनाथका वर्तमान मन्दिर है । इसके 'जूनको बन्दा और फतहपुरके तथा ११ अगस्तको दाना- 1 पासमे पत्थर-मूत्तियोंके अनेक टुकड़े पाये जाते हैं । उनमें पुरके वागो सिपाही लोग मिजापुरमें आ पहुंचे। अंग्रेजी : एक देवीमूर्ति कौतुहलोदीपक घस्तु है। यह गोदमें 'सेनासे हार खा चे लोग मिर्जापुरस भाग गये। ता०८/ वालक लिये किसी पूर्णा गो युवतीको प्रतिमूर्ति है। पे को धागो जमोदार कारसिंह मिर्जापुर आये और ता० १. अपने कोमल अंगों में पुत्र लिये सिंहासन पर बैठी को नागर नामक स्थानसे ५००० देशो सिपाहियोंका दल हुई है। मुखका आकार बिगड़ा हुआ है । हिन्दूद्रोही वागी हो मिजापुर आया। १८५८ ई०क जनवरी में सेना- बौद्ध लोगों ने इनके मुखको बदल कर तीर्थर या युद्ध- पति मिष्टर एकरने विजयगढ़ नामक स्थानमें वागियों ! देवका मुग्य गढ़ना चाहा था। दहिना हाथ केहुनीसे नीचे पर हमला किया और उन्हें हराया। घागी लोग शोन टूटा हुआ है। यायें हाथमें सुकुमार शिशुमूर्ति देखनेसे • नदीके उस पार भाग गये। तभीसे मिर्जापुरमें शान्ति मालूम होता है, कि वोद्ध लोगो को दया आई और इसी. विराजती है। . लिये प्राचीन हिन्द कोतिका चिह्न अभी भी वर्तमान Vol. AII. 146 ....