पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६५४

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५८४ पिल (जान स्टुअर्ट) प्रथोंको पढे बिना नहीं रहते । जेम्स पुलको नाटक , , १२ वर्षको अवस्थामें मिल वाल्यकालको शिक्षा और उपान्यास पढ़ने नहीं देते थे। आमोदजनक | समाप्त कर चिन्ता राज्यका पथ योजने लगे। वे इस . पुस्तकोंमें फेवल रविन्सन फ सोको पढ़ सकते थे। समयसे हो तर्षाशास्त्रको मालोचनामें लग गये 1 भगो- . __आठ वर्षको अवस्थाम मिल यूनानी थ्याकरण, | नन् ( Oigunon ) द्वारा रचित , तर्षाशास्त्रको उन्होंने " साहित्य और इतिहासमें विशेष व्युत्पत्ति लाम कर ! पहले पहल पड़ा था। तोविद्याकी युक्तियां. उनके होमरका इलियड पढ़ने लगे। इसो समयसे चे लैटिन । चिन्ताप्रवण चित्तमें आनन्दको पुष्टि करने लगी। इसके भाषा भो सीखने लगे। सिवा इसके इन्हें अपने छोटे छोटे बारेमें उन्होंने अपनी जीवनीमें लिखा है,--"तीशास्त्रको भाई बहनोंको भी लैटिनको शिक्षा देनी पड़ती थी । इस तरह कोई भी शाल बुद्धिको परिमार्जित कर नहीं सकता.। . से भी इनका विशेष उपफार होता था। दूसरेके सम. उन्होंने इसी समय प्रसिद्ध यूनानी यता डिसस् झाये जाने पर पढ़ाये हुए विषयकी स्वयं दृढ़ता हो जाती | थिनिसकी "फिलिपिकस" नामकी, वक्तृता पढ़ी और है। इसके कुछ दिन बाद पितासे युकलिडकी | यूनान देशको रीति-नीतिकी जानकारी प्राप्त की। इसके च्यामिति तथा योजगणित पढ़ने लगे। इस तरहसे , वाद उन्होंने तासितास, जुविनल और पुहिण्टिलिमन २२ वर्षकी भयस्थामें अलौकिक प्रतिभासे मिल! सादि विख्यात प्रन्धकारोंको पुस्तकोंको पढ़ा। फिर यूनानी, लेटिन भाषाके प्रायः सभी अन्धोंका अध्ययन प्लेटोके जर्जियानने 'प्रोरोगोइस' और 'रिपवलिक' या कर लिया। मानो स्वाभाविक संस्कारके वलसे प्राक्तन- साधारणतल नामक नये प्रकोपटनेलो मिल विद्या' भी उनकी गायत्त हुई। मिलने अपने जीवन- स्वयं कह गये है कि आत्मोक लाभ करने जा कर चरितमें अपनो शिक्षाके विषयमें लिखा है,-"पाण्डित्य प्लेटोका प्रन्थ न पढ़नेसे शिक्षाकी समाप्ति नहीं होती। मण्डित पुलघत्सल पिताके विशेष यत और ध्यान इसी समय सन् १८१८ ई०में उनके पिताने भारत. . देनेसे.ही उन्होंने यह सफलता प्राप्त की थी।" वर्षका इतिहास. खतम कर डाला! यह पुस्तक भी, मिलको पृथ्योफे इतिहास पढ़नेमे बड़ा आनन्द आता मिलको शिक्षाका प्रधान उपादान हुई थी। यह पुस्तक था। यूनान और रोमफे इतिहास सम्बाधीय सभी प्रन्थों- पढ़ कर चे हिन्दुओंको प्राचीन सभ्यता और संमान.. को उन्होंने पढ़ डाला था। इनमें मिरफोर्डका यूनान पद्धतिको जानकारी प्राप्त कर हिन्दुओंके आन्तरिक हितेपी और फर्गुसनको रोम उनका प्रियपाठ था। हो गये। . . . . :: . . मिलने वाल्यावस्थामें ही रोमका इतिहास, पृथ्वीका इतिहास, इङ्गलैण्डका इतिहास, भौर रोमको शासन. इसके कुछ दिनोंके बाद रिकाडाँकी अर्थनीति और राजनीतिको एक पुस्तक उन्होंने लिखी। जेम्सने पुन- प्रणाली नामक इतिहासकी चार पुस्तकें बनाई। इन की चिन्ताशक्ति उत्तरोत्तर मार्जित करने के लिये मिलको सय पुस्तकों में उन्होंने प्रजातन्त्रका ही पक्ष समर्थन किया था।' इस पुस्तककी मोटी-मोटी बातोंकी मौखिक शिक्षा देना 'पिताको आशाले गिल किशोर अवस्थामें हो आरम्म किया । पोछे पुत्रको रिका की पुस्तकके कविताकी रचना करने लगे। किन्तु ये कवि न हो साथ आसाम स्मिथकी यनाई अर्थनीतिशास्त्रको मिला सके। जेम्सने पुत्रको कवि बनानेके लिये होमर, होरेस, कर उत्कर्षापकर्षकी समालोचना करनेको कहते थे। यलिल, सेक्सपियर, मिल्टग, टामसन, पोप, स्पेनसार, जेम्स जैसे शिक्षागुर पृथ्वीमें विरले ही आदमीको मिला स्कार, बाइप्डेन मादि कवियोंको कविता पढ़ाई थी। किंतु होगा। फिर मिलकी तरह छात्र भी संसारमें बिरला चिन्तामणि प्राप्त करनेमें उत्सुक मिल गम्भीर निग्ता ही होगा। विधाताके विचित्र विधानसे पितापुन गुरु- शीलताको छोड़ कर काव्यभावकी तन्मयता प्राप्त न कर। 'शिष्यरूपसे ज्ञानराज्यके दुर्गदुर्गमें बढ़ने लगे। इस तरह सके। वे विमान और रसायनशास्त्र के परीक्षित विषयों- मिलने १४ वर्षकी अवस्था विधाम्यास समाप्त कर ... को पार भौर उनकी परीक्षा करने में लग गये। दी। इस समय ये अब पिता छान नहीं रहे। स्वयं