पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६७९

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____ मित्र हेलियोपोलिस (. Helionolis) या सौर नगरकी | उपनिवेशिकोंने पहले भूमध्यसागरके तटोंके नाना स्थानों. प्रतिष्ठा कर सूर्यपूजाका प्रचार किया। इन लोगोंने पोछे | में वास किया। उनमें लिबू ( libu •) जाति पीछे गोसेन ( Goshen) भूमि पर अधिकार फर मिसको लाइवियस नामसे परिचित हुई। अफ्रिकाका प्राचीन निम्न-भूमि पर अधिकार जमाया और सिरिया नाम लाइविया है। प्राचीन मिसकी पौराणिक कहावत तफ अपना राज्य फैलाया। सूर्य-कन्या पास्त ( Pasht) | इस तरह है, कि उनके पूर्व-पुरुष दक्षिण-पूर्वसे मिसमें या वास्त ( Bast ) उनको अधिष्ठात्री देयो हैं। आये थे। इनका मादिनिवास तानेतार ( Taneter ) , पाथरस या पाथमिमगण उत्तरके विभागमें रहते ) या देवभूमि है। . . थे। होलिओ या सूर्यनगरवासी पीछे मेमफाईट ( Mem-| आदि राजा मेनाके राजत्यकालमें सभ्यताका विकारा phite) नामसे प्रसिद्ध हुए। पूय समयमै अरवी निम्न | देखनेसे मालूम होता है, कितने सहस वर्ष पहले मिसमें मिसके देवता सेट ( Set या Typhon ) की पूजा करते मनुष्योंकी बसती हुई थी, इसका अनुमान लगाना कठिन थे और पश्चिम एशियामें सर्चत सूर्यको ही पूजा प्रच- | है। लित थी। , . जो हो, द्वापर युगके अवसानमें मेनाने अपने सुशि. - प्राचीन मिस जातिको कहावते' कुछ वाइविलकी क्षित और पराक्रमशाली सैनिकोंके साहाय्यसे ५००४ वर्ष वर्णनासे .मिलती जुलती है। असुर जब पापाचार | ईसासे पूर्व ( दूसरे मतसे ७००४ वर्ष ) मिसूके सिंहासन फैलाने के लिये तत्पर हुए, तब सूर्यदेव (Hor-em kha)-ने पर आरोहण किया। उन्होंने समाजमें विलास-वासना. युद्ध में उन सभोंको पराजित किया। असुरगण परा- को सृष्टि कर पृथ्वीमें पापका चीज चपन किया। मिसके जित हो कर कुशस्थलमें अर्थात् दक्षिण अफ्रिका (यही | इतिहासमें उसके पूर्ववत्ती जनसमाजका रूप इस प्रकार क्या कुशद्वीप है ?) भागे। पीछे यही निप्रो नामसे अंकित हुमा है। विण्यात हुए..निप्रोको ही यशो कहते हैं। सुरों में या मेनाने ही सरलतामय मानव-जीवनमें पापका प्रबार . देवताओं में कितनोंने ही श्वेत द्वीप और अफ्रिकाके उत्तर | प्रवाहित किया था। उसके पहले मनुष्य जाति प्रकृति भूमध्य सागर तट पर जा कर 'उपनिवेशकी स्थापना के शिशुको तरह यनमें, पर्वतः कन्दरों और तराई आदि की। माहु ( Tamahu-तमोहा १) इनके अप्रगण्य जङ्गलोंमें वास करती थी। "मनुष्य अयनसम्भूत वनफे (नेता) थे। फल-मूलोको भक्षण कर अरण्य जन्तुकी तरह स्वच्छन्दः ...अनम या आम् (sim) के वंशधरोंने पशिया-खएड. रूपसे विचरण करते थे। यह दिगम्बर मानवंदल में प्रवेश फर पेलेटाइन, सिरिया, एशिया माइनर, अरव ! सरलताको प्रतिमूर्ति था। और कालदिया मादि देशोंमें जा कर उपनिवेशोंको । ____ झरने और नदीका जल हो जिसका पीनेका शल स्थापना की। चतुर्थ जाति शाशुकोन निर्दिश स्थानमें न था, वन फल ही आहार था, दिग् ही जिसका अम्बर था, रह कर येदुइनरूपमें परिणत हुई । इस जातिके लोग प्रायः चन्द्र ही दीपके प्रकाश थे, नीलाम्बर जिसकी. चांदनी अरवमें ही रहते थे। मिसके जातितत्त्वमै इन्हीं प्रधान | था; गृक्ष, लता, पशु, पक्षी जिसके सहचर थे और विशाल चार जातियों का उल्लेख है। विश्वमन्दिर जिसका वासगृह था, उनमें किस लिये ___आज कलको वैज्ञानिक मण्डलीने बाइविलकी दातों परस्पर द्वेष भायका सञ्चार होता? . . . की उपेक्षा कर और यहाँके किस्से कहानियोंकी परवाह न ___क्रमशः यह मानवदल सभ्यताको आडमें उच्चतर कर सुसंस्कृत विज्ञानानुमोदित प्रमाणके साहाय्पसे यह सोपान पर चढ़ा । तर लता द्वारा आच्छादि घ कुकुटि सिद्धान्त किया है, कि काकेशीय जातिके मानव सुदूर-! और पर्वतके निविड़ कन्दरको छोड़ कर वे पशु चम यत्ती प्राचीन कालमें ऐशियासे मिसूमें गये थे। निग्रो ! द्वारा शिविर (शामियाना) तय्यार कर वसुन्धरामी . जाति या इम्र लाइट और गरय जातिसे यह पृथक है। पीठ पर विचरण करने लगे। उस समय उनके रहनेका Vol. XVII, 152