पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६९२

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११२ पित कर कई विचारालय स्थापित किये। दक्षिणमें बहुत दूर। प्रजाके लिये परमदेवता माना जाता था और तक राज्यका विस्तार हुआ । सन् १८७७ ई० में इस्मा | देववंशसम्भूत समझा जाता था। ऐतिहासिकोंका इलने अङ्गारेजोंके साथ परामर्श कर दासत्व प्रथाको उठा | कहना है, कि इस स्वेच्छाचारी शासनसे हो मिसको देनेफे लिपे प्राणपणसे प्रयत किया। मूल घात है, कि यवनति हुई । राजा द्वारा चुने हुए विचारक (जज ) उसके राजत्वकालमें मिनने हर तरहकी उन्नति की। विचारका कार्य (फैसला) फिया करते थे। किसी ___व्यवहार-शास्त्र और शासन-प्रणाली। . सन्देह-जनक अपराधका अनुसन्धान गुप्तचरोंसे करा मिष्टर चावास (M. Chabas) ने मिस्रके प्राचीन कर उसका विचार या फैसला दिया जाता था। विचारको वर्णना की है। फारोगण ( Pharonh ) के किसी किसी जगह ( Commission ) समिति संगठित शासनकालमें मिस्रमें राजतन्त्र-प्रणाली प्रचलित थी । २२ होती थी। गवाहोंको. गवाही लिखी जाती थी। यश राजत्यकालमें यह कानून यना कि स्त्रियां भी इसके लिये लेखक विचारकोंके साथ साथ घूमते राजत्व कर सफेगी। इसके बाद त्रियोंने मित्रका। ये । आईन कानून जाननेवाले व्यक्ति वंशानुकमसे राज्यसिंहासन लाभ किया; किन्तु इसमें कुछ विशेष विचारक बनाये जाते थे। दूसरा कोई विचारक नहीं हो सफलता न होतो देख १२ शके राजत्यकालमें सकता था । विचारका फलाफल . लिपिबद्ध किया त्रियोंकी उत्तराधिकारिताको अनिष्ट जनक बता जाता थो । विचार प्रणाली और दण्डाहा लिखी कानुन रद कर दिया गया। इस समय राजवंशमें शेम जाती थी. और राजाके पास भेजो जाती थी। माइट ( Sheninite) का प्रभाय दिखाई दिया। राजे अपराधीको कसम दिला कर उसका बयान लिया यथेच्छाचारी न थे। स्वायत्तशासन सर्घत ही प्रचलित जाता था। शास्ति उतनी कठोर न थी। उत्तेजनाके था। सय नगरों में म्युनिस्पलिटियां अपने अपने विभाग कारणके सिवा नर-हत्या करनेसे अपराधोको प्राणदएड का कार्य सम्पादन करतो थीं। राज्यके प्रत्येक विभागमें दिया जाता था। चोरी और व्यभिचार के लिये खूब विचारालय होनेसे राजकर्मचारी विचार-व्यवस्था कर कठोर दण्ड विधान होता था । व्यभिचारीको निर्वासित शान्तिस्थापनमें जरा भी कसर नहीं रखते थे। किया जाता था। देवस्यको चोरो करनेवाला कभी किसी किसी जगह जूरी प्रथाको भी गन्ध मिलती है। कभी प्राण-दण्ड भो पा जाता था। ऋणके सम्बन्धमे उस समय अच्छी तरह जांच पड़ताल न कर राजाका कोई खास कानून नहीं था। भूमिके सम्बन्धमें या हुक्म सुनाया न जाता था। सामाजिक सम्मानमें पुरो प्रजा-सत्यके विषयमें कोई भी कानून आज तक नहीं हित हो अधिक सम्मान पाते थे। ये जङ्गलमें कुटि वना देखो जाती । देयोत्तर-सम्पत्ति चिरस्थायो रूपसे कर दर्शनशास्त्रको आलोचना किया करते थे। फर-रहित थी। थिवफेस धर्माधिकरणमें प्रधान असीरीय और याविलिनयोंको शासन-प्रणालीके विचारफके सिया ६ और धर्माधिकारी या विचारक साथ मिसको शासन प्रणालीको समानता दिखाई थे। देती है। फिर कानूनभो एक से नहीं है । प्राचीन सैन्यपल। स्मृतिस्तम्भोंके लेखोंके पढ़नेसे मालूम होता है। प्राचीन मिस्र के युद्धके विषयमें बहुत वात आनी .. कि वहां के राजे पुर, पौत्रादि फ्रमसे सिंहासन पर बैठते जा सकती है। स्वदेशी और विदेशों लोगों द्वारा थे। किन्तु १८ और २० घशके राजत्यकालमें राज.. सेनायें संगृहोत होती थीं। योद्धामोंकी एक स्वतन्त्र चंशके उत्तराधिकारीफे सम्बन्ध व्यक्तिकम दिखाई देता जाति थीं। प्रायः उनके कई आचरण क्षत्रियोंके जैसे है। सिवा इनके अन्यान्य सभो दशके राजत्वकालमें थे। सैन्पों को जागोर दी जाती थी। सैन्यके दो राजा हो सर्वमय कर्ता थे। प्रकृतिपुञ्जका शुभाशुभ विभाग थे:-रथारोही और पैदल । रथ दो घोड़ोंसे उनको इच्छा पर ही निर्भर करता था। राजा परिचालित होता था। सारपी रप चलाता था और