पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७०८

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मीना भगाया और देश पर अधिकार कर लिया। मारयाएके ; घेती करते हैं। लेकिन डाका कारनेमें भी ये लोग जबरदस्त और यहादुर मोना लोग दो, मेवाड़ और पहले होसे प्रसिद्ध है। मुसलमानोंके राजत्यकालमें अजमेरके सरहदमें तथा जयपुरो मीना लोग अलय, लूट, अत्याचार और उपद्रवके कारण आम लोगोंके लिपे जयपुर और सरहदो बगरेजी जिलामों में बसे हुए हैं। ये भयावह हो गये थे। पीछे भक्तायर गौर पनि (बहि) शिरोहोके रहनेवाले मोना लोगों की अवस्था अच्छी सिंहने अपने राज्यकालमें इन लोगों पर अच्छा शासन नदों है। किया। उन्होंने इनके गांवों को छो छोटे टुकड़ों में चितामोना मेत्यालाफे पहाड़ी जंगलों में रहते , यांट कर शासनको अध्ययस्था को। १८९७ में इन्होंने हैं। इस श्रेणीसे मेर या मैर नामकी शायण निकली अलगर राज्यके अनेक स्थानोंको लूटा और जला दिया। है। यह मेर भासा मेरयाड, मेरात या मरोत नामसे सरकारी फिरोजपुर और उसके आस पासफे स्थानों में प्रसिद्ध है। संस्टत मेर पर्वतके नाम पर इन मो ये लोग अत्याचार गौर उपद्वय करनेसे बाज नहीं लोगों का नाम पड़ा है। फमलमेयसे अजमेर तक अर.! आये। अगरेतो सेनाने जा कर इन लोगोंको पकड़ा और पाली श्रेणीको फैली हुई पहाड़ी भूमिमें मेर जातिके रहने । वहुनोंको फांसी दे दी। फे कारण इस स्थानका नाम मेरयाद हुआ है। वर्तमान समयमें मुसलमानों को संगतमें मा इनसे चितामोना लोग दिलीये. अन्तिम चौदान राजाफे यहुतेरे मुसलमानी नामों का अनुकरण करने लगे हैं। होली किसी पीतसे अपनी उत्पत्ति बताते हैं। प्रवाद है, कि! जन्माष्टमो, दशहरा और दोयालो मादि दिन्दू त्योहारों के उना चौहान राजाके भतीजे लाक्षाफ अनिल और अनूप साय माप मुहर्रम, ईद. सूचेयरात आदि मुसलमानो त्योहार नामक दो लड़के थे। यात चली कि ये दोनों लड़के भी मनाते हैं। अमावसके दिन पे कोई काम नहीं लाक्षाको मीना जातिको किसी रखेलीसे उत्पन्न हुए है करते। उस दिन ये फेयल भैरय या हनुमानज्ञोको इससे घे दोनों लड़के लजित हो राज्यलोभ छोड़। पूजा करते है। मुसलमान मेमोमें अधिकांश फलमा अजमेर आ अपने ननिहालके लोगों में मिल गये। पढ़ना नहीं जानते । अनिलने किसो मोगा-सरदारको लदशीस विया हिन्दू मेमो लोग यियादफे समय ब्राह्मण युलाते है। किया । इनफे चिता (चित्र) नामक एक लड़का ब्राहाण हो लग्नाव लिम्व देते है। पियाहका दहिम दो हुमा । उस लहफेने मेरयाडाको सारी मीना- मी गाये होता है। नियम है, कि मुमलमाम लोगमि शक्तिको हस्तगत किया और यह एक प्रधान सरदार भो ग्रामण लानपत्र लिख देते हैं, लेकिन रियाद समयमै समझा जाने लगा। मजमेरको उत्तरो-सोमाके चितायंशीय कालो पाता है गौर मन्त्रपाठफे साथ कार्य समान लोगोंने इस्लाम धर्म कबूल किया था। . इस घंशकी करता है। प्रतने समय नाई मीर फकीर मौजद रहते १६ पोदी नोचेमें दुधा हुए । घे दाउद साँफे द्वारा अजमेर- है। पे लोग अपने घंगके लोगों में शादी नहीं करते। फे हाकिम पनाये गये। अपन नगरमें नका महल | माताफै गोसमें पियाद मना है, लेकिन पार पौढ़ो छोड़ था। इसलिये इमफे पंशफे मेरात सरदार लोग विवाह करनेको रोति है। 'अधूनको सान्' नामसे प्रसिद थे। गथून, चंग, मक जयपुर महाराज मभिपेश-कालमें इम लोगों के पौर गजोसि नामके नगर मेर लोगों के अधिकारमें थे। हापसे टोका लेने पर अमिक पूरा समझा जाता है। ___ गनूपने भी अपने भाईको तरह एक. मीना खोसे ये लोग जयपुर राममयनमें पहरा देनेका काम करते है। यियाद किया। मफे युराइ नामका एफ लटका हुआ। मेरयाद परिवार मोना लोगों के साथ जपपुरी मीना घराष्ट्र, भैरपाड़ा और मन्दित नामक स्थानों में युराहो.! जातिका कोई लगाय नदी है। पंधर रहा है। पतमान समय दिन्दू माना लोग मेमो और माना . भलयर-रापफै मैयाति या मेशी लोग अधिकin! पे. नामसे योर मुसलमान मोना मेयाति नाम v ig. .