पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७०९

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मोना ६५ परिचित हैं। युक्तप्रदेशके मीना लोगों में एक कहावत | समान साहसी जाति भारतमें फही नहीं देखो है, कि राजा यशवन्तके दो लड़के शिकार करने जाती। राजपूतानेके कोलि लोगोंके साथ इन लोगों जङ्गल गये और यहांसे दो गाय साथ ले आये लेकिन का विवाह सम्बन्ध पाया जाता है। क्रमशः अनेक उनको बछड़ोंको उन्होंने जङ्गल हीमें छोड़ दिया। उनके । जातिच्युत लोगोंके इनमें मा मिलनेसे में लोग एक पिता बछड़ के विना दोनों गौओंके दुःखसे बड़े दुःखित वर्णसंकर जातिके हो गये हैं। हुए । अतएव उन्होंने अपने दोनों लएकोंको घरसे निकाल इतिहाससे पता चलता है, कि दिल्लीके राजा पृथ्वी- दिया। उनमें एफने यामुन देशमें (गगा यमुनाके बीचका राजके समयमें राजपूतोंने इन्हें उत्तर-दोमायसे मार स्थान ) जा डकैतीसे बहुत धन जमा किया। ये धनके | भगाया। मुसलमान-राज्यके शुरूमै इन लोगोका उप. साथ अपना घर लौट आये और अन्तमें पिताको गद्दी | द्रय बहुत बढ़ गया। गियासुद्दीनने दिल्ली. आस पर धैठे। जहां तहां उकतो करते करते हिन्दूधर्ममें पासमें इनके उपदयके वारेमें लिखा है। गियासुद्दीन इनकी श्रद्धा बहुत घट गई। इनकी जातिके लोगोंको वलयन इन्हें अपने शासनमें लाये। मुबारकशाहने अपनो श्रद्धा सोनो पड़ी। कोई कोई कहते हैं, कि ये | १४२५ ई में घोर युद्ध के बाद इन्हें हराया था। इसके मैदानमें गौ चराते थे, इसीलिये घे मेओ कहलापे। फिर तीन वर्ष वाद पे फिर बागी हुए। १३३५ ई०को लड़ाई- एक दूसरी कहानोसे मालूम होता है, कि मुसल में परास्त हो कर इन्होंने शान्तभाव धारण किया। मान होने पर विशुद्ध हिन्दू लोग 'आमीना मेओ' कह वायरफ आक्रमणकालमें मेवाति-सरदार हसन खां लाने लगे, पोछे उसीसे 'मीना' नामकी उत्पत्ति हुई। बागियोंका नेता था। फिरिस्तामें लिखा है, कि नासि- . मुसलमान मेवाति लोग कहते हैं, कि वे यादन रहोन मुहम्मदफै मन्त्रो इमानुहोनने १२५६ और १२६५ और मेवातयासी दूसरी दूसरी राजपूत शाखाओंसे । ई०में मेवाति डकैती को जडसे उखाड़ दिया था। गदर- उत्पन्न हुए हैं। अलाउद्दीन गोरोने इन्हें मुसलमान के समय इन्हों ने गुर्जर जातिक साथ मिल विद्रोहाग्नि धमाया। इन लोगों 'धरीला' प्रथाके अनुसार विधया | प्रज्यलित करनेकी विशेष चेष्टा की थी। विवाह प्रचलित है। जन्म और मरणके सभी क्रिया कर्म अग्रेजी शासनके आरम्भ में भी इनकी डकैती पूर्य: इनके मुसलमानों के जैसे होते हैं। । यत् जारी थी। असीम साहससे और निभय हो ये . हिन्दु मोना लोग मुर्देको जलाते है। अन्त्येष्टि । अंग्रेज-सरकारके डाक टूटने, गांव जलाने तथा तह- क्रियाफे बाद पे लोग एक भोज देते हैं। इस भोजमें । सील हड़पने में लगे रहते थे। सामन्त राजे तथा सर- धीनोका पर्च खूब होता है। अतः इन्हें 'रामा' | फारको ठगी और उकैती विभागके कर्मचारो लाख चेपा फरके भो इन लोगोंका दमन न कर सके। अन्तम - इस मीना जातिको चीरता-कहानी राजपूत, फर्नल यंग हलबै डने सगुड पुलिसकी सहायतासे इन इतिहासके साथ मिली हुई है । चाँद कविको लोगों को दवाया। कहीं पीछे ये गांवसे बाहर हो कवितासे पता चलता है, कि अजमेर के प्रसिद्ध राजा उकती न करें इसके लिये घरसे बाहर होनेके रास्ते पर विशालदेव इन लोगीको हरा कर अपने यशर्म लाये थे।। पहरा थैठा दिया गया था। उनके बताये ढग पर चल हजारसे ऊपर वर्ष पदले मोना-सरदार जयपुर महा- कर अन्तमें कर्नेल हापिने इस काममें सफलता प्राप्त राजफे अधिकृत अधिकांश प्रदेशों पर शासन करते थे। को थो। अभी भी नगरके फाटक, गढ़ और खजाने घरके रक्षकके ! मीना ( फा० पु० ) १ रंग विरंगा शीशा । २एक प्रकार- रूपमें ये राजकाज करते हैं। का नीले रंगका कीमती पत्थर। 3 कीमिया। ४ मोने, 'रोहिला अफगानोंकी जैसी इन लोगोंको शूरता और चांदी आदि पर किया जानेवाला रंग-बिरंगका काल । धीरता भारतके इतिहासमें अमर हो गई है। इन लोगोंके ! ५ शराब रखनेका कंटर या सुराही ।