मीमांसा
शाम में गौ मतिदेश-विधान और मार्ग पर लिमे १२ अध्यायों को जो नार और गध्याय
रामें करिनारय मिसान्तोंका माध्य लेगा - पापे गये हैं. इन चार अध्यापों का नाम मgineeti
पटना। मेमधु मानमें गुट देनेको माध्यकार पर स्वामी माया पातिककार मारिल
म्यानेकिन जहां मनु स्मन गुड़ दे कर काग: मसफे इन गार अध्यापोंका को उल्लेप नहीं करते है.
मलाया हाताप "मधुपाना शतायते" इत्यादि मन्ना इसलिये शंगराचार्ग मायाले इन्हें मीमांसाया में
परना प्रादिये कि नही पर प्रश्न उठ सका कारण नहीं लेते लेकिन रामानुजफे मत माननेवाले नपारों
मगहने पर सायद मन्त्र ययय पदना होता, लेकिन जब अध्यायों की मौलिकताको मोकार करते हैं। उपसंहारमें
मधु मरद गय प्रदन है कि ऐसे स्थानमें उस मन्मको ' मीमांसा दविलासमें भानागना देयो।
पदमेकी भापरयकता है कि नहों। अब ऊद विचारका ।
इरा दर्शनको माप परना। .
मिवात किसे स्थानमें भो उन मास ज्योका त्यों. महामुनि मिनिने अपने दर्शनमें विशेषतः इन्दो सप
पढ़नामादि।
। विपर्यो पिचार मीर मिजात निर्णय किया है तथा
पाये गध्यायों बाध निय। याध
का, प्रसंगवश गौर और विश्पोंको भी पोलोचना की है।
का ,
भ मिति है। फदा फिम मन्स या दय्यफा निति
1 मीमांसा दर्शनमें जिन सब विषयों का विचार किया गया
स्याग करना होगा उसका निर्णय करना पाप पिचारका
है ये सभी वैदिक है।
हैं।
___पादय अध्याय साता। इसका सक्षण- घेदों में याग, दान गौर दोमादि पिपय गिरम मिग्न
"भनेकरिम्प मारमातिस्तन्मता" बदन कफिनसे. गानों में गिधा. तिघर लिगे गये , उन्हें देखकर
गांभूत पफ फर्म करनेको सन्तसिदि कहते हैं। अर्थात , योगादि करना अत्पन्न करित भौर पर पर पर भूल
मिस नमें एक कर्माको मना कर्म करता है पेसे : दोनेकी सम्भावना है। महामुनि जैमिनिने मीमांसादर्शन
स्थान पर अप. अनुपामसे औरों का पस मिल . को मना कर यामिक लोगों के कट गौर सादेवको दूर
जायेगा। इस तरह निर्णय करना सन्यता विचारफा कर दिया है। मीमांसादर्शनफे. वाद होम फर्मकाणसी
उदेश्य है। इसे स्नान प्रत्येक शियाका शानः पति और निक्षा मुगम हो गई है।
को सगी शिपाये स्नान. वादही की जाती है लेकिन
प.ला दि.एक दिममे पांच कर्म करे तो पफ दो बार महामुनि जमिनित येरको मग्न मोर प्रायम दो
मार करना होता है, दार पार स्नान नही करना ,
भागों में पारा
सपोगदनामयम्" मरस
होता । उRTE हो स्नानसं और स्नानका फल मिल ! और प्राहरण दोनों माग दो या मामले प्रसिय है।
जापगा।
पौठे फिर न दो विगागों के मरे तरा. पिमाग
पार पायमें मसानपासमा है--: रिपे गप है। में शफ, पर: मोर मा यही
“भन्सार प्रमः" एक कामे रहेगी। सोम प्रिमाग।
दूर फासी सिरिको प्रसंगमा पानी 'पा मन्स और प्राला मार लक्षण मिधारित
दोका।"पाक लिये शुभ करने पर यदि ममि दुभा । “नपाद-मात्रामा 'ग्राणादा"
पाकर गुमरा फी फन मिलोसाय, मो उमे! जो मनुधार करणे. ममप पन्त भनुप महा जाम
• प्रगति माम लिएरोपाता: राता, उसको मम्स सपा उसे छोरपायम
अमेशिन माप दो मापही मिल जाती है। रिपी को प्रापदरी। फिर मो किमोकिमा मामे
काम पागर दिपुरोशाम पार करने पर inर आर. ही गम्मान प्रापित | Main
• Tो पापार नामात मदी'
" किन्तु मी मात्र पर मो .
METER पुरोधार समिद हुमा र गत पहा गर । गुलपा
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७१६
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