पोपांना
amil न मी मनिज विधान भार कार्य. ऊपर लिप १२ मार्योको जो मार भीर मायार
NEERA Sद निमार मिारतोया माधप लेना. पापे गये है, इन गार भापोंगा नाम मकाएर है।
पहा ! र, मथुरे. मानमें गुट देनेशीमाप्यकार पर स्वामी गपया यार्तिककार कुमारिन
HIEFIकिन जहां मनुफे रूपानमें गुट देकर काम , भन्त इन गार भदायीका कोई उल्लेश गद्दों करते है,
गगामा माता , ai "मथुपाना प्रतापने" स्पादि मन्स इमटिपे शंकराचार्य के मलयाले है मोमामामामे
पदगा पाप कि यह प्रश्न उठ माना है। कारण . नदी बने लेफिन रामानुज मा माननेपाले इन पारों
गधुग्दन पर या मन्त्र गपश पढ़ना होगा, लेकिन जय गध्यायों की मौलिफसाफी होकार करते हैं। उदारमें
मानना प्रश्न. शिऐसे स्थानमें उस मामको मोमोमास तिरागमें भानावना देगे।
पसी भापरयकता है कि महो। अब अद विचारका स दर्शनको भावस्यकता ।
मिधात शिपमेनमें मो उक्त मन्स ज्यों का स्पों महामुनि जैमिनिने अपने दर्शनमें विशेषतः दो सर
पटना गाहिये।
विरोका विचार और सिद्धात निर्णय किया गया
दग या पाच निर्णय है। वाध सम्बका ।
प्रसंगपन भोर और पिपयों को भी पप्पांलोचना की है।
Ni नियति है। पारा किस मन्त्र या द्रष्यफा नित्ति
स्याग करना होगा उसका निर्णय करना पाप विचारका
गोमांमा दर्शनमें जिन मयियोंका पिसार किया गया
है ये सभी पैदिक है।
उप।
पाहय भध्याय सम्बना है। इसका लक्षण-
पेोग याग, दान भौर होमादि यिप गिग्न मिग्न
“मनेरदिप सान्निा " पान कर्मोक भासे स्थानों में घिर ति
स्थानों में घिर तिघर लिये गये है, उन्हें देख कर
मगोभून एक कर्म करनेकी तम्ससिसि कहते है। भर्यात योगादि करना अत्यन्त फकिर मौर पद पर पर भूल
जिस गाना एक फर्धाको धनेश को करना है ऐसे दोनेकी सम्भावना है। महामुनि जैमिनिने मीमामादर्शन
पान में एक गर्ग. अनुपानसे और पस मिल की गगगा कर याषिक लोगों के कार मोर सन्देहको र
शपिगा। इस तरहका निर्णय करना तसता विचारपा । कर दिया है। मीमांसादर्शन वार दोमे कर्मशागको
म । अस स्नान मस्क मियाका रोग, शान पनि भोर शिक्षा मुगम हो गई।
की ममी मित्या स्नानपं. बाद दी की जाती है लेकिन
यंदा
+nा पनि एक दिममे पान कर्म करे तो पदो पार महामुगि जैमिगिने पैदको मग्य मौर माताण इन दो
स्नान करना होता है. बार पार स्नान महीं करमा भागों में बांटा है। मानारपदनामयम्" मन
होता । उस एक हो स्नानसं भोर मामो का फल मिल मोर प्राण दोनों भाग दो पं. नाम प्रमिल है।
जापगा।
पां फिर इन दो विभागों के मरे ताके पिमाग
पारद मध्यापा प्रमनिर्णय। इसका है, जिथे गपे है । म प्राक, यजमीर माम यहाँ
"भरोऽन्य nिs मन" एफ. का उदगमे तीन दिमाग।
दुमरे कामिक्षको समग पानी एक मस मोर ग्राम प्रकार लक्षण मिधारित
पोका।" का निप फुट करने पर पदि ममि भा है। "तपादन मनामना" 'येरे प्रानादा
पामराको फल गिरहोताप, नो उमे। शो मनुष्ठान करणे. माप सपना भनुपम नाम
• प्रगमित दी है। मागदिपेशा रोपा जाना राना.. उसको मर गाउ छोर पापमानमः
म मादा मार ही मिल जाती हमी हो
प्राने हैं। हिरमो फिगो किमो माग
पर पा पाग. दिपेशामपार करने पर आ गया ग्राफिक ainputari
गोपनिवार का
मदी, माराम" fraनो मार मा नि.
प. पुरोग्राम प्रतिमा संगीपल पदो माह । पास
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७१८
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