पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७४९

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मोर कासिम-मीर जाफर घेरा डाला। १७६४ ई० को ३री मई को सुना उद्दौलाके , पकड़या देनेका प्रस्ताव किया है। अब उन्होंने अपने हुकुमसे युद्ध आरम्भ हुआ। युद्धमें कुछ अंगरेजो सेना- जीवनको सङ्कटापन्न देखा और वो तेजोसे चे इलाहा. के धन्दो होने पर भी नयायको जीत नहीं हुई। संध्या । याद पार कर गये। प्रधान रोहिला सामन्त और काल होने देख घायल सुजाने मोरकासिमको बहुत तात्कालिक वादशाहो सेनापति नजव उद्दौलाकी कृपासे धिकारा और दो चार लगतो बातें सुना कर चे अपनी मोरकासिमने कुछ दिन परेलीमें वास किया था। उनका सेमाके साथ शिविरमें लौट गये। इस युद्ध में मीर- संन्दिग्ध चरित्र हो उनके सर्वनाशका कारण हुआ। कासिमके बुद्धि-विपर्ययसे हो पराजय हुई थी। वृथा संदेह और उत्पीड़नसे बहुतेरे विश्वस्त मनुचर उन्हें , इसके बाद सुजा-उहोलाने पुनपुन नदीके किनारे छोड़ चले गये। आखिर अपने कुटिल पड़यन्त्रक अप- । छावनो डाली। अपांकालका आगमन देख वे वक्सरमें वादसे उन्होंने रोहिलखण्डका परित्याग कर ग्वालियर ' छायनो उठा ले जानेका आयोजन करने लगे। यहां समोपवत्तों घोड़ाके रानाका आश्रय लिया । रानाको बादशाहके प्राप्य ऋण चुकाने के लिये वे मोरकासिमको भी उनका व्यवहार पसन्द न आया और अपने राज्यसे 'संग करने लगे। इधर समरूने मी घेतनका दावा फर निकाल भगाया। 'मोरकासिमफे शिविरको घेर लिया । मोरकासिमने __घोड़ासे भगाये जाने पर वे कुछ दिन इधर उधर अपना भएडार खालो देख परिवारवर्गके गुप्तभण्डारसे भटकते रहे और आखिर दिल्ली-राजधानोमें पहुंचे। पाद: स्वर्णमुद्रा ले कर वेतन चुकाया। इस समय दो एक शाह शाहमालमको मात लाख रुपये दे कर उन्होंने मन्त्री अंगरेज नौकर उनके गच्छित धनको ले कर नौ दो ग्यारह ' अबदुल आहिद खौके पदके लिये प्रार्थना को | याद. - हुए थे। कोषाध्यक्ष मीरसुलेमानने सुजामा आश्रय शाह अबदुलको वहुन चाहने थे। इस कारण उनको लिया था। इसके बाद समरूने नयावको रुपये देने में प्रार्थना पर विलकुल ध्यान नहीं दिया, परन, राज्यसे असमर्धा देख सेनादलको कुछ समय दिया। किन्तु ! निकल जानेको उन्हें कहा गया। इसके बाद दिल्ली और शक्तिहीन नवावको आशाको अग्राह्य कर उन्होंने अस्त्रादि। आगरेके मध्यवती एक सामान्य स्थानमें इस ज्यादा नहीं लौटाये। धोरे धोरे समरूका सेनादल वजीरके तकलीफ भुगत कर मोरकासिम इस लोकसे चल बसे । अधीन काम करने लगा। स्वर्णमुद्राके गुप्तभएडारको ) मुताक्षरोणमें लिखा है, कि मरनेके बाद उसका सिर्फ - गंध पाकर सुजाने अभो मोरकासिमके शिविरको घेर एक दुशाला येव कर अन्त्येष्टिकिया की गई थी। लिया। महिलाओं और अनुचरोंके पास जो कुछ धन | मीरजा (फा० पु.) १ अमीर या सरदारका लड़का, था उसे सुजाने जबरदस्ती छिन लिया। विपद्का | अमीरजादा । २ मुगल शाहजाद को एक उपाधि ! ३ पहाड अपने ऊपर टूटता देख मोरकासिमने इसके पहले सैयद मुसलमानोंकी एक उपाधि । हो विश्वस्त अनुचर महम्मद इसाख आदिके हाथ कुछ मीरजाई (फा० सी०) १ मीरजा होनेका भाव । मोरमका धनरत्न दे कर रोहित वण्ड मेज दिया था। इस प्रकार पद या उपाधि । ३ सरदारी, अमोरी। ४ अमीरों या उनका धनरत्न दूसरेके हाथ चले जानेसे सुजा उद्दौलाने, शाहजादोंका सा ऊँचा दिमाग होना । ५ अभिमान, जब देखा, कि अब वे रुपये नहीं दे सकते, तव वपसर- घमण्ड । दमिरजई देखो। युद्धके एक दिन पहले उन्हें एक पैर टूटे हाथोकी पीठ मीरजाफर खां--यङ्गास्टका एक प्रसिद्ध सेनापति मौर पर चढ़ा कर शिविरसे विदा कर दिया। सच पूछिये, नयाव । अगरेज कम्पनोफी सपास इसने दो बार वङ्गाल- " तो यहीं पर उनके नवायो जोयनका उपसंहार हुआ। ! को सूयेदारो पाई थी। पहले यह नया अलोयदी बांके ___ मोरकासिम धीमी चालसे इलाहाबाद जा रहे थे। अधीन सेनानायकका काम करता था । उडिण्याफे मुर्शिद. राहमें उन्दोंने मुना, कि वषप्तरके युद्ध में बजारको हार कुलो खाँफे विद्रोहदमन कालमें इसने बड़ी वोरता दिव. ___.हुई और मन्त्री बेणो यहादुरने उन्हें अंगरेजोंके हाथ | लाई थी। मुर्शिदकुलीके जमाई यखर खाके युद्ध में मलो. Vol. XVII, .106