पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७५२

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६७० ‘पीरजाफर 'बदोंकी सेना जय रणसे पीठ दिखाने पर थी, तब सेना. जाफरके मन में बङ्गालको मसनद पानेको आकांक्षा बल. पति मीरजाफर खां दलबल के साथ उन्हें मदद पहुंचाने | यती होने लगी। को आगे बढ़ा। उसके भीषण आक्रमणसे मोर्जा बखरकी | . . अनन्तर मित्रोंके समझानेसे मीरजाफरने इस कल्पना. सेना तितर बितर हो गई। मीरजाफरने इस दिन जो से हाथ खींच लिया। पीछे अलीवदोंने ससैन्य आ इसे असीम साहस और शौर्यवीर्य दिखलाया था वह वर्गियोंको वाधा देने में अक्षम देख वहुत कोसा। इस पर प्रशंसनीय है। युद्ध में जयलाभके साथ साथ उसका | सेनापतिके मन में बहुत दुःख हुआ। केवल यही नहीं, यशोगौरव तमाम फैल गया। अलीवदी खांने उसका मानभजन करनेके लिये स्वयं . मोरजाफर खां सैयद हजरतअलोके वंशका था। 'उसके शिविर में जाने की इच्छा प्रगट की। किन्तु मूर्ख अलीयदी खांकी सौतेली बहनसे इसका विवाह हुमा मीरजाफरने जब नबाबका स्वागत नहीं किया, तब नवाव था। अब नवाबने इसे सैन्यपरिसंख्याका दीवान और थोड़ी दूर आ फर लौट गये। इसके बाद मीरजाफरको मीरवक्सी (प्रधान सेनापति ) के पद पर नियुक्त किया। सुजनसिंह द्वारा नवावने फहला भेजा, कि वह यहां युद्धकार्य में मीरजाफरके साहस और तेजस्विताका पता आ फर हिसाव किताव समझा जाय । किन्तु मोरजा. लगता था । मोरजाफरके बुढ़ापेको जीवनीकी पर्यालोचना फरके राजी न होने पर सुजनसिंहको बलपूर्वक उसे कर बहुतेरे भ्रान्त विश्वासके वशवत्ती हो ऐसा अनुमान नवावके निकट लाना पड़ा था। अलोवर्दी खो देखो। . करते हैं, कि यह युद्धकार्यसे उतना जानकार नहीं था। 'मुताक्षरोण पढ़नेसे माल्म होता है, कि महाराष्ट्रीय आदि । नवायने सुजनसिंहको ही हिजलोका फौजदार और । किसी दूसरेको मामरिक विभागका दीवान बनाया । अनेक युद्ध-क्षेत्रों में मोरजाफर अपनी योग्ताका परिचय दे । मीरजाफरके अधीनस्थ सेनादलको अन्यान्य सेनाविभाग. गया है। ____ उडिष्याके राजा जानकीरामके पुत्र दुर्लभरामके । में कार्य देनेका हुक्म हुआ। इस प्रकार सैन्यदलके शासनकालमें महाराष्ट्र सरदार रघुजी उत्कल गये और विच्छिन्न हो जानेसे उसकी आंखें खुली। यह अभि. मान और गर्वका परित्याग कर मुर्शिदाबाद लौटा, और राजा दुर्लगरामको कैद किया। यह संवाद पा कर नयावने मीरजाफर बांको सामरिक विभागके दीवान नोआजिस महम्मदका आश्रय लिश। माथ साथ उडोसाका नायव और मेदिनोपर तथा हिजलो इसके बाद पटनाके अफगान-विद्रोहमें ममोहतको अचलका फौजदार बना कर ससैन्य मराठोंके विरुद्ध | नवाब फिरसे. मोरजाफरके साथ मिले । उसे पूर्ण भेजा। मीरजाफर कुछ दिन उच्च पद पर रह कर पद पर पुनः अभिषिक्त कर नबावने उसके अधीन विलासी हो गया। इसलिये मेदिनीपुरके समीप एक पांच छः हजार आदमी रख दिया तथा आता उल्ला खो सामान्य महाराष्ट्र सेनाको हरा कर ही वह शान्त हो और नोआजिस महम्मदके हाथ नगररक्षा और मरहठोंको गया । बड़ी बड़ी फौजोंका सामना करनेका माहस उसे न वाधा देने का भार सौंप आप दलवलके साथ न हुआ। जब उसने सुना, कि रघजीके लडके जानोजी विहारको चल दिये। इसके बाद नवाद अलोवीके दलवल के साथ आ रहे हैं, तब वह वर्द्धमानको भाग मृत्युकाल नथा उनके प्रियतम दौहित्र सिराजउद्दीला- भाया। उसके भागनेका हाल सुन कर नवाव भलीवदों के राजत्यकाल तक मीरजाफर बङ्गालके प्रधान सेनापति. खाने आताउल्ला नामक एक सेनापतिको उसकी सहा-1 के पद नियुक्त रहे। . यतामे भेजा। अब दोनोंकी सेनाने मिल कर मराठोंको! सिराजको शासन उच्छङ्खला, अत्याचार, मातामहके परास्त किया। जयलाभसे स्पद्धित हो आताउल्ला पुराने कर्मचारियोंके प्रति अपमान तथा राज्यके हर्ताः . राज्यभोगका सुखस्यप्न देखने लगा। मोरजाफर म्यांको । कर्ता मोरजाफरको पूर्व फल्पित राज्यलाभको लालसा और उसने अपने पक्षमें मिला लिया। इस समय मोर. . मीरनके हिंसा कैप आदिने धीरे धोरे सिराजके विरुध