पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७५८

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कर दिया। ६७४ मीरजुम्ला पर बैठा। वर्तमान शासनमें उसने रुपये इकटे करनेमें : सी खानें थी। मोरजुम्लाने इन खानोंसे इतना धन कोई कसर उठा न रती। मन्त्री महाराज नन्दकुमार ; इकट्ठा किया, कि जनसाधारण इन्हें धनकुयेर कहने इसी उद्देशसे अपनी असाधारण प्रतिभाका परिचय लगे। अतुल धनका अधिपति हो कर मोरजुम्ला' दिखला गये हैं। राज्य पाने के लिये बड़े उत्कण्टित हुए । अतः पांच हजार ____ अंगरेजोंके अनुरोध करने पर पृद्ध महाराज दुर्लभ सेना संग्रह कर इन्होंने उन्हें सुशिक्षित किया और स्वय' राम निजामत विभागके दीवान हुए। कुल अधिकार उनका खर्च देने लगे। इस घटनासे घे सुलतानकी उन पर सौंपा जाय, यह मीरजाफर वा नन्दकुमार नहीं : मांखोंके कांटे बन गये। चाहते थे। इसलिये दीशनखाना, जागोर विभाग, कर्णाटकमें युद्धयात्राके समय इन्होंने अपने पुत्र मोर पटना अञ्चलका हिसाव, हुजुरलविसी, धनागार शादि महम्मद अमीनको सुलतानको सभामें प्रतिनिधिस्वरूप निजामत दीवानीसे अलग कर नन्दकुमारके हाथ सौंपा रख छोड़ा। युवक अमीनने पिताके ऐश्वर्यका गर्घ फर गया। इस समय महम्मद रजा खां हिसाव किताव न राजसभामें अनेक प्रकार अभद्रोचित व्यवहार किया था समझानेके कारण मुर्शिदावादमें कैद किया गया। तथा एक दिन नशेमें चर हो कर वह सुलतानको पान- १७६४ ई०के नवम्बरमें गवर्नर भान्सिटाके स्वदेश वत्ती मसनद पर सो गया। इससे सभासद्गण अत्यन्त जाने तथा लाइवफे लौटनेको आशासे उल्लसित मोर। विरक्त हुए और उसे सुलतानको सभामें आनेसे मना जाफर कलकत्ता आया। उसने समझा था, कि कल- मोरजुम्लाने जव यह संवाद पाया तय वे समझ फत्ते जानेसे अब उनके सब कष्ट दूर हो जायगे। लेकिन | गये, कि शत्रु उनके गधःपतनमें लगा हुआ है । अतः ऐसा हुभा नहीं, यहां अंगरेज-कम्पनीका रुपया चुकाने के गोलकुण्डा लौटना इन्होंने अच्छा नहीं समझा। ये लिये उस पर सख्त तकाजा होने लगा। इसी तकाजेके औरङ्गजेवकी शरणमें पहुचे । इस समय औरङ्गजेय 2) मारे वह अपना स्वास्थ्य खो मुर्शिदाबाद लौटा । इस शाहजहांको सेनाफे अधिपति हो कर दाक्षिणात्य पर समय उसकी उमर ४४ वर्ष फो थी। कहते है, फि अन्तिम चढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने मीरजुम्लाको दिल्ली ले समयमें दिताकांक्षी महाराज नन्दकुमारके अनुरोधसे जा कर सम्राट शाहजहांसे उनका परिचय करा दिया। उसने मुर्शिदाबाद के प्रसिद्ध पीठाधिदेवता किरीटेश्वरीका शाहजहाँने १६५५ ई० गोलकुण्डाके सुलतानके पास पादोदक पान किया था। १७६५ ई०के जनवरी मासमें एक दूत भेजा और पुत्र सहित मोरजुम्लाको छोड़ देनेका मीरजाफर इस लोकसे चल यसा। हुपम दिया। मीरजुम्ला---एक प्रसिद्ध मुगल-सेनापति । इनका जन्म ____किन्तु दूतके पहुंचनेसे पहले ही फुतव मोरजुम्ला. फारसको राजधानी इस्पहान नगरके पासके स्थानमें के अभिप्राय जान गये और उनके लड़के अमीनको कैद हुआ था । जवानी में घे पारसिक घणिों के साथ कर उनकी सारी सम्पत्ति जब्त कर ली । दूत भेजनेका अपनी किस्मतको आजमाइश करनेके लिये भारतवर्ष में कोई फल न देख 'औरङ्गजेवको भारी गुस्सा हुआ। आपे। पहले गोलकुण्डाके होरेके व्यवसायमें इन्हें । इसका प्रतिशोध लेनेके लिये चे एक दल सेना ले कर यहुत-सा धन हाथ लगा। याद उसके ये १६१० ई०में | तैलंग पर चढ़ आये । कुतवशाह युद्ध में परास्त हुए। तैलंगके सुलतान अबदुल्ला कुतव शाहके सामरिक औरङ्गजेबने सुलतानका राज्य तहस नहस कर हैदरा- विभागमें एक फर्मचारी नियुक्त हुए। क्रमशः अपनी ! याद नगर लूट लिया। तब सुलतान निरूपाय हो कर वुद्धि और वीर्यवलसे ये प्रधान सेनापति हो गये । फुतव- मौरजुम्लाको सारी सम्पत्तिके साथ उनके पुत्रको छोड़ शाहके अधोनमें रद कर इन्होंने कर्णाटकके अन्तर्गत वाला- देने स्वीकृत हुए तथा औरङ्गजेवको एक करोड़ रुपया घाट प्रदेश तथा गंजीकोटा और सुधुतपो दुर्भध दुर्ग पर और राजकुमार महम्मदफे साथ अपनी लड़कीका यिवाद आममण किया। उक्त प्रदेशमें हीरे और सोनेकी वाहुन- देकर उनसे संधि कर ली।