पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७६०

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मीरजुम्ला कर कुरान पढ़ने कहा । इसके सिवा मोरजुम्लाने | गवगण बनमें भरक्षितभावमें रह कर गोली चला, चला अधियासियोंको किसी प्रकारका कष्ट नहीं दिया। इसोसे) उन्हें तंग करने लगे। सेनाफे आगे बढ़ने में अनिच्छुक जिन्होंने मुसलमानके भयसे राज्य छोड़ कर वनमें आश्रय होने पर भी मीरजुमाके अलान्त उद्यमको देख ये उत्सा. लिया था, घे पुनः अपने देश में लौटे और निर्विघ्नसे पास हित हुई। फरने लगे। इस प्रकार कुछ दिन लगातार चल कर मोरजुम्ला भीमनारायण जंगलसेठके पर्वत पर छिपे थे। अपने सेमाइल या हाजो नामक दुर्गके पास पहुंचे। ब्रह्म. लड़के विष्णु नारायणके साथ उनकी नहीं पटती थी। पुत्र नदके किनारे एक उच्च शैलफी चोटी पर एक दुर्ग विष्णु नारायण मीरजुम्लाके पास आ कर मुसलमान बना हुआ था। दुर्गको चहारदीवारीस्वरूप ब्रह्मपुत्र में धर्ममें दीक्षित हुए । उन्होंने मोरजुम्लासे कहा, "यदि आप बहुत-से जगी जहाज थे। दुर्गमें वोस हजार सेना दुर्गकी मुझे कोचविहारके राज्य पर अभिषिक्त कर दें तो मैं पिता | हमेशा रक्षा करती थी। मोरजुम्लाने अपने जंगी जहाजकी को पकड़ आपके सामने हाजिर कर सकता है। सेनाओंको नौसेना पर चढ़ाई करनेका हुक्म दिया और इस प्रकार धर्मद्रोही और पितृदोही विष्णु नारायण | आप दुर्गको आक्रमण करने आगे बढ़े।कामानके मुसलमान सेनापति इस्फान्दियर थेगके अधीन गृहत् गोलावर्षणसे आसामीय जगी जहाज छिन्न भिन्न हो गया। सैन्यदल ले कर पिताको पकड़ने वनमें घुसा। पिताने | यह देख दुर्गकी सभी सेना रातमें प्राण ले कर भागी। उपयुक्त पुलके थ्यवहारादि जान कर भूटान प्रदेशके एक मोरजुम्लाने हठात् दुर्ग अधिकार कर माता-उल्ला नामक दुर्भद्य शैलदुर्गम आश्रय लिया। अधित्यकाप्रदेशसे एक सेनापतिके अधीन यहां एक दल ' सेना रख उक्त दुर्गम जानेके रास्ते पर लोहेका एक पुल था। आसामके वोच अग्रसर हुए। राजधानो -घोड़ाघाट यह पुल ऐसे कौशलसे बनाया गया था, कि दुक पर चढ़ाई की गई। मुगलसेनाके अविश्रान्त परिश्रमसे आदमी उसमें लगी सीढियोंको आसानीसे वींच। अत्यन्त क्लान्त होने पर मोरजुम्लाने उन्हें घोड़ाघाट और सकते थे। पुत्र मुसलमान-सेनादलकी सहायता पा कर मतियापुरके मध्यवत्ती स्थानमें विश्राम करनेका : हुकुम भी पिताको पकड़ न सका । तव गुस्से में आ कर उसने दिया। माता वहन आदि परिजनवर्गको कैद किया और उनकी मीरजम्मा इस एपालमें थे. कि जब राजा जयदेवसिंह सारी सम्पत्ति छोन कर वह शान्त हुमा। प्रधान मन्त्री भाग गये हैं और अधिकांश अधिवासी हो उनके यशो- भी पकड़े गये। सरण्यमें २५० बड़ी बड़ी कमान थी। भूत हुए हैं तव और किसी तरहके उपद्रवको आशङ्का इसके सिवा दूसरो दूसरी वस्तु ले कर गुणधर पुत्र नहीं । इसीमान्त विश्वासके वशयत्ती हो कर उन्हों. ढाका लौटा। ने अपना विजय-संवाद सूचित करनेके लिये औरङ्गजेबफ मोरजुम्मा कोचविहार राज्य पर दश लाख रुपया कर पास दूत भेजा और तुरत नया रास्ता बना कर समृद्धि- लगा कर तथा इस कान्दियर वेगके अधीन १४०० अश्या- | शालो चीन साम्राज्य पर भी चढ़ाई की जायगी-यह भी रोहो और २००० गोलन्दाज सेना रख कर आसाम) कहला मेना। . . . जीतने चले गये। वे ढाकासे जिन सब जंगी जहाजोंको ले औरङ्गजेब मोरजुम्लाका पत्र पा अत्यन्त संतुम गये थे उन पर नाना प्रकारके युद्धोपयोगी द्रव्य लाद कर | हुए तथा बहुत जल्द उनको विजय पताका चीन और ब्रह्मपुत्र होते हुए भासामकी ओर बढ़े ।। २६६२ ई०में जङ्गिस खाँके तानार राज्यमें उड़ेगो, सोच कर रांगामाटीके निकट ब्रह्मपुत्र पार कर अप्रसर होने लगे। फूले न समाये। उन्होंने मोरजुम्लाको धन्यवाद देते हुए किन्तु प्रतिकूल स्रोतके कारण सेना जहान का रस्सा | चीन यानाके लिये अपने हाधसे पत्र लिखा भीर उनके खोचने लगो। भविभ्रान्त चेष्टा करने पर भी ये एक पुत्र अमीनको गीरयमूचक उपाधि देकर सम्मानित दिनमे एक फोससे अधिक न जा सके। यहां तक कि किया ।